सिर्फ व्यस्क या कॉलेज के छात्र ही तनाव से रोज दो-चार नहीं होते हैं। बल्कि आजकल बड़ों के साथ-साथ टीन एज के बच्चों में भी तनाव तेजी से अपने पैर पसार रहा है। मुश्किल इस बात की है कि कई बच्चे इन परिस्थितियों से खुद को निकाल पाने के काबिल नहीं होते। यही वजह है कि वे कई बार तनाव के चलते अवसाद और नकारात्मकता से भी घिर जाते हैं।
‘मम्मी, मुझे जीना अच्छा नहीं लगता। यहां कोई भी मेरा दोस्त नहीं है। मुझे यहां से ले जाओ, वरना मैं खुद को कुछ कर दूंगा।’ हो सकता है, आपको यह किसी फिल्म का संवाद लग रहा हो। लेकिन ये संवाद नहीं, बल्कि कई टीनएज बच्चों की जिंदगी का सच है। आपको शायद यकीन नहीं होगा, लेकिन किसी न किसी कारण से लगभग-लगभग पिछले 10 सालों, 2009 से 2019 तक, 81,758 छात्रों ने अपनी जान गंवाई है। यानी लगभग हर 1 घंटे में 1 बच्चा खुद को मौत के हवाले कर देता है।
टीनएज बच्चों में तनाव के कारण
आखिर क्या ऐसी वजह है कि बच्चे इतना तनाव में चले जाते हैं कि उन्हें उनके आस-पास की दुनिया बेमानी लगने लगती है? बच्चे तनाव की गिरफ्त में क्यूं और कैसे पहुंचते हैं, इसके कई कारण हो सकते हैं।
- स्कूल में अच्छा प्रदर्शन न कर पाना।
- कॉलेज या स्कूल में रैगिंग या बुलिंग।
- लव-अफेयर में धोखा।
- माता-पिता की बच्चे से ज्यादा अपेक्षाएं।
- इंटरनेट की दुनिया में खेलों या अंजान लोगों का दबाव।
- दोस्तों का दबाव।
इसके अलावा भी कई कारण हो सकते हैं। लेकिन जरूरी है कि माता-पिता अपने बढ़ते बच्चों की गतिविधियों पर बराबर नजर बनाए रखें और जरूरत पड़ने पर उनका दोस्त बनें। बच्चों के साथ जब भी कोई गलत चीज घटित होती है तो भले बच्चे आपको न बताएं, लेकिन बच्चों से आपको कुछ ऐसे संकेत जरूर मिलते रहेंगे जो आपके लिए अलार्म का काम करते हैं। इन संकेतों की नजरअंदाजी काफी भारी पड़ सकती है।
संकेत जो बताते हैं कि बच्चा तनाव में हैः
1. नींद का न आना
टीनएज के बच्चों को नींद बहुत प्यारी होती है, लेकिन अगर उनकी नींद गायब है या कम हो रही है, तो इस बात का साफ अंदेशा होता है कि जरूर उनके साथ कुछ गड़बड़ चल रही है। ऐसे में आप उन्हें रात को सोने से पहले उनके मोबाइल फोन का इस्तेमाल कम समय के लिए करने को कह सकते हैं, ताकि उनकी नींद में कोई बाधा न आए।
2. बेचैनी बढ़ना
जब भी कोई मुश्किल आती है तो बच्चे अपने आप को सहज कर पाने में असमर्थ महसूस करते हैं, उन्हें बेचैनी महसूस होती है। अगर आपका बच्चा भी आराम न कर पा रहा हो और बहुत बेचैन हो तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि वह तनाव की स्थिति से गुजर रहा हो।
3. खान-पान में बदलाव
आपका बच्चा ज्यादा खाने लगे या उसकी खुराक कम हो जाए, खान-पान में बदलाव का मतलब सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक तनाव से भी लिया जा सकता है। बहुत अधिक मात्रा में जंक फूड या सेहत के लिए हानिकारक भोजन करने से मूड में भी बदलाव तेजी से होते हैं, जिसकी वजह से व्यवहार में भी परिवर्तन होता है। टीनएज बच्चों में तनाव से जुड़े अध्ययन में पाया गया है कि लगभग 30 प्रतिशत बच्चे अपना एक समय का खाना खाना ही बंद कर देते हैं।
4. अत्यधिक गुस्सा या भावनात्मक तौर पर टूट जाना
बच्चा टीनएज में है, इसीलिए हॉर्मोनल असंतुलन की वजह से यह सब हो रहा है। हर बार हॉर्मोन्स पर बात को टाल देना भी सही नहीं है। कभी-कभी वजह कुछ और या फिर बहुत गहरी हो सकती है। अगर आपके बच्चे को भी बहुत जल्दी-जल्दी गुस्सा आता है, वह दुखी रहता है या हर बात पर चिढ़ता है तो आपको उसके साथ बातचीत करनी चाहिए। हो सकता है कि उसे किसी बात का तनाव हो और आपसे बातचीत करके उसकी समस्या कम या खत्म हो जाएं।
5. जोखिमभरी गतिविधियां
अगर आपका बच्चा भी ड्रग्स या शराब को पहली बार लेने की इच्छा जताए या आपको शक हो कि वह इस तरह की चीजों का प्रयोग लगातार कर रहा है तो यह भी एक संकेत हो सकता है कि बच्चा खुद को तनाव से दूर रखने की कोशिश कर रहा हो।
कैसे करें बच्चे की मदद:
- माता-पिता कि जिम्मेदारी होते हैं, उनके बच्चे। बच्चा कब और क्या महसूस कर रहा है, यह जानना भी हमारी जिम्मेदारी है। ऐसे में बहुत जरूरी है कि आप बच्चे से लगातार बात करते रहें और उन्हें सुनें।
- माता-पिता अपने बच्चों से उदाहरण के माध्यम से बातचीत करें और उन्हें समझाएं कि किसी भी गलती की सजा मौत नहीं होती। गलती तो सभी करते हैं और उसे समय रहते सही किया जा सकता है। इसके अलावा माता-पिता को बच्चों से बातचीत कर उनकी परेशानियों को सुनना और उनका हल निकालने में उन्हें मदद भी करनी चाहिए।
- बच्चों की बातों को सुन कभी उन्हें यह न कहें कि ऐसा तो कुछ नहीं है, तुम्हें ही हर चीज ज्यादा लगती हैं। जैसे कि हर बच्चा अलग होता है, वैसे ही हर बच्चा अलग तरह से किसी भी चीज या बात को महसूस करता है।
- तनाव के कारणों का पता लगाएं। माता-पिता के लिए बहुत जरूरी है कि वे अपने बच्चे का साथ देते हुए, उसकी परेशान होने की वजह को ढूंढ़ें और अगर वे खुद मदद करने में सक्षम न हों तो ऐसे में प्रोफेशनल मदद लेनी चाहिए।
- बच्चे अक्सर दूसरों के उदाहरण से जल्दी सीखते हैं। अगर आपको लगता है कि आपको भी ऐसा करना चाहिए तो आप तनाव से लड़कर जीतने वाले लोगों खासकर लोकप्रिय लोगों की कहानियों के बारे में बच्चे को बताएं।
- बच्चे की चीजों को कम करने से कुछ नहीं होगा, बल्कि जितना हो सके, बच्चे को अपना समय दें। आप जितना उसके साथ समय बिताएंगे, उसे महसूस होगा कि वह आपके लिए कितना अहम है और वह किसी भी गलत चीज को करने से पहले कई बार सोचेगा।
वाकई तनाव कोई चरण या कोई चलन नहीं है। बल्कि यह एक परिस्थिति है, जिसका डटकर सामना करना चाहिए। भले शरीर से टीनएज बच्चे बड़े लगने लगें, लेकिन इनका मानसिक विकास मौजूदा तनाव और दबाव को सह पाने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं होता। पर माता-पिता का प्यार और साथ उनकी ढाल का काम करता है साथ ही बच्चे का आत्म-विश्वास बढ़ाएं कि वह इस परिस्थिति का भी सामना करने में समर्थ है।