बच्चे को स्तनपान बंद कराना कई माताओं के लिए बेहद सहज होता है तो कई मातओं के लिए बहुत मुश्किल, इसका कोई एक खास फॉर्मूला नहीं है, जिसके चलते बच्चा रातों-रात मां का दूध पीना बंद कर देता है। चलिए जानते हैं कि कब और कैस आप सहजता के साथ बच्चों को स्तनपान करना बंद कर सकती हैं।
स्तनपान बंद करने के कई कारण हो सकते हैं। कई बार माताएं किसी शारीरिक या चिकित्सीय कारणों की वजह से अपने बच्चे को स्तनपान नहीं करा पातीं तो कई बार नौकरी-पेशे की वजह से मां अपने बच्चे को अपना दूध नहीं पिला पाती। बच्चों को दूध न पिलाने के कई निजी कारण भी होते हैं। जितने अधिक इसके कारण है, उतने ही मुश्किल दूध छुड़ाना लगता है।
आमतौर पर स्तनपान बंद करना बच्चे से ज्यादा मां की जीवनशैली पर निर्भर करता है। डॉक्टर सलाह देते हैं कि कम से कम 6 माह तक बच्चे को सिर्फ और सिर्फ मां का दूध की दिया जाना चाहिए और एक साल तक अन्य चीजों के साथ बच्चे को मां का दूध मिलना चाहिए। पर क्या हम ऐसा कर पाते हैं? बिल्कुल भी नहीं। अक्सर किसी न किसी वजह से मां को बच्चे को अपना दूध देना कम या छुड़ाना पड़ता है। आइए जानते हैं कैसे इस प्रक्रिया को अधिक से अधिक सहज और सरल बनाया जा सकता है।
कई बच्चे बेहद शांत और हर परिस्थिति में खुद को ढाल लेने में सक्षम होते हैं। ऐसे बच्चों के साथ माता-पिता को कभी भी बहुत अधिक परेशानियां नहीं पेश आती। ऐसे बच्चों को आप किसी जगह घूमने जाने के दौरान भी अपना दूध पिलाना छुडा सकती हैं। दूसरे बच्चों के मामले में आपको थोड़ा अधिक संयमी होना पड़ेगा।
बच्चो का स्तनपान करना कैसे बंद करे – Weaning Stop Breastfeeding
0 से 6 माह की आयु में
बच्चा दूध पीना बंद करे या आप बच्चे से अपना दूध छुड़ा रही हों- दोनों ही मामलों में आपको कई बार हैरानी होगी। स्तनपान बंद करने के लिए भी आपको कई बदलावों के लिए तैयार रहना पड़ेगा। कैसे 6 माह की आयु से पहले ही आप अपने बच्चे का स्तनपान बंद कर सकती हैं, आइए जानते हैं।
बोतल करें शुरू
अगर आप 6 माह से कम उम्र के बच्चे का स्तनपान बंद करने के बारे में सोच रही हैं तो आपके लिए बोतल एक बहुत बड़ा सहारा बन सकती है। स्तनपान कराने की जगह आप हर बार बच्चे को फॉर्मूला दूध बोतल से दे सकती हैं। कहने में यह जितना आसान है, करनें में जरूरी नहीं कि आपको बहुत आसानी हो, क्योंकि 3 से 4 माह के बच्चे आसानी से स्वाद को पहचानते हैं, वे अधिक सजग होते हैं। ऐसे में अचानक से उन्हें बोतल के जरिये फॉर्मूला दूध पर लाना आसान नहीं होता। ऐसे में आप डेढ़ माह के बच्चे को बोतल देना शुरू कर सकते हैं, ताकि वह दूसरे स्वाद को भी पहचान ले और बाद में आपको कोई खास दिक्कत न हो।
इसके अलावा अगर आप या कोई और बच्चे को बोतल से दूध पिलाता है तो आपको एकदम से हार नहीं माननी चाहिए। हो सकता है, बच्चा दूध पिलाने की पोजीशन या जगह की वजह से परेशान हो। ऐसे में आप बच्चे की पोजीशन और जगह दोनों बदल कर उसे बोतल से दूध पिलाने की कोशिश करें। कई बार छोटे बच्चे मां के हाथ से बोतल नहीं लेते। ऐसे में आप किसी और को बच्चे को दूध पिलाने को कहें। लेकिन इस प्रक्रिया के दौरान आप बहुत अधिक तनाव में मत आएं, न ही बच्चे को तनाव में रखें।
मां क्या करें
जब मांएं शुरू-शुरू में बच्चे को अपना दूध देना बंद करती हैं, तो उसकी वजह से उनके स्तन काफी भारी हो जाते हैं। कई बार इस कारण उनके स्तनों में दर्द भी होती है। इस स्थिति से बचने के लिए आप लगभग 5 मिनट के लिए बर्फ की सिकाई अपने स्तनों पर करें अगर तब भी राहत महससू न हो तो ब्रेस्ट पम्प की सहायता से अपना दूध निकालें। लेकिन 3 मिनट से अधिक पम्प न करें।
धीरे-धीरे बदलें आदत
जब बात छोटे बच्चों की कोई आदत छुड़ाने की होती है, तो कोई भी चीज एकदम से नहीं छोड़ी जा सकती, फिर चाहे स्तनपान या ब्रेस्टफीडिंग ही रोकने की हो। ऐसे में मां को संयम बनाए रखना चाहिए। मां हर तीन से चार दिन में एक बार अपना दूध देने की जगह बच्चे को बोतल से दूध पिला सकती हैं। इससे मां के स्तन भी बहुत अधिक भारी नहीं होंगे और साथ ही बच्चा भी एकदम से मां का दूध न मिलने की वजह से बेचैन भी नहीं होगा। धीरे-धीरे आप बच्चे को दिन के समय अपना दूध देना भी बंद कर सकती हैं। बच्चे अक्सर सुबह-सुबह और रात को सोते समय मां का दूध मांगते हैं, ऐसे में यह दोनों वक्त आप बच्चे को अपना दूध दें और बाकी समय बोतल से दूध पिलाने की कोशिश करें।
6 से 12 माह की आयु:
अक्सर देखा जाता है कि 8 से 10 माह के बच्चों में मां का दूध पीने की दिलचस्पी कम होने लगती है। यह समय है जब बच्चा मां के स्तन को मुंह में लेकर खेलना शुरू कर देता है। वह दूध को पीने से अधिक इधर-उधर देखने में ज्यादा दिलचस्पी रखता है, क्योंकि इस समय बच्चा कई अन्य संवेदी जानकारियां ग्रहण कर रहा होता है। ऐसे में अगर आप बच्चे को स्तनपान कराना बंद करना चाहती हैं तो यह बिल्कुल उचित समय है।
कई बच्चे इसका अपवाद भी होते हैं, क्योंकि लगभग 9 माह के बच्चे अलगाव से जुड़ी बेचैनी भी महसूस करना शुरू कर देते हैं, ऐसे में उन्हें मां का स्पर्श बाकी बच्चों की तुलना में अधिक चाहिए होता है। अगर आपको भी महसूस हो कि आपका बच्चा आपके बगैर काफी परेशान होता है तो आपको अभी और इंतजार करना होगा।
- बोतल न दें: अगर आपका बच्चा 9 माह से अधिक है और वह आसानी से खुद उठ-बैठ जाता है, तो ऐसे में आप बच्चे को बोतल से दूध पिलाने की बजाए, सीधा सिप्पी कप या सिप्पर का इस्तेमाल करने का प्रयास करें। इसके अलावा आप बच्चे को ठोस आहार भी दें, जिससे उसका पोषण पूरा होता रहे। क्योंकि बेहद जल्द आपको अपने बच्चे को बोतल से कप आदि पर लाने की दोबारा कोशिश करनी होगी और ऐसी स्थिति में बच्चा बहुत परेशान होने लगेगा। अगर आप बच्चे को अपना स्तनपान बंद कराना चाहती हैं तो बेहतर होगा कि आप लगभग 1 माह पहले ही धीरे-धीरे बच्चे को कप से दूध और अन्य तरल पिलाना शुरू कर दें, ताकि धीरे’-धीरे बच्चा सहजता से इस बदलाव को भी स्वीकार कर लें।
- आजकल बाजार में बहुत सुंदर-सुंदर और निप्पल के आकार जैसे मुंह वाले प्लास्टिक के कप उपलब्ध हैं, जिनसे बोतल की तरह ही दूध निकलता है। साथ ही इस बात का ध्यान भी रखें कि कप का ढक्कन ठीक से बंद होना चाहिए, जिससे दूध बच्चे पर न गिरे। आप इस कप से बच्चे को खाना खिलाते हुए पानी भी पिला सकती हैं। और जैसे-जैसे बच्चे को इस कप की आदत होने लगे तो आप उसे इसमें अपना दूध या फॉर्मूला दूध भी दे सकती हैं।
- पूरा ध्यान दें: बच्चे कई बार मां का दूध पीना इसीलिए भी नहीं छोड़ते, क्योंकि यही समय होता है, जब दोनों एक-दूसरे पर सबसे ज्यादा ध्यान दे पाते हैं और बच्चों को तो आपका ध्यान वैसे भी सबसे ज्यादा चाहिए। इसीलिए जब भी आप बच्चे को स्तनपान कराना बंद करें तो भी उसके साथ अच्छा समय व्यतीत करें।
- ध्यान भटकाएं: और बड़े बच्चों के मामले में विशेषज्ञों का मानना है कि उनका ध्यान भटकाना ही सबसे बढि़या तरीका है। जैसे ही बच्चे आपसे आपका दूध मांगें तो आप उन्हें किसी खेल में लगाने की कोशिश करें।
कई मांएं ऐसी भी होती हैं, जो बच्चे को अपने दूध के साथ-साथ बोतल से भी दूध पिलाना चाहती हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि उनका दूध बच्चे के लिए पर्याप्त न होना या उनका नौकरी करना। ऐसे में बच्चे के पोषण के लिए मां अपने दूध और बोतल के दूध दोनों पर निर्भर करती है। अगर बच्चा बोतल से दूध पी रहा हो तो ऐसे बच्चों को मां का दूध छोड़ने में अधिक समय नहीं लगता।