अपना और अपने बच्चों के स्क्रीन टाइम को कैसे करें कंट्रोल । ज्यादातर माता-पिता इलेक्ट्रॉनिक गैजट्स जैसे टीवी, मोबाइल फोन या कंप्यूटर की स्क्रीन पर 9 घंटे से भी अधिक का समय बिताते हैं और हैरत की बात यह है कि यह समय उनके काम करने के समय में शामिल नहीं है या कहें कि इसका एक छोटा सा हिस्सा ही वे अपने काम के लिए इन चीजों का इस्तेमाल करते हैं। क्या आप भी इन्हीं लोगों में शामिल हैं?
क्या आप भी शिकायत करते हैं कि आपका बच्चा मोबाइल फोन या टीवी को छोड़ ही नहीं पाता है? अगर हां, तो हमारे सिर्फ एक सवाल का जवाब दीजिए कि आप कितना वक्त टीवी, मोबाइल फोन या कंप्यूटर पर बिताते हैं? एक घंटा? दो घंटे? तीन या फिर पांच?
अगर आपको विश्वास न हो तो कई माता-पिता ऐसे भी हैं जो एक दिन में 9-9 घंटे तक टीवी, मोबाइल फोन और कंप्यूटर की स्क्रीन से चिपके रहते है। अगर अब भी आप अपने बच्चे की समस्या को समझ नहीं पा रहे हैं तो हम आपको समझाते हैं। कहते हैं कि बच्चे हमारी ही नक्ल करते हैं। अगर आप वजह-बेजह टीवी या मोबाइल फोन का इस्तेमाल करेंगे, तो बच्चे भी वैसा ही करना चाहेंगे।
विश्व स्वास्थ संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 1 साल तक के बच्चे को बिल्कुल भी किसी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट नहीं दिखाना चाहिए, जबकि 4 साल तक के बच्चों को अधिक से अधिक 1 घंटे से अधिक समय के लिए टीवी नहीं देखना चाहिए। एक अच्छे माता-पिता होने के नाते हमारा यह फर्ज बनाता है कि हम अपने बच्चों के लिए रोल मॉडल बनें और उन्हें दूसरी रचनात्मक गतिविधियों में लगाएं, जिससे उनका शारीरिक और मानसिक, दोनों तरह से विकास हो पाएं। अगर विश्व स्वास्थ संगठन की उसी रिपोर्ट की मानें तो टीवी, वीडियो या मोबाइल फोन स्क्रीन को कम से कम देखने वाले बच्चों में थुलथुलापन कम होता है और उनकी काम करने की क्षमता और संज्ञात्मक विकास के साथ-साथ मनोसामाजिक स्वास्थ भी दुरुस्त रहता है।
वहीं पीजीए लैब्स की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि हमारे देश में जहां वर्ष 2016 में एक व्यक्ति औसतन ढाई घंटे का समय मोबाइल फोन देखने में लगाता था, वहीं वर्ष 2024 तक यह समय बढ़कर लगभग 4 घंटे तक पहुंच जाएगा। इसकी एक अहम वजह आसानी से उपलब्ध स्मार्टफोन हैं। इन आंकड़ों के साथ हम हिंदुस्तानी आसानी से अमेरिकी नागरिकों को भी पीछे छोड़ देंगे।
कैसे करें स्क्रीन टाइम को कम – अपना और अपने बच्चों का
अगर आप स्क्रीन टाइम को अपने घर में भी कम करना चाहते हैं, जिससे बच्चों पर कम से कम असर पड़े तो उसके लिए कुछ टिप्स यहां बताए जा रहे हैं ये टिप्स आपको अपना और अपने बच्चों का स्क्रीन टाइम को कंट्रोल करने में मदद करेंगे
1. भोजन के समय मोबाइल फोन या टीवी पर लगाएं रोक:
भोजन करते समय अक्सर हमारे घर-परिवारों में समाचार चैनल के नाम पर टीवी का इस्तेमाल किया जाता है। आप अपने लिए समाचार चैनल देखने का वक्त बदलें और भोजन के वक्त, बिल्कुल भी टीवी या मोबाइल फोन का इस्तेमाल करें। अगर किसी को कोई बेहद जरूरी काम भी हो तो भी सिर्फ भोजन के वक्त मोबाइल फोन की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए। उसे कहें कि या तो वह पहले काम खत्म करे या फिर भोजन।
2. रात को सोते समय मोबाइल फोन को रखें दूर:
दिन के सभी काम निपटाने के बाद अक्सर सोने से पहले लोग अपने मोबाइल फोन में मैसेज या दूसरी सोशल मीडिया साइट्स को सर्च करते हैं। यह आदत बहुत खराब है। कम रोशनी में मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने से जहां एक तरफ आंखों पर बुरा प्रभाव पड़ता है, वहीं सोने से पहले मोबाइल फोन के इस्तेमाल से हमारे दिमाग को भी सक्रिय रहने के संकेत मिलते हैं। इसकी वजह से नींद के पैटर्न में भी रूकावट आती है। जिस परिवार में माता-पिता के साथ ही बच्चे सोते हैं, वहां तो स्थिति और भी खराब है। अक्सर बच्चे भी माता-पिता के फोन में झांकते हैं या माता-पिता को ऐसा करते देख वे खुद भी अपना फोन इस्तेमाल करते हैं। इसीलिए सोने से पहले फोन को दूर ही छोड़ना बेहतर विकल्प है।
3. फैमिली टाइम में कोई एक्टिविटी करें:
जरूरी नहीं है कि जब भी आप फेमिली के साथ हो तो कोई न कोई फिल्म या वीडियो गेम ही खेला जाए। इसकी जगह आप अपने परिवार के साथ क्राफ्ट संबंधित एक्टिविटी कर सकते हैं। चाहें तो आप बच्चे को क्रिएटिविटी क्लासेज में भी प्रवेश दिला सकते हैं, जहां उन्हें दूसरे बच्चों का साथ भी मिलेगा और उनका सामाजिक विकास भी होगा।
4 बाहर भी फोटो, वीडियो कम बनाएं:
सेल्फी और टिक-टॉक के जमाने में यह उम्मीद करना बहुत मुश्किल है कि आप जब भी परिवार के साथ कहीं बाहर जाएं तो कम से कम तस्वीरें लें या वीडियोज बनाएं। लेकिन बच्चों को मोबाइल फोन से दूर रखने में आपकी यह आदत भी बहुत कारगर साबित हो सकती है।
5. बड़े बच्चों का रखें ख्याल:
बड़े बच्चे अक्सर सोशल मीडिया साइट्स पर ज्यादा सक्रिय रहते हैं। इसकी एक वजह उनका अपनी तरफ ध्यान केंद्रित करना होता है। कई बार वे अपनी भावनाएं अपने माता-पिता की जगह अजनबियों को बताते हैं। अपने बच्चों को भावनात्मक सहयोग दें, खासकर तब जब बच्चे बड़े हो रहे हों। जब आप उन्हें वक्त देंगे तो निश्चित ही उनका मोबाइल फोन और लैपटॉप पर ध्यान कम होने लगेगा।
एक नजर इधर भी:
- वर्ष 2024 तक हमारे देश में एक व्यक्ति औसतन 4 घंटे मोबाइल फोन की स्क्रीन देखने में बिताएंगे।
- एंटरटेनमेंट सबसे बड़ा वर्ग है, जिसे सबसे ज्यादा स्क्रीन पर देखा जाता है।
- मोबाइल स्क्रीन पर सबसे अधिक समय मध्यम आय वर्ग बिताता है।
- वर्ष 2018 में ऐप ऐनी नामक कंपनी की एक रिपोर्ट के अनुसार एक भारतीय के फोन में लगभग 78 ऐप्स होती हैं, जिनमें से वे 43 के करीब हर महीने इस्तेमाल करते हैं।
आज के दौर में मीडिया से हमें काफी फायदे होते हैं, वह हमें अपडेट रखता है। खुद को अपडेट रखना भी चाहिए, लेकिन कहीं खुद को अपडेट रखने के चक्कर में आप अपने बच्चों का नुकसान तो नहीं कर रहे। खुद के स्क्रीन टाइम को नियंत्रित करने का यही सही समय है, साथ ही इससे सेहत को होने वाले नुकसान से भी अपने बच्चें को रु-ब-रु करने की जरूरत है। तो क्या आप तैयार हैं?