आजकल लोगों को इस बात पर शंका होती है कि प्राकृतिक डिलीवरी या प्रसूति की दर कम क्यों हो गई है और सिजेरियन डिलीवरी के मामले क्यों बढ़ गए हैं। आजकल यह भी अवधारणा बन गई है कि डॉक्टर सिजेरियन डिलीवरी को ज्यादा समर्थन देते हैं। लेकिन क्या हर बार डॉक्टर की मर्जी ही सब कुछ है? या गर्भवति मां की हालत भी इसकी जिम्मेदार है? चलिए इस बारे में और आगे चर्चा करते हैं। डॉ। तनिमा सिंघल, डॉक्टर (आयुर्वेद प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ) और बच्चे के जन्म और गर्भावस्था के शिक्षक द्वारा सामान्य प्रसव में मदद करने के लिए सरल उपाय जानने के लिए पढ़ें.
मौजूदा समय में नॉर्मल डिलीवरी एक सपना लगने लगा है। ज्यादातर मामलों में सी-सेक्शन या डिलीवरी के लिए सर्जरी को ही प्राथमिकता दी जा रही है। लेकिन इसकी वजह सिर्फ डॉक्टर का दिया हुआ विकल्प ही नहीं, बल्कि गर्भवति महिला की स्थिति भी होती है। कई बार प्रसव पीड़ा या लेबर्स में ऐसी महिलाएं अस्पताल तक पहुंचती हैं जो बच्चों को जन्म देने की दर्द को झेल पाने की स्थिति में ही नहीं होतीं। उनके शरीर में इतनी लचक ही नहीं होती कि वे बच्चों को जन्म देने की प्राकृतिक स्थिति में भी रह पाएं।
कहीं न कहीं इसका कारण मौजूदा जीवनशैली या लाइफस्टाइल है, जिसमें महिलाओं की शारीरिक गतिविधियां बहुत कम हो गई हैं।
सामान्य प्रसव में मदद करने के लिए सरल उपाय (नॉर्मल डिलीवरी के लिए पेरेंटिंग टिप्स)
आज प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाएं उतनी सक्रिय या इतना शारीरिक श्रम नहीं करतीं, जितना पहले के वक्त में होता था। इसके साथ ही दूसरा कारण गर्भावस्था के बारे में लोगों में जानकारी बहुत ही कम है। आजकल कई अस्पतालों में एंटेनेटल क्लास या गर्भावस्था के विभिन्न विषयों पर जानकारी देने के प्रोग्राम शुरु हो चुके हैं। इनमें भाग लेने के साथ ही आप और नई जानकारी व व्यायामों के बारे में जान सकते हैं।
व्यायाम करें:
प्रेग्नेंसी के दौरान सबसे अधिक जरूरी है कि आज की तिथि में गर्भवति महिलाएं व्यायाम करती रहें। यह पेल्विक मसल या पेंडू की मांसपेशियों को बच्चे को जन्म देने के लिए तैयार करेगा। आज गर्भावस्था को लेकर महिलाओं में जानकारी बेहद कम है, जिसकी वजह से वह अपने शरीर को खासकर पेल्विक मसल को लचीला नहीं कर पातीं। आप चाहें तो एंटेनेटल क्लासेज में प्रेग्नेंसी के दौरान किए जाने वाले पेल्विक फ्लोर व्यायामों को भी सीख सकती हैं। इसमें स्कवैटिंग, डक वॉक, पेंगुइन वॉक और कीगल एक्सरसाइज शामिल हैं। इससे प्राकृतिक डिलीवरी होने के अवसर अधिक हैं।
प्रेग्नेंसी में होने वाले दर्द के लिए व्यायामः
पीठ दर्द आदि के लिए आप शरीर के ऊपरी और निचले भाग के लिए भी व्यायाम कर सकते हैं। इसमें शरीर के विभिन्न हिस्सों की स्ट्रेचिंग शामिल है। ध्यान दें कि डॉक्टर या योग एक्सपर्ट की राय के बिना कोई भी व्यायाम न करें।
योग से मिलेगी मदद:
गर्भधारण की पहली तिमाही से ही आप योग आसन सीख सकती हैं। इसमें प्राणायाम का भी बहुत महत्व है। डॉक्टर या योग एक्पर्ट आपको आपकी स्थिति के अनुसार योग मुद्राएं सीखा देंगे। आप अपनी डॉक्टर से सलाह ले कर इन्हें घर पर भी कर सकते हैं।
लेबर के दौरान कैसे लें सांसें:
आप पहली बार मां बन रही हैं और आपको लेबर पेन्स या प्रसव पीड़ा के बारे में कोई भी जानकारी नहीं है, तो यह आपकी डिलीवरी को और भी मुश्किल बना देता है। लेबर पेन्स में किस तरह सांसें लेनी चाहिए या ब्रिदिंग होनी चाहिए यह जानकारी भी आपको नॉर्मल डिलीवरी के और करीब ले जाएगी। प्रसव के समय बच्चे तक ऑक्सिजन का पहुंचना भी बहुत जरूरी है। प्रेग्नेंसी के दौरान ही ब्रिदिंग एक्सरसाइज सीखनी चाहिए, जो आपको बच्चे के जन्म के समय बहुत मददगार साबित होता है।
लमाज क्लासेज:
प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर और हार्मोनल कई बदलाव आते हैं, जिनके लिए आपको अपने परिवारजनों का भावनात्मक समर्थन मिलना भी बेहद जरूरी है। इसके लिए फेमिली काउंसलिंग सेशन में भी भाग लेना चाहिए। इसमें पार्टनर के रूप में आपकी डिलीवरी के वक्त क्या भूमिका रहेगी, यह सब समझाया जाता है। इसमें आपके पति, सास-ससुर, बहन आदि कोई भी काउंसलिंग में भाग ले सकते हैं। इन सेशंस को लमजा क्लासेज कहते हैं।
प्रसव पीड़ा के दौरान क्या करें
अभी तक तो हम बात कर रहे थे कि प्रेग्नेंसी के दौरान क्या करें कि आपकी डिलीवरी प्राकृतिक रहे। इसके अलावा आपको प्रसव पीड़ा या लेबर्स के दौरान क्या-क्या करना चाहिए आइए जानते हैं।
- लेबर पेन्स शुरू होने के बाद आपको बहुत ज्यादा लेटना नहीं चाहिए। ऐसे में हमें ज्यादा से ज्यादा सैर करना चाहिए। इससे बच्चे को और नीचे आने में मदद मिलती है और आपका प्रसव का समय भी कम हो जाता है।
- जब आपको दर्द हो रहा हो तो आपका पार्टनर आपकी पीठ पर मसाज दें। इससे आपको दर्द में आपको थोड़ी राहत मिलती है।
- सकारात्मक सोच रखना बहुत जरूरी है। आपको यह सोचना चाहिए कि आप यह आसानी से कर सकती हैं। इसके लिए आप प्रेग्नेंसी के दौरान चलने वाली क्लासेज में भाग लेती रहें।
- लंबी-लंबी सांसें लें, इससे आपके बच्चे तक ऑक्सिजन पूरी मात्रा में मिलती रहेगी।
मां और बच्चे, दोनों की सेहत के लिए बेहतर होता है कि गर्भवति मां प्राकृतिक डिलीवरी से ही बच्चे को जन्म दे। अगर आप भी अपनी नॉर्मल डिलीवरी चाहती हैं तो इन टिप्स को जरूर ध्यान में रखें।