इम्यूनिटी बढ़ाने के अचूक उपाय हैं ये प्राणायाम – Yoga Pranayama to Boost Immunity in Hindi

By Kusum Lata|6 - 7 mins read| April 10, 2024

Yoga Pranayama to Boost Immunity: इम्यूनिटी बढ़ाने के अचूक उपाय हैं ये प्राणायाम, जो किसी भी फ्लू, घातक वायरस या बीमारी से काफ़ी हद तक आपका बचाव कर सकते हैं

आजकल जानलेवा प्रदूषण और तेज रफ़्तार से बढ़ती जनसंख्या के चलते नई नई बीमारियों का जन्म हो रहा है। कभी कोई वायरस पैदा होकर लोगों की जान का दुश्मन बन जाता है तो कभी कोई महामारी विश्वभर में आतंक मचा देती है। अचानक आई ऐसी मुसीबतों से जल्द छुटकारा पाना मुश्किल होता है। और जब तक इंसान इस बारे में कुछ सोच समझ पाता है, तब तक काफी नुकसान हो चुका होता है। ऐसी बीमारियों, घातक हमलों से बचने के लिए ज़रूरी है मनुष्य अपनी सुरक्षा का पूरा ख्याल रखे। इसके लिए वह अपनी इम्यूनिटी को मज़बूत बनाए। इम्यूनिटी को मज़बूत करने ही इंसान किसी भी वायरस या बीमारी से खुद को बचा सकता है।

अभी कुछ समय से कोरोना वायरस (Coronavirus) ने दुनिया के अनेक देशों में कहर बरपाया हुआ है। बहुत तेजी से लोग इस वायरस की चपेट में आकर अपनी जान से हाथ धो रहे हैं। हमारा देश भी इस वायरस से बच नहीं सके। अब तक देशभर में काफ़ी लोग इसके शिकार हो चुके हैं, जो दिन – रात जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहे हैं। वहीं इस वायरस के चलते कुछ लोग जान गवां भी चुके हैं। इसमें बच्चों और बुज़ुर्ग लोगों को सुरक्षा का खास ख्याल रखने की हिदायत दी जा रही है क्योंकि इनकी इम्यूनिटी कमज़ोर होती है। यानि मज़बूत इम्यूनिटी ही है जो काफ़ी हद तक इस वायरस से बचाव कर सकती है। ऐसे में अभी हाल ही में एक न्यूजचैनल के माध्यम से योगगुरु बाबा रामदेव ने कुछ प्राणायाम करने की सलाह दी है, जो कि इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करते हैं।

इम्यूनिटी बढ़ाने के 3 अचूक प्राणायाम – Immunity Booster Yoga Pranayama

कपालभाति प्राणायाम

कपालभाति से भी आप अपनी इम्‍यूनिटी को बढ़ा सकते हैं। कोरोना और फ्लू के लक्षणों में एक लक्षण साँस लेने में मुश्किल होना भी है। इस प्राणायाम के जरिए साँस संबंधी समस्याओं को कम किया जा सकता है। इससे मन शांत और प्रफुल्लित रहता है।

  • कपालभाति प्राणायाम शरीर की नाड़ियों को शुद्ध करके उन्हे पूरी तरह से स्वस्थ बनाकर रोगों को दूर करता है।
  • इस प्राणायाम में साँस तेजी से बाहर छोड़नी होती है। ऐसा करने से पेट की वायु नाक के जरिए से तेजी से बाहर निकलती है।
  • कपालभाति प्राणायाम सूर्योदय के पहले करने पर अधिक लाभ होता है।
  • इस प्राणायाम को हमेशा शुद्ध वातावरण में पद्मासन में बैठ कर ही करना चाहिए।
  • कपालभाति प्राणायाम करने के लिए सांस सामान्य गति से शरीर के अंदर की और लेनी होती है और तेज़ गति से बाहर निकालनी होती है।
  • प्रत्येक सेकंड में एक बार पूरी सांस को तेजी के साथ नाक से बाहर छोड़ें, इससे पेट अन्दर चला जाएगा। प्रत्येक सेकंड में एक बार साँस को तेजी से बाहर छोड़ने के लिए ही प्रयास करना होता है।

कैंसर, एलर्जी, टीबी, हेपीटाइटस और दूसरी ऐसी जटिल बीमारी के साथ ही कई भयानक व संक्रामक बीमारियों से कपालभाति प्राणायाम रक्षा करता है। इसीलिए इस समय कपालभाति करना बेहतर होगा। कपालभाति करने वाले व्यक्ति को आम बीमारियाँ छू नहीं पाती हैं। इससे मानसिक तनाव और दमे की बीमारी दूर हो जाती हैं। साथ ही कपालभाति करने से मन में सकारात्मक विचार आते हैं और निर्णयशक्ति बढ़ती है।

भस्त्रिका प्राणायाम

आजकल के प्रदूषित वातावरण में शरीर की अशुद्धि दूर करने के लिए यह बहुत फ़ायदेमंद प्राणायाम है। इसीलिए किसी भी प्रकार के संक्रमण और बीमारी से यह योग काफ़ी हद तक बचाव कर सकता है। वात, पित्त और कफ की समस्याओं को दूर करने के लिए भस्त्रिका प्राणायाम कारगर इलाज है। शरीर के फेफड़े दूषित हवा, धूल मिट्टी और अन्य अशुद्धियों से ग्रस्त होने पर भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास करना बहुत लाभकारी होता है।

  • आमतौर पर यह प्राणायाम पद्मासन या सुखासन में बैठ कर किया जाता है।
  • इसका अभ्यास करते समय शरीर को स्थिर अवस्था में रखना चाहिए। सिर, गला, पीठ तथा मेरुदंड सीधे और मुँह बंद होना चाहिए। आसान शब्दों में कहें तो इस प्राणायाम को करने के लिए कमर, गर्दन और रीढ़ की हड्डी को सीधा करके बैठें।
  • अब आँखें बंद करें और साँस की गति को बढ़ा दें।
  • अब आपको तेजी से साँस लेनी है और तेजी से छोड़नी है। तेजी से साँस लेते हुए पेट फूलना चाहिए और जब आप तेजी से साँस छोड़ें तो आपका पेट अंदर जाना चाहिए।
  • रोजाना लगभग पंद्रह तक इसका अभ्यास करें।

इस प्राणायाम के अभ्यास से शरीर को प्राणवायु भरपूर मात्रा में मिलती है। इस वजह से शरीर के अंगों में मौजूद दूषित पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। इससे रक्‍त नलिकाएं शुद्ध हो जाती हैं व मजबूत बन जाती हैं। यह प्राणायाम नाक, कान और आँखों को भी स्वस्थ रखने में मदद करता है। इसके अलावा इस प्राणायाम को करने से पर्याप्त मात्रा में ऑक्‍सीजन मिलती है और ज्‍यादा मात्रा में कार्बन डाईऑक्‍साइड बाहर निकल जाती है।

अनुलोम-विलोम प्राणायाम

कोरोना और फ्लू के लक्षणों में खांसी – जुकाम भी शामिल हैं। यह प्राणायाम सर्दी, जुकाम और दमा जैसी बीमारी से छुटकारा दिलाने में काफ़ी मदद करता है। इसके अलावा इसके अभ्यास से फेफड़े को मजबूती मिलती है। साथ ही भरपूर मात्रा में शुद्ध ऑक्सीजन का प्रवेश भी इसी योग के माध्यम से होता है। अनुलोम – विलोम प्राणायाम को करने से एलर्जी और त्वचा से संबंधित समस्याएं खत्म हो जाती हैं और शरीर में रक्त संचार सुधरता है। ब्लड प्रेशर की समस्या को दूर करने में भी यह सहायक है। शरीर का तापमान सामान्य रहता है।

  • इस प्राणायाम को करने के लिए आपको पद्मासन की मुद्रा में बैठना होगा, यानी बाएं पैर के पंजे को अपने दाईं जांघ पर और दाएं पैर के पंजे को बाईं जांघ पर रखना होगा। जो लोग पद्मासन की मुद्रा में नहीं बैठ सकते, वो सुखासन मुद्रा में बैठ सकते हैं। जिन लोगों के लिए जमीन पर बैठना कठिन है, वो कुर्सी पर बैठ सकते हैं। सबसे पहले कमर सीधी रखें और अपनी दोनों आँखें बंद कर लें। एक लंबी गहरी साँस लें और धीरे से छोड़ दें।
  • इसके बाद खुद को एकाग्र करने की कोशिश करें।
  • इसके पश्चात अपने दाहिने हाथ के अंगूठे से अपनी दाहिनी नासिका को बंद करें और बाई नासिका से धीरे-धीरे गहरी साँस लें।
  • साँस लेने में जोर न लगाएं, जितना संभव हो सके उतनी गहरी साँस लें।
  • अब दाहिने हाथ की मध्य उंगली से बाई नासिका को बंद करें और दाई नासिका से अंगूठे को हटाते हुए धीरे-धीरे साँस छोड़ें।
  • कुछ सेकंड के बाद फिर दाई नासिका से गहरी साँस लें। इसके बाद दाहिने अंगूठे से दाहिनी नासिका को बंद करें और बाई नासिका से दाहिनी हाथ की मध्य उंगली को हटाकर धीरे-धीरे साँस छोड़ें।
  • इस तरह अनुलोम – विलोम प्राणायाम का एक चक्र पूरा हो जाएगा। आप एक बार में ऐसे पाँच से सात बार कर सकते हैं। इस प्रक्रिया को आप रोज लगभग दस से पंद्रह मिनट तक कर सकते हैं।

कोरोना वास्तव में एक बहुत ही खतरनाक वायरस है। सावधानी बरतकर इससे बचा जा सकता है। साथ ही अपनी ओर से इससे बचने के अन्य प्रयास करने में कोई बुराई नहीं है। ऐसे में योग का सहारा लिया जा सकता है। ये प्राणायाम कोरोना का इलाज तो नहीं हैं लेकिन हाँ इसके रोकथाम के तौर पर खुद को मज़बूत बनाने के लिए इनका अभ्यास करना चाहिए।


TheParentZ विशेषज्ञ पेरेंटिंग टिप्स और सलाह प्रदान करता है, साथ ही बच्चों की वृद्धि और विकास को ट्रैक करने के लिए उपकरण भी प्रदान करता है। बच्चों की वृद्धि और विकास ट्रैकर ऐप के बारे में अधिक जानें। यह अभिभावकों के लिए एक ऑनलाइन समुदाय के रूप में काम करता है, जहाँ बच्चे के नाम, स्वास्थ्य, पोषण, गतिविधियाँ, उत्पाद समीक्षाएँ, बाल देखभाल, बाल विकास और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की जाती है।

अस्वीकृति (Disclaimer):

इस लेख/ब्लॉग में व्यक्त विचार, दृष्टिकोण और राय केवल लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं और यह आवश्यक नहीं कि The ParentZ के विचारों को प्रतिबिंबित करें। किसी भी प्रकार की चूक, त्रुटियाँ या अशुद्धियाँ लेखक की जिम्मेदारी हैं। The ParentZ इनसे संबंधित किसी भी प्रकार की जिम्मेदारी या दायित्व स्वीकार नहीं करता है। पेरेंटिंग, स्वास्थ्य या बाल विकास से संबंधित विशिष्ट सलाह के लिए हमेशा एक योग्य पेशेवर (चिकित्सक या डॉक्टर या विशेषज्ञ) से परामर्श लें।

Top