टीनएज यानी किशोरावस्था एक ऐसी अवस्था है जिसमें बच्चे के जीवन में हलचल होना एक आम बात है। यह हलचल किसी बड़ी वजह से नहीं बल्कि इसमें बच्चे के शारीरिक और मानसिक रूप से होने वाले बदलावों के कारण होती है। दरअसल यह उम्र ऐसी होती है जब बढ़ता हुआ बच्चा खुद में कई परिवर्तन महसूस करता है। इस उम्र में इन बढ़ते परिवर्तनों से वह अक्सर परेशान हो जाता है। इससे उसके व्यवहार में भी परिवर्तन आने लगता है। टीनएज में यह सब होना कोई नई बात नहीं है।इस उम्र के बच्चों का रखें खास ख्याल|इस समय ऐसे बच्चों को मां-बाप की खास केयर और बेहद प्यार की जरूरत होती है।
बढ़ती उम्र में बच्चे पर किसी तरह का दबाव नहीं बनाया जा सकता। अगर आप किसी प्रकार का दबाव बच्चे पर बनाते हैं, तो वह इससे परेशान हो सकता है। इसलिए बेहतर है कि आप इस समय बच्चे को प्यार से समझाएं। उसकी जो भी परेशानियां हैं, उनको बहुत ही प्यार भरे लहजे में जानने की कोशिश करें। यह वह समय है जब मां-बाप को भी काफी धैर्य बनाए रखने की जरूरत होती है। इस समय अपने टीनएजर बच्चे की मानसिकता को समझना उनके लिए थोड़ा मुश्किल भी हो सकता है। ऐसे में अपने बच्चे पर भरपूर विश्वास और मां-बाप आत्मसंयम और धैर्य के साथ ही बच्चे के मन को जीत सकते हैं।
शारीरिक बदलाव
किशोरावस्था में बच्चों में काफी शारीरिक बदलाव होने लगते हैं जिनको लेकर उनको काफी हिचक महसूस होने लगती है। इस समय लड़कियों में पीरियड्स की शुरुआत हो जाती है व स्तन विकसित होने लगते हैं। साथ ही शरीर के कई अंगों पर बाल आने शुरू हो जाते हैं। वहीं लड़कों में इस अवस्था में आवाज बदल जाती है और शरीर के कई हिस्सों में बाल उगने शुरू हो जाते हैं । अपने शरीर में हो रहे इन परिवर्तनों के चलते भी इस समय बच्चा थोड़ा परेशान सा हो जाता है, खासतौर पर लड़कियां।
मानसिक हलचल
इस उम्र के बच्चों में मानसिक परिवर्तन भी काफी होते हैं। आपका आज्ञाकारी बच्चा भी काफी बदल सकता है। यह मानसिक परिवर्तन हार्मोनल और न्यूरोडेवलपमेंटल चेंज से जुड़ा है। इसी वजह से सामाजिक और भावनात्मक बदलाव बच्चे में देखने को मिलते हैं। किशोरावस्था में बच्चे की तार्किक और नैतिक क्षमता मजबूत हो जाती है। वे तर्कशील होने लगते हैं। खुद को निर्णय लेने में सक्षम समझने लगते हैं। जिस वजह से वह मां-बाप की बात को भी कई बार नकार जाते हैं।
सामाजिक बदलाव
टीनएज में आने पर बच्चा अपनी विशेष नजर से समाज को भी देखने व समझने लगता है। जिसके चलते उस में सामाजिक परिवर्तन आते हैं। इस समय वह खुद पर किसी तरह की बंदिश नहीं चाहता। अपने फैसले खुद लेना चाहता है। माता-पिता या किसी अन्य की रोक – टोक उसको अच्छी नहीं लगती।
भावनात्मक तौर पर होने वाले बदलाव
इस उम्र में हार्मोंस में बदलाव होने की वजह से भी बच्चों में भावनात्मक तौर पर काफी परिवर्तन देखने को मिलता है। इन बदलावों में मूड स्विंग, प्राइवेसी की जरूरत, भविष्य की चिंता, भावनाओं में जल्दी बह जाना, माता-पिता की अपेक्षा दोस्तों के साथ ज्यादा करीब महसूस करना और उनके साथ अधिक समय बिताने का मन करना आदि प्रमुख हैं।
कैरियर और पढ़ाई को लेकर स्ट्रेस
यह अवस्था ऐसी है कि जब बच्चा समझदार हो जाता है और वह अपने करियर और पढ़ाई को लेकर एक्टिव होने लगता है। इस समय वह अपने कैरियर को लेकर चिंतित होता है। वह थोड़ी उलझन में भी हो सकता है कि भविष्य में उसको क्या करना है। इन सब को लेकर वह थोड़ा स्ट्रेस महसूस करता है जिससे उसके स्वभाव में गुस्सा और चिड़चिड़ाहट भी आ सकती है।
पीअर प्रेशर
यही वह उम्र है जब मनुष्य अन्य लोगों की बातों में जल्दी आ जाता है। किसी की भी बात उसको जल्दी से अच्छी या बुरी लग सकती है। ऐसे में अगर बच्चा किसी तरह के पीअर प्रेशर में आ जाता है जो उसके लिए काफी नुकसानदायक साबित होता है। क्लास में साथ पढ़ रहे बच्चों द्वारा दिया गया किसी तरह का प्रेशर बच्चे को परेशानी में डाल देता है।
बुरी संगत में पड़ने की आशंका
किशोरावस्था में बच्चा अपनी आजादी चाहता है। अपने दोस्तों के साथ ज्यादा समय बिताना पसंद करता है। ऐसे में अगर उसकी संगति अच्छी है, तो वह किसी बुरी आदत का शिकार नहीं होता। वहीं अगर उसकी दोस्ती गलत रास्ते पर ले जाने वाले बच्चों से हो जाती है, तो वह भी गलत आदतों का शिकार हो सकता है। स्मोकिंग, गलत शब्दों का प्रयोग करना जैसी बुरी आदतें इस समय बच्चों को जल्दी लग जाती हैं।
गुस्सैल और चिड़चिड़ा स्वभाव और कामुकता की भावना विकसित होना
इस समय में टीनएजर्स को जल्दी गुस्सा आता है और वह किसी भी बात पर जल्दी चिड़चिड़ाने भी लग जाते हैं। इन्हें अपनी ही बात सही लगती है। इस उम्र में बच्चों में कामुकता की भावना का भी विकास होने लगता है। अगर इस भावना को नियंत्रित ना किया जाए तो यह बच्चे के लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है।
इंटरनेट, सोशल मीडिया आदि का गलत इस्तेमाल करना
आजकल हर बच्चा कंप्यूटर, लैपटॉप, इंटरनेट आदि का इस्तेमाल करता है। ऐसे में वह अपने काम के अलावा भी इंटरनेट का गलत फायदा भी उठा सकता है। इंटरनेट पर मौजूद एडल्ट साइट्स उसको गलत राह पर ले जा सकती हैं। इसी प्रकार सोशल मीडिया का भी गलत फायदा उठा सकता है। सोशल मीडिया के माध्यम से वह ऐसे लोगों के संपर्क में आ सकता है, जो उसके भविष्य के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं।
ऐसे संभालें अपनी टीनएजर बच्चे को
- बच्चे से खुलकर बातचीत करें।
- अपने छोटे-छोटे निर्णय उसको स्वयं लेने दें।
- अगर उसकी संगति में कुछ बुरे दोस्त आ गए हैं, तो घर के किसी ऐसे सदस्य को उसे समझाने के लिए कहें जिसकी बात वह सबसे ज्यादा मानता हो, जैसे दादा-दादी या नाना-नानी आदि।
- सोशल मीडिया पर उसकी एक्टिविटीज पर नजर रखें।
- सोशल मीडिया के फायदे और नुकसान के बारे में बच्चे को अवगत कराएं। इसका सबसे अच्छा तरीका है कि बच्चों को खुद ही इंटरनेट पर इसके फायदे और नुकसान के बारे में जानने को कहें।
- भावनात्मक रूप से कमजोर होते बच्चे से बहुत ही प्यार से बात करें।
- बच्चे की स्थिति को समझने का प्रयास करें। हर समय उसे गलत ना ठहराएं।
- बीच-बीच में उससे उसके दोस्तों, पढ़ाई, स्कूल आदि के बारे में बातचीत करते रहें।
- शारीरिक रूप से हो रहे परिवर्तनों के बारे में उसे सहज महसूस कराने की कोशिश करें।
- शारीरिक रूप से हो रहे परिवर्तनों के बारे में लड़कियों को उनकी माताएं और लड़कों को उनके पिता आराम से समझा सकते हैं।
- सबसे जरूरी बात है कि इस समय इमोशनल होते बच्चे को आप भरोसा दिलाएं कि हर परिस्थिति में आप उसके साथ खड़े हैं।