छोटे बच्चों के लिए खेलने, खाने के साथ-साथ सोना भी बहुत जरूरी होता है, क्योंकि यही वक्त होता है, जब उनका सबसे अधिक और मानसिक विकास भी होता है। ऐसे में अगर बच्चों की नींद में कोई खलल आए तो वे चिढ़चिढ़े भी हो जाते हैं। चलिए आइए जानते हैं कुछ जरूरी टिप्स के बारे में जिनसे आपके बच्चे की नींद में कोई रूकावट नहीं आएगी। (Tips for Healthy Sleep for Your Baby in Hindi)
एक मां के साथ-साथ बच्चे के भी शारीरिक और मानसिक विकास में बहुत मुश्किलें होती हैं, जब बच्चा अपनी पूरी नींद नहीं ले पाता। लेकिन क्या कितना सोना है और कब सोना है, यह बच्चे को मालूम होता है? नहीं, इसके लिए घर में माता-पिता को बच्चे को ऐसा माहौल देना पड़ता है, जिसकी वजह से वह अपनी पूरी नींद ले पाए।
वैसे भी छोटे बच्चों को दिन और रात का कोई फर्क नहीं मालूम होता। अगर वे दिन में बहुत अधिक घंटों के लिए सो जाते हैं तो उनका रात में जागते रहना तो लाजमी भी है। बच्चा जब मां के गर्भ में होता है तो मां जिस समय काम करती है, बच्चा अक्सर सोता है और जैसे ही मां आराम करने लगती है, उसके उठने का वक्त हो जाता है।
कैसे आप अपने बच्चे को अच्छी नींद दिला सकते हैं:
सुबह
हम सभी का दिन सुबह के साथ ही शुरू होता है। और यही आपको भी अपने छोटे बच्चे के साथ करना है। आप हर रोज उसे सुबह उठा दें, फिर भले ही सप्ताहंत या कोई और छुट्टी क्यों न हो। अपने बिस्तर से बाहर निकलें और कमरे में रोशनी आनें दें। बच्चे को प्यार से उठाएं और कुछ देर उसके साथ ऐसे ही खेलें। यह काम आपको किसी एक दिन नहीं करना, बल्कि हर रोज बच्चे को ऐसे ही उठाना है। अगर मौसम अच्छा है तो आप अपने बच्चे को बाहर लेकर जा सकते हैं। सुबह-सुबह घर में आने वाली आवाजों से बच्चे को यह आभास होने लगता है कि दिन शुरू हो चुका है और यह वक्त उसके खेलने का है, न कि सोने का।
दोपहर
दोपहर की नींद छोटे बच्चों के लिए जरूरी होती है, लेकिन पूरी दोपहर सोने के लिए भी नहीं होती। आप अपने बच्चे को जब दोपहर में सुलाएं तो उस कमरे में हल्की-हल्की रोशनी का होना बहुत जरूरी है। कुछ समय के लिए आप घर में सभी आवाजों को बंद कर दें, लेकिन दो से तीन घंटे के बाद बच्चे के उठने का समय हो चुका होता है, इसीलिए आप बाद में घर पर अपने सभी सामान्य काम कर सकते हैं।
वैसे भी बच्चा जब 6 सप्ताह से बड़ा हो जाए तो उसे दिन में बहुत लंबी-लंबी नींद से जगाना ही बेहतर होता है। आप हर रोज अपने बच्चे को पांच-दस मिनट पहले ही उठाएं ताकि उसके सोने का कुल समय दोपहर में 2 से 3 घंटे ही रह जाए।
रात
अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा भी बेहद जल्द अपने सोने-जागने के समय को पहचानने लगे तो उसके लिए जरूरी है कि आप उसकी दिनचर्या को बनाए रखें। आप छोटी-छोटी चीजों जैसे कि नहलाना, किताब पढ़ना, अपने पास लेटाना आदि चीजों के साथ बच्चे को समझा सकते हैं कि अब रात का वक्त हो गया है और हम अपने बिस्तर में सोने वाले हैं। आप बच्चे को हर रोज लगभग एक ही समय और एक ही जगह पर सुलाएं ताकि उसे इसका अभ्यास हो जाए।
रात के वक्त आपको बेहद मद्धम रोशनी और कम से कम आवाज के साथ बच्चे को बहुत शांत वातावरण देना चाहिए, जिससे उसके मन-मस्तिष्क में कोई भी उथल-पुथल न रहे। शोर या गतिविधियों में बच्चे का मन जितना कम उलझेगा, बच्चा उतनी जल्दी सोने का प्रयास करेगा।
समय का रखें ध्यान
बच्चा कब सोएगा, इस सवाल का कोई पुख्ता जवाब नहीं हो सकता। लेकिन अगर आप बच्चे के सुबह उठने के समय और रात को सोने के समय पर नजर रखें तो आपके लिए बच्चे को सही समय पर सुलाना काफी आसान हो जाएगा। माना जाता है जो बच्चे सुबह बिस्तर से उठने में देरी करते हैं, वे रात को देर तक जागते रहते हैं और जो शाम को देर तक सोते हैं, उनके रात में सोने का कोई समय नहीं होता। रात में सोने से पहले अगर आपका बच्चा बहुत देर तक खेलता रहा था या फिर कुछ ही देर खेला था, इन दोनों परिस्थितियों में उसकी रात की नींद की अवधि में जरूर अंतर आएगा।
आपका बच्चा रात को कितनी देर सोएगा, इस पर उसकी पूरे दिन की गतिविधियों का असर होता है। दोपहर को सोकर शाम को उठने वाले या शाम को देर तक सोते रहने वाले बच्चों की रात की नींद काफी खराब होती है, क्योंकि वे दिन के बाकी समय में अपनी नींद को पूरा कर चुके होते हैं। ऐसे में छोटे बच्चे को रात में सही तरह से सुलाने के लिए जरूरी है कि आप उसे दोपहर को आधे घंटे पहले उठा लें और रात को सुलाने के लिए आधे घंटे पहले ही तैयारी करें। ऐसे में आपका बच्चा आधे घंटे के लिए खेल कर थक जाएगा और समय पर सो जाएगा।
बहुत छोटे बच्चे को रात में अच्छी नींद दिलाने के लिए यहां महत्वपूर्ण टिप्स बताए गए हैं, जिन पर ध्यान देते हुए आप भी अपने बच्चे की नींद को कम मेहनत के साथ पूरा करा सकते हैं।