किस उम्र में भेजें बच्चे को प्ले स्कूल – What is the Right Age to Send Your Kid to Play School in Hindi?

By Ruchi Gupta|6 - 7 mins read| January 30, 2025

जैसे ही बच्चा एक से डेढ़ साल का होने लगता है, माता-पिता अपने बच्चे के लिए एक सही प्ले स्कूल की तलाश शुरू कर देते हैं। साथ ही कई माता-पिता के दिमाग में एक सवाल हमेशा ही घूमता रहता है, वह यह कि बच्चे को प्ले स्कूल भेजने की सही उम्र क्या है? क्या आप भी इसी सवाल से परेशान हैं? अगर हां, तो जानते है इसका जवाब स्कूलमाईकिड्स के साथ।

अगर आपका बच्चा भी अब डेढ़ से दो साल का हो गया है, लेकिन आपने अभी तक उसके लिए किसी प्ले स्कूल की खोज शुरू नहीं की तो भी अभी कोई देर नहीं हो गई। क्योंकि ज्यादातर प्ले स्कूल डेढ़ साल से अधिक उम्र के बच्चों को ही प्ले स्कूल में प्रवेश देते हैं। प्ले स्कूल और बच्चे की उम्र के बीच इतना ही मेल-जोल है, जितना कॉलेज में प्रवेश लेने के लिए कम से कम 17 साल की उम्र का। यानी यह सिर्फ एक मानक है, प्ले स्कूल में प्रवेश का।

पर अगला सवाल यह है कि क्या उम्र के हिसाब से बच्चे को स्कूल भेजा जाना चाहिए। यानी के अगर आपका बच्चा दो साल से बढ़ा है तो उसे प्ले स्कूल जाना ही होगा। क्या आप भी कुछ ऐसा ही सोच रहे थे। अगर हां तो आप शायद गलत हैं। उम्र के अलावा भी कई बातें हैं जो इतने छोटे बच्चों के लिए जरूरी हैं, जैसे कि बच्चे का दूसरे लोगों के साथ संपर्क कैसा है, वह कितना भावुक है, उसकी शारीरिक गतिविधियां कैसी हैं आदि-आदि।

छोटे बच्चे प्ले स्कूल भेजने से पहले खुद से करें सवाल:

क्या मेरा बच्चा आत्म-निर्भर है?

प्ले स्कूल में प्रवेश से पहले आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि आपका बच्चा कौन-कौन से कामों के लिए आप पर निर्भर है। जैसे कि कई प्ले स्कूल प्रवेश से पहले बच्चे के अभिभावकों से यह जरूर जानना चाहते हैं कि आपने अपने बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग दी है या नहीं। इसके अलावा क्या आपका बच्चा छोटी-छोटी चीजों जैसे कि खुद से खाने, हाथ धोने आदि के लिए तो कहीं आप पर निर्भर नहीं है? बच्चे को प्ले स्कूल भेजने से पहले आप खुद से यह सवाल जरूर करें।

क्या बच्चा मेरे बिना भी कुछ समय बिताता है?

कुछ बच्चे हमेशा अपने मम्मी-पापा या घर के किसी अन्य सदस्य के साथ ही रहते हैं। वैसे भी माना जाता है कि छोटे बच्चों को अलगाव की बेचैनी या सेप्रेशन एंग्जाइटी (seperation anxiety) ज्यादा होती है। ऐसे में जरूरी है कि आप बच्चे को प्ले स्कूल भेजने से पहले उन्हें कुछ समय के लिए खुद से दूर रहना सीखाएं। आमतौर पर देखा गया है कि जो बच्चे शुरू से ही अपने माता-पिता के बिना वक्त गुजारते हैं, वे आसानी से प्ले स्कूल में भी खुद को फिट कर पाते हैं।

अगर आपको लगता है कि आपके कई प्रयासों के बावजूद आपका बच्चा अपनी दादी-नानी या आपके किसी अन्य रिश्तेदार के साथ कुछ घंटे का समय भी नहीं गुजार पा रहा, तो भी ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है। क्योंकि कुछ बच्चे प्ले स्कूल में जाने के कुछ दिनों के साथ ही अपने अकेले रहने के विचारों से बाहर निकल आते हैं। आप प्ले स्कूल के शुरू के कुछ दिनों में उसे एक से दो घंटे ही अलग रखें और धीरे-धीरे उन्हें उस माहौल के हिसाब से सामंजस्य बिठाने दें।

क्या बच्चा खुद से कुछ गतिविधियों को कर सकता है?

छोटे बच्चों को पज्जल्स या रंगों के साथ खेलना काफी पसंद आता है। अगर आपके बच्चे को इसमें कोई परेशानी नहीं है तो आप उसका प्रवेश प्ले स्कूल में करवा सकते हैं। वहीं कुछ बच्चे बहुत सुस्त होते हैं या वे शुरू-शुरू में खुद से कुछ ज्यादा नहीं कर पाते, ऐसी स्थिति में आप प्ले स्कूल भेजने से पहले उनके साथ कुछ वक्त बिताएं और उन्हें इन सभी चीजों के लिए तैयार करें। जैसे कि आप रसोई में अपना कोई काम करते-करते अपने बच्चे को क्ले से या रंगों से कुछ भी बनाने को कह सकते हैं।

क्या बच्चा दूसरे बच्चों के साथ रहना पसंद करता है?

प्ले स्कूल में कई ऐसी गतिविधियां होती हैं, जहां बच्चों को एक-दूसरे का ज्यादा से ज्यादा साथ देना पड़ता है। ऐसे में अगर आपका बच्चा दूसरे बच्चों को बर्दाश्त ही नहीं करता या उनसे बातचीत ही नहीं करता तो वह आसानी से प्ले स्कूल में अपना ताल-मेल नहीं बिठा पाएगा। अक्सर देखा गया है कि घर का पहला या अकेला बच्चा आसानी से प्ले स्कूल में दूसरे बच्चों के साथ खुद को सहज नहीं पा पाता। उसमें चीजों को शेयर करने का भाव ही नहीं होता और ऐसे में कई बार अभिभावकों को इसके लिए कई बातें सुननी पड़ती हैं

ऐसे में सबसे पहले आप अपने बच्चे को प्ले स्कूल में दूसरे बच्चों के साथ खेलने और उनके साथ मस्ती करने के बारे में बताएं। आप उन्हें बताएं कि दूसरों के साथ खेलने में कितना मजा आता है। साथ ही आप पहले से ही उन्हें चीजों और खिलौनों को एक-दूसरे के साथ शेयर करना भी सिखाएं।

बच्चे की दिनचर्या कैसे है?

आमतौर पर देखा गया है कि माता-पिता अपने बच्चे को अच्छे से अच्छे प्ले स्कूल में तो प्रवेश दिला देते हैं, लेकिन अपनी और अपने बच्चे की दिनचर्या के अनुसार उसे लगातार स्कूल नहीं भेज पाते। स्कूल में हर चीज निश्चित समय पर होती है और अगर आपकी दिनचर्या में अभी कोई भी चीज सही समय पर नहीं होती तो सबसे पहले अपनी और अपने बच्चे की दिनचर्या में जरूरत के हिसाब से बदलाव करें।

आप इस बात का खास ख्याल रखें कि प्ले स्कूल के समय पर जब बच्चा उठे तो वह खुद को तरोताजा महसूस कर रहा हो न कि वह चिढ़ रहा हो। यानी बच्चे की रात की नींद पूरी होनी चाहिए। ज्यादातर माता-पिता अपने बच्चे को प्ले स्कूल में प्रवेश दिलाने से कुछ सप्ताह पहले ही स्कूल की दिनचर्या के अनुसार अपनी आदतों में बदलाव लाते हैं। जैसे कि चार घंटे स्कूल में बिताने के बाद बच्चा काफी थक जाता है तो उसे दोपहर में वे दो से तीन घंटे जरूर सुलाते हैं और सुबह सही समय पर जगाने के लिए उसे रात को जल्दी सुला देते हैं।

बच्चे को प्ले स्कूल क्यों भेजना चाहता हूं?

यह सबसे अहम सवाल है जो आपको खुद से पूछना चाहिए। मेरी बेटी जब दो साल की थी, मैंने उसे तब से अपने घर के नजदीक प्ले स्कूल में भेजना शुरू कर दिया था। मेरी वजह यह थी कि हम घर में दो लोग ही थे और बाकी बच्चों की तुलना में मेरी बेटी ने उस उम्र में भी बोलना शुरू नहीं किया था। तब हमें बड़ों ने कहा था कि बच्चा अपनी उम्र के बच्चों की संगत में जल्दी बोलना शुरू करता है, इसीलिए हमने उसे प्ले स्कूल में भेजा।

जैसे मेरा अपना कारण था अपनी बच्ची को प्ले स्कूल में भेजने का उम्मीद है कि आपके पास भी कोई ठोस कारण होगा, बजाए इसके कि मेरे दोस्त का बेटा या मेरे भाई की बेटी तो इस उम्र में प्ले स्कूल जाती थी, इसके। हां, कुछ लोगों का यह भी मानना है कि बच्चा प्ले स्कूल में उठना-बैठना सीख जाता है, इसीलिए बच्चे को प्ले स्कूल जरूर भेजना चाहिए। लेकिन कई विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि प्ले स्कूल के अलावा भी बच्चे ये सब चीजें सीख सकते हैं।

यह बात बिल्कुल सही है कि प्ले स्कूल में मौजूद स्टाफ खास कर छोटे बच्चों की देखभाल और उन्हें पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित होता है, जबकि हम इस काम को उतनी आसानी से नहीं कर सकते। और अगर ज्यादातर सवालों के लिए आपका जवाब हां है और आपका मानना है कि प्ले स्कूल में आपका बच्चा आसानी से नई चीजों और सामाजिक व्यवहार कुशलता को सीख सकता है, तो आप अपने बच्चे को प्ले स्कूल में भेजने की तैयार शुरू कर दीजिए।


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