क्या आपके भी टीनएजर या प्रीटीन बच्चे नहाने के वक्त अलग-अलग बहाने बनाते हैं? अपने बच्चों को कैसे आप सेहतमंद बने रहने के लिए जरूरी साफ-सफाई से संबंधित बातों को सीखा सकते हैं, आइए जानते हैं स्कूलमाईकिड्स के साथ।
किशोरावस्था में बच्चों के साथ काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं। ऐसे में वे कई बार अपनी निजी साफ-सफाई और नहाने-धोने पर इतना ध्यान नहीं दे पाते। बच्चों के साथ निश्चित तौर पर हर बार सख्ती से पेश नहीं आया जा सकता, खासतौर पर तब जब बात उनकी साफ-सफाई की हो। ऐसे में जरूरी है कि आप कुछ बातों को समझें और कुछ बच्चों को भी समझाएं।
1. किशोर बच्चे अपनी लुक्स को लेकर भी काफी सजग होते हैं।
टीनएजर बच्चे अपने कपड़ों से लेकर मेकअप और लुक्स के लिए भी काफी सजग होते हैं। अगर कोई उन्हें किसी खास कपड़ों के लिए अच्छी प्रतिक्रियाएं देते हैं तो वे उन्हीं कपड़ों को बार-बार पहनना पसंद करते हैं। यहां तक कि कई बार कपड़े साफ भी न हों तो भी वे गंदे कपड़ों पर ही परफ्यूम डाल कर उन्हें पहन लेते हैं। क्योंकि वे अपनी लुक्स को लेकर गंभीर हैं। उन्हें हमेशा बेस्ट दिखना ही पसंद है और उन्हें लगता है कि दूसरे कपड़ों में वे उतने अच्छे दिखाई नहीं दे रहे।
आप क्या करें
ऐसे में आप अपने बच्चों में उनकी लुक्स के प्रति विश्वास दिलाएं कि वे हर तरह से अच्छे दिखते हैं और साथ ही उन्हें समझाने का प्रयास करें कि साफ कपड़े पहनने से उनका व्यक्तित्व भी दूसरों के सामने अच्छा लगता है, जबकि गंदे कपड़े उनकी व्यक्तित्व को भी दबाते हैं और उनका प्रभाव भी फीका पड़ता है।
2. बच्चों को बहुत सारे कामों पर एक साथ ध्यान देना पड़ता है।
बिल्कुल, टीनएज बच्चों को स्कूल, स्कूल के बाद ट्यूशन, अन्य गतिविधियों से जुड़ी क्लासेज, खाना, होमवर्क, कमरे की साफ-सफाई सभी पर ध्यान देना पड़ता है। ऐसे में उन्हें नहाना या निजी साफ-सफाई बेहद ही सामान्य काम लगता है, जिसके न होने से उन्हें कोई खास फर्क नहीं पड़ता। इसीलिए वे इसकी कई बार अनदेखी भी कर देते हैं।
आप क्या करें
अगर आपको लगता है कि बच्चे न नहाने के लिए सिर्फ टालमटोल करते हैं तो आप उन्हें उनकी निजी सफाई बनाए रखने के लिए भी सख्ती से कह सकते हैं। क्योंकि यह उनकी सेहत के लिए बेहद जरूरी है। इसके लिए आप नियम बना सकते हैं कि बच्चा सुबह सबसे पहले उठकर नहाए-धोएगा। इसके लिए जरूरी है कि आप जैसे बच्चे को अन्य जिम्मेदारियों को बार-बार याद दिलाते हैं, वैसे ही सुबह नहाने के बारे में भी बताते रहें।
3. बदलावों को बच्चा नहीं अपनाता
किशोरावस्था में शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार के बदलाव होते हैं। कई बच्चे इन बदलावों को सहर्ष ही स्वीकार नहीं कर पाते। किशोरावस्था में बच्चों को अपनी साफ-सफाई का ज्यादा ध्यान रखना चाहिए। लेकिन वे इस बात को समझ ही नहीं पाते। बच्चों को इस समय खेल-कूद के समय अधिक पसीना आता है और उसमें गंध भी अधिक होती है।
आप क्या करें
अगर अभी तक आपने अपने बच्चे के साथ किशोरावस्था में आने वाले बदलावों को लेकर बातचीत नहीं की है तो अभी यह सही समय है। इसमें आप बच्चों के शारीरिक बदलावों को लेकर उनसे खुलकर बातचीत करें और उन्हें बताएं कि क्या-क्या बदलाव होते हैं और उनके कारण उन्हें अपने शरीर को समय≤ पर साफ रखना कितना जरूरी है। आप अपने बच्चों को बताएं कि उनके रोज नहाने की वजह से वे न सिर्फ अच्छे दिखेंगे, बल्कि उनके शरीर में से गंध भी कम हो जाएगी।
4. मानसिक सेहत या अवसाद
किशोरावस्था में कई बच्चे वाकई हॉर्मोनल असंतुलन या फिर शारीरिक बदलवों को स्वीकार नहीं कर पाते, जिसकी वजह से उनकी मानसिक सेहत गिरती है या उन्हें अवसाद हो जाता है। इसके अलावा इस अवस्था में किसी अन्य के प्रति आकर्षण और उसमें नाकामयाबी की वजह से भी अवसाद होने लगता है। ऐसे में बच्चों में जीवन के प्रति मोह कम होने लगता है या वे अपनी स्थिति से बाहर ही नहीं आना चाहते। अगर आपको भी बच्चे के नहाने या उसके तैयार होने में कमी के संकेत मिलें तो आपको भी इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए।
आप क्या करें
बच्चों से लगातार बातचीत बनाए रखें और उन्हें ज्यादा से ज्यादा बात करने का मौका दें। अगर आपकी बातचीत के बावजूद बच्चे में अधिक बदलाव न दिखे तो आप किसी पेशेवर थेरेपिस्ट या परामर्शदाता से भी मिल सकते हैं।
साफ-सफाई जहां बातचीत का विषय बनने लायक तो नहीं लगता, लेकिन बच्चों में कम उम्र से ही इस अच्छी आदत को डालना बेहद जरूरी है। इससे न सिर्फ बच्चे सुंदर दिखते हैं, बल्कि उनकी सेहत भी बनी रहती है और उनमें आत्म-विश्वास का भी संचार होता है। बच्चों के न नहाने को लेकर कभी भी माता-पिता को इसे लेकर बच्चों का मजाक नहीं बनाना चाहिए, बल्कि अपने बच्चे से बातचीत कर उन्हें इसकी जरूरत को समझाना बेहतर विकल्प रहता है। साथ ही आप अपने बच्चे को एक खुद एक बेहतर उदाहरण बन कर भी इस आदत के प्रति प्रोत्साहित कर सकते हैं।