इंटरनेट के चलते काफी हद तक बच्चे हिंसक वीडियोज और गेम्स से हर रोज रू-ब-रू होते हैं। कई बार इन्हें एक बार देखने के लालच में वे भी इनके चंगुल में बुरी तरह से फंस जाते हैं। इसके अलावा कई बार बच्चों को सोशल मीडिया पर अपनी ही किसी फोटो या कमेंट के लिए बेहद गुस्से या घृणा या फिर अश्लीलता से भरे कमेंट्स भी मिल जाते हैं। बतौर माता-पिता अपने बच्चों को इतने नकारात्मक माहौल से बचाना भी हमारी ही जिम्मेदारी हो जाती है। आइए स्कूलमाईकिड्स के साथ जानते हैं कि ऐसी स्थिति का सामना कैसे किया जाए।
मेरी दोस्त का बेटा 13 साल का है। 8वीं का उसका रिजल्ट बहुत अच्छा आया था, तो पिछले साल ही उसे उसके मम्मी-पापा ने बहुत बढ़िया स्मार्ट फोन उसे लेकर दिया। लेकिन कुछ दिन पहले मेरी दोस्त का फोन मेरे पास आया और फिर उसने जो बताया, वह मेरे लिए काफी हैरान कर देने वाला था। मेरी दोस्त का कहना था कि उसके बेटे को पिछले दो-तीन सप्ताह से कोई बेहद अश्लील मैसेज कर रहा है। उन्होंने जब अपने बेटे से पूछा कि वह कौन है तो उसने बताया कि वह उसे ऑनलाइन एक सोशल मीडिया साइट के जरिये जानता है।
आप खुद सोचिए, जिसे आपने कभी देखा नहीं, जिसे आप जानते नहीं, उनके साथ आपके बच्चे परिचित हो रहे हैं। कई बार बच्चे खुद को बेहद अकेला या अलग महसूस करते हैं, जिसकी वजह से वे सोशल मीडिया साइट के जरिये अपने इस अकेलेपन का हल ढूंढ़ते हैं। लेकिन बदले में कभी-कभी यह हल उनकी मुश्किलों को और भी बढ़ा देता है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ बड़े ही ट्रोल्स या हेटफुल मैसेज का शिकार बनते हैं, बल्कि बच्चे ऐसे नकारात्मक लोगों का आसान शिकार होते हैं। लेकिन आपकी सर्तकता आपके बच्चे को उनका शिकार होने से बचा सकती है।
टिप्स जिनसे आप अपने बच्चे का बचाव कर सकते हैंः
1. गैजेट्स इस्तेमाल करने की हो समय सीमा
अगर आपको लगता है कि आपके बच्चे के पास फोन या दूसरे गैजेट्स होने चाहिए तो जरूरी है कि आप उनके इस्तेमाल पर सख्त पाबंदी लगाएं। आप उसके इस्तेमाल के लिए समय सीमा तय करें। अगर आपका बच्चा घर से बाहर जा रहा है तो उसके पास फोन होना जरूरी है, लेकिन इस बात का ध्यान आप रखें कि बच्चा घर वापस आ कर अधिक समय के लिए फोन इस्तेमाल न करे।
2. घृणात्मक या हेटफुल मैसेज का कारण ढूंढ़े
हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती हैं। कोई क्यूं आपके बच्चे को ऐसे मैसेज भेजेगा। जरूरी है कि पहले उसने कुछ कहा हो। आप अपने बच्चे से बातचीत कर यह पूछने का प्रयास करें कि इस बात की शुरुआत कहां से हुई होगी।
3. बच्चे का आत्म-विश्वास बढाएं
आमतौर पर देखा जाता है कि बच्चे एक-दूसरे पर तभी कोई कमेंट करते हैं, जब वे अपनी किसी बात को लेकर असुरक्षित महसूस करते हैं। जैसे कि इस उम्र के लड़के खुद को मैचोमैन दिखाने के लिए अपने दोस्तों या सोशल मीडिया पर चुटकुले सुनाते हैं। आप अपने बच्चों की समस्या को समझें और उन्हें आत्म-विश्वास दिलाएं कि वे अपने आप में पूर्ण हैं, उन्हें किसी दूसरे के किसी प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं है। साथ ही उन्हें यह भी बताएं कि किसी के उनके बारे में कुछ बुरा या गलत बोलने से उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। जैसे कि ‘कोई कहे कि वह गधा है तो क्या आप गधे बन जाएंगे।’
4. बच्चे के साथ सहयोग करें
अगर आपका बच्चा भी इस प्रकार की किसी समस्या से जूझ रहा है तो सबसे पहले तो आपके लिए जरूरी है कि आप उससे बातचीत करें। उसे पूरा विश्वास दिलाएं कि आप उसके साथ हैं और अगर उससे कोई गलती हो भी गई है तो आप उसे इसके लिए गलत नहीं ठहरा रहे। आखिर गलती किससे नहीं होती। आपका विश्वास बच्चे को अपनी बात खुल कर आप तक पहुंचाने में मददगार साबित हो सकता है। वैसे भी टीनएज या किशोरावस्था के बच्चों के साथ माता-पिता कम और दोस्त या मार्गदर्शक बन कर बात करना बेहतर होता है। अगर आपके बच्चे से कोई गलती हुई भी हो तो भी आपको उसे ठीक करने की कोशिश करना चाहिए, न कि बच्चे का दोष निकाल देना शुरु कर देना चाहिए।
5. गलत लोगों व ऐप्स को ब्लॉक करें
जब आप जान ही चुके हैं कि बच्चे को कोई मैसेज भेज रहा है या उसे तंग कर रहा है तो बेहतर होगा कि आप अपने बच्चे से कहें कि वे इन लोगों को ब्लॉक कर दे। अगर लोगों को ब्लॉक करना संभव न हो तो आप उसे वह ऐप ही ब्लॉक या डीलीट करने को कहें। इससे तुरंत ही आपके बच्चे के पास बुरे मैसेज आना बंद हो जाएंगे।
6. बच्चे पर पूरी निगरानी बनाए रखें
सावधानी से बेहतर और कुछ भी नहीं, इसीलिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि आपका बच्चा मोबाइल फोन या अन्य गैजेट्स पर क्या करता या देखता है, इसकी जानकारी आपको रखनी चाहिए। बतौर माता-पिता आप अपने बच्चे को समझा सकते हैं कि अभी वह अपना ज्यादा से ज्यादा ध्यान पढ़ाई में लगाए और सोशल मीडिया को कम से कम इस्तेमाल करे। इसके अलावा आप यह भी ध्यान रखें कि वे जब भी मोबाइल फोन का इस्तेमाल करे तो आप उसके आस-पास ही बने रहें।
7. आप बच्चे के स्कूल में भी बात करें
हो सकता है कि बच्चे की ही जान-पहचान के लोग जैसे कि उसके सहपाठी उससे उसकी किसी बात पर बदला ले रहे हों। इसीलिए जरूरी है कि आप बच्चे के स्कूल प्रशासन से भी इस बारे में बात करें और वहां से सहायता मांगे।
8. साइबर सेल में जरूर शिकायत करें
अगर इतने प्रयासों के बाद भी आपके बच्चे के फोन या दूसरे गैजेट्स पर अब भी उसे परेशान किया जा रहा हो, तो इसकी जानकारी पुलिस के साइबर सेल में जरूर दें। वहां आपको पूरी मदद मिलने की संभावना है, जिससे वे अपराधियों को भी ढूंढ़ने में आपकी मदद कर सकते हैं।
(मनोवैज्ञानिक और रिलेशनशिप एक्सपर्ट डॉ. अनु गोयल से बातचीत पर आधारित)