बच्चे तो बच्चे हैं, कुछ धमाल तो मचाएंगे ही। बच्चों का बचपन मज़ेदार शरारतों में बीते तो अच्छा है। अगर बच्चा अभी से गंभीर हो जाए तो बचपन कैसा। लेकिन कई बार बच्चे बहुत ज्यादा परेशान कर देते हैं तो माँ – बाप का उन पर गुस्सा होना जायज़ है। वैसे भी बच्चे को सही रास्ते पर लाने के लिए उन्हें डांटना भी ज़रूरी है। जबकि बच्चा बहुत जल्दी आपकी डांट को भूलकर फिर से कोई नई खुराफात करने में लग जाता है। वह तो बच्चा है लेकिन आपका हर समय छोटी – छोटी बात पर उसको डांटना – फटकारना उसके मासूम मन पर काफ़ी बुरा असर छोड़ सकता है। इसलिए बच्चे की किसी बात पर तेज गुस्सा आए तो भी समझदारी से काम लेने में ही भलाई है। वास्तव में अपने गुस्से पर काबू रखना है बहुत मुश्किल काम। इसीलिए ऐसे कुछ उपाय हम इस लेख के जरिए आपको बता रहे हैं जिनसे अपने बच्चे पर गुस्सा करने से काफी हद तक बचा जा सकता है।
अपने बच्चों पर गुस्से को कैसे नियंत्रित करें
धैर्य रखें
सबसे पहले आपको बच्चों के साथ धैर्य बनाएं रखने की बहुत ज़रूरत है। खासतौर पर एक माँ होने के नाते आपके लिए सबसे ज़रूरी है धैर्य का साथ न छोड़ना। बच्चा कोई बड़ी गलती कर देता है तो भी उस समय धीरज से काम लें। एकदम उतावलापन न दिखाएं।
खुद को शांत रखें
अचानक बच्चे की कोई शैतानी देखकर अशांत न हो जाएं। इस समय गुस्से को नियंत्रित कर पाना कठिन ज़रूर है लेकिन असंभव नहीं है। बच्चा तो आपका ही है, अच्छे बुरे व्यवहार की शिक्षा वह आपसे ही लेगा। इसलिए उस समय कोई एक्शन न लें। शांत भाव से स्थिती को समझने की कोशिश करें।
कुछ देर के लिए बच्चे के पास से हट जाएं
जब भी आपको बच्चे पर तेज गुस्सा आता है उस समय तुरंत वहां से हट जाएं। जाकर अपने रोजाना के काम में लग जाएं। कुछ देर बाद जब आपका गुस्सा थोड़ा शांत हो जाए तब बच्चे से बात करें।
बच्चे की बात ध्यान से सुनें
अब बच्चे को अपने पास बुलाकर, प्यार से उसका हाथ पकड़कर जानने की कोशिश करें कि उसने ऐसा क्यों किया। कई बार बच्चे के मन में कुछ ऐसा चल रहा होता है जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर पाते। उदाहरण के तौर पर कई बार बच्चा घरवालों को अपने प्रति उदासीन देखकर गलत हरकत कर बैठता है। बेहतर यही है कि पहले बच्चे की बात ध्यान से सुनें।
जल्दबाजी में निर्णय न लें
अपने बच्चे के किसी भी तरह के बर्ताव को लेकर तुरंत कोई फ़ैसला न लें। ऐसा न हो कि आपको बच्चे पर आया गुस्सा और अपने आव देखा न ताव और उसे मारना या जोर – जोर से डांटना शुरू कर दिया। बच्चे की मानसिकता को समझें फिर कोई निर्णय लें।
खुद को उसकी जगह रखकर देखें
कई बार हम बड़े बच्चों की भावनाओं को समझ नहीं पाते। वे स्कूल नहीं जाना चाहते या फिर कुछ खाना नहीं चाहते हैं तो बड़े उन्हें प्यार से समझाने की बजाय धमकाना शुरू कर देते हैं जो कि बिल्कुल गलत है। हो सकता है बच्चे के मन में कोई और बात हो, कोई परेशानी हो, कुछ घबराहट हो जिसे आप न समझ पा रहे हों।
अपनी सीमा तय करें
बच्चों को सही रास्ता दिखाने के लिए माँ – बाप को कई बार थोड़ा कड़ा रुख भी अपनाना पड़ जाता है और यह ज़रूरी भी है। नहीं तो बच्चा हमेशा मनमानी करेगा। उसे सही गलत का फर्क पता ही नहीं चल पाएगा। लेकिन इसकी एक सीमा होनी चाहिए। ऐसा न हो कि आप उसे पीटे ही चले जा रहे हैं। आपकी डांट का भी उस पर सकारात्मक असर होना चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि वह आपकी बातों को नजरअंदाज करना शुरू कर दे।
बच्चे को प्यार से समझाएं
बच्चों को समझाने का सबसे अच्छा तरीका है प्यार। कोमल मन पर प्यार -दुलार का जल्दी असर होता है। इसलिए जहां तक हो सके बच्चे को प्यार से समझाएं। प्यार में बहुत ताकत होती है। जब प्यार से बड़ों को मनाया जा सकता है तो बालमन तो वैसे ही कोमल होता है।
आदर्श बनें – अच्छा व्यवहार करें
एक बात का हमेशा ध्यान रखें कि आपका बच्चा आपके व्यवहार से बहुत कुछ सीखता है। आप जैसा व्यवहार करेंगे वैसा ही बच्चा सीखता है। इसलिए आप उसके आदर्श बनें। आप खुद सबसे अच्छा व्यवहार करें, सबको सम्मान दें। अगर आपका स्वभाव संयम से रहने का है तो बच्चा भी वही सीखेगा। कहा भी गया है कि परिवार बच्चे की प्रथम पाठशाला है और माँ – बाप उसके प्रथम शिक्षक। जैसी छाप आप उस पर छोड़ेंगे, वैसा ही प्रभाव पड़ेगा।
अपने अंतर्मन में झाँकें
ज्यादातर महिलाएं किसी और बात की खीझ बच्चों पर निकल देती हैं। दरअसल ऐसा होता है कि वे किसी और वजह से परेशान होती हैं और बच्चों की जरा सी गलती पर उन्हें डांटने लगती हैं। इससे बच्चे के मन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए बच्चों पर गुस्सा करने से पहले सोचिए कि क्या वाकई आप बच्चों की गलती के कारण उन पर गुस्सा हो रही हैं। हैरानी की बात है कि कई मामलों में आपको जवाब ना में ही मिलेगा। उसके बाद आप अपनी परेशानी के कारणों को जानने व उन्हें दूर करने की कोशिश करें। इससे काफी हद तक आप गुस्से को नियंत्रित कर पाएंगी।
उन कारणों को जानिए
बहुत ज़रूरी है कि आप उन कारणों को जानने का प्रयास करें जिन पर आपको बच्चों पर गुस्सा आता है। जब आप इन कारणों को समझ जाएं तो बच्चे को भी ज़रूर समझाएं और उसे ऐसा करने को मना करें। आपके ऐसा करने पर आपका गुस्सा करना सर बच्चों की शैतानियां वैसे ही कम हो जाएंगी। साथ ही बच्चों को बताएं कि अगर फिर भी उन्होंने ऐसा किया तो उसके क्या परिणाम होंगे।
इन बातों का ध्यान रखने पर नहीं आएगा आपको बच्चों पर गुस्सा
- बच्चे द्वारा कुछ भी गलत करने पर उसका कारण पूछें।
- अपने बच्चे को पर्याप्त समय दें। रोजाना कुछ देर उससे बात करें, उसके साथ खेलें।
- बच्चे की पसंद – नापसंद जानें। जिससे बच्चे को अहसास होगा कि उसके घरवालों को उसकी कितनी परवाह है।
- कोई शैतानी करने या कुछ तोड़ फोड़ करने पर बच्चे को तर्क यानी लॉजिक देकर समझाएं जैसे अगर बच्चा सोफे पर कूद रहा है तो उसे बताएं कि सोफे के खराब होने पर उन्हें कितना नुकसान होगा।
- बच्चे की आपसे क्या उम्मीदें हैं, यह जानने की कोशिश करें।
- अच्छे काम करने पर बच्चे की तारीफ़ करना न भूलें।
- बच्चा कोई बेकार की जिद कर रहा है तो स्पष्ट तौर पर ना कहें।
- आप खुद भी खुश रहें।
- बच्चे के बात मानने या कोई अच्छा काम करने पर छोटे – मोटे उपहार दें जो उसके काम भी आएं जैसे कोई सुंदर – सी पेंसिल या पेन आदि।
- आप अपने लिए बच्चे से कैसे व्यवहार की उम्मीद करती हैं, यह बच्चे को बताएं। जिससे वह कुछ ऐसा करने से रुक जाए जो आपको गुस्सा दिलाता है।
- 11. अपने लिए भी समय निकालें। अपना मनपसंद काम करें जिससे आपका मन प्रसन्न रहे।
- 12. कभी – कभी बच्चे को सख्त लहजे में समझाना भी ज़रूरी है जिससे उसके मन में थोड़ा डर बना रहे।
इन उपायों पर आप भी अमल करके देखिए, आप और आपके बच्चे के चेहरे पर मुस्कुराहट बरकरार रहेगी। आपका गुस्सा काफ़ी हद तक कम हो जाएगा और बच्चा भी अच्छी बातें भी सीखेगा।
डॉ. निशा खन्ना, साइकोलॉजिस्ट/फैमिली काउंसलर, बाय टेंस क्लीनिक, से बातचीत पर आधारित