अंधेरे से डरना बहुत ही सामान्य बात है और छोटे बच्चों के मामले में तो यह डर और भी आम है। आमतौर पर जब बच्चे दो साल के होते हैं, तभी से यह डर बच्चों के जेहन में बैठ जाता है। माना जाता है कि जब बच्चों में चीजों के प्रति जानने का कौशल या क्षमता बढ़ती है-जैसे कि उनकी कल्पनाशीलता, उसकी के साथ बच्चों में यह डर भी घर कर जाता है। कुछ बच्चे बड़े होने पर इससे निजात पा लेते हैं, लेकिन कुछ के लिए यह हमेशा ही कायम रहता है। अपने बच्चे के इस डर पर कैसे पाएं काबू आइए जानते हैं।
मेरी बेटी जब ढाई साल की थी तो वह सारा दिन तो ठीक रहती थी, लेकिन जैसे-जैसे रात होने लगती थी, वे मुझसे चिपकने लगती थी। वो अकेले अपने कमरे में जाना नहीं चाहती थी, खासतौर पर जब वहां रोशनी न हो। वो हमेशा मेरे पीछे-पीछे चलती रहती। अगर मैं किसी काम में व्यस्त होती और उसे कहती कि वह अकेले अभी सो जाए, मैं कुछ देर में आती हूं। तो वह रोना शुरू कर देती कि नहीं आप भी चलो। मैंने यह भी देखा, जब जबरदस्ती उसे अकेले रोशनीदार कमरे में भी मैं सोने के लिए भेज देती तो भी वह घंटों जागी रहती।
उससे बातों ही बातों में मुझे पता चला कि उसे अंधेरे में डर लगता है। उसके कोई परछाई दिखती है तो उसे लगात है कि कोई भूत आ जाएगा। उसकी बातें सुनकर मुझे तो हंसी आई, लेकिन मेरी बेटी के चेहरे का डर मैं साफ देख सकती थी। लेकिन मेरे लिए मेरी बेटी का डर खत्म करना बहुत जरूरी था। मैंने पूरी कोशिश की कि वह अंधेरे में कभी अकेली न रहे। मैं उससे दूर से ही बातें करती रहती थी। साथ-साथ मैंने उसे दिखाया कि उसके कमरे में सभी उसकी प्यारी चीजें हैं, जिनकी परछाई दीवारों पर बनती है। उनके आकार को देख कर उसे यह तो निश्चित हो गया कि कम से कम उसके कमरे में कोई भूत नहीं है।
ऐसा ही कुछ दूसरे छोटे बच्चों के साथ भी होता है। लेकिन उनके माता-पिता उनकी बात को या तो आई-गई कर देते हैं या फिर उन्हें और भी अधिक डराना शुरू कर देते हैं। दोनों ही मामलों में बच्चे का डर खत्म नहीं होता। अपने बच्चे के इस डर को आप बहुत आसानी से खत्म कर सकते हैं। आइए जानते हैं कैसे?
8 टिप्स जो करेंगे डर को खत्म
1. उसके डर को स्वीकार करें
जब भी हम अपने बच्चे की किसी भी बारे में मदद करना चाहें तो सबसे पहले हमें उसके डर या उसकी कमी को स्वीकर करना चाहिए। आप अपने बच्चे को जब बोलें कि आप उसके साथ हैं और सब कुछ जल्दी से ठीक हो जाएगा। आप उन्हें यह भी बताएं कि आप अंधेरे में कुछ देख नहीं पाते, इसीलिए इससे डरते हैं। ऐसे में हम मानने लगते हैं कि अंधेरे में कुछ होगा। आपको जब भी डर लगे तो आप कमरे में रोशनी करें, ताकि आपको डर न लगे।
2. कमरे में कम, पर रोशनी बनाए रखें
अगर आप अपने बच्चे को अकेले कमरे में सुलाना या उसे भेजना चाहते हैं तो उस कमरे में थोड़ी-बहुत रोशनी का इंतजाम जरूर करें। साथ ही अपने बच्चे को भी बताएं कि अगर उसे कुछ परेशानी हो तो वह बिस्तर के पास वाले बटन से साइड लैम्प या लाइट ऑन कर सकता है।
3. सेंसर लाइट्स का करें इस्तेमाल
आमतौर पर बच्चे अकेले नहीं रहना चाहते, क्योंकि वे नहीं जानते कि जरूरत पड़ने पर वे लाइट्स को कैसे ऑन कर सकते हैं। ऐसे में आप चाहें तो बच्चे के कमरे में सेंसर लाइट्स भी लगा सकते हैं। जो हाथ-पैर या शरीर की गतिविधि के साथ खुद ही ऑन भी हो जाती हैं। मैंने इन लाइट्स का इस्तेमाल अपनी बेटी के बिस्तर के दोनों किनारों पर किया है ताकि अगर वे उठे या किसी काम के लिए बाहर आना चाहे तो वह आसानी से आ जा सके।
4. बच्चों के कारण बच्चे ही जानते हैं
आमतौर पर हम बड़े यह मानकर चलते हैं कि हम जानते हैं कि हमारा बच्चा क्यूं डर रहा है। लेकिन यह हर बार सही हो जरूरी नहीं। जब मेरी बेटी छोटी थी, तब वह एक बार कार्टून देखते-देखते रोने लगी। उससे पूछा तो उसने कहा, मम्मी मैं कभी बर्गर नहीं खाऊंगी, क्योंकि इसमें से मॉनस्टर निकल कर मुझे खा जाएगा और वही सपना उसे रात में भी परेशान करने लगा।
बच्चे कब और किस बात से डर जाएं, इसका अंदाजा लगाना बड़ों के लिए मुश्किल है। इसीलिए आप अंदाजा न लगाएं, बल्कि बच्चे से इस बारे में जितनी जल्दी हो तो उससे इस बारे में बातचीत करें और उसकी कल्पना पर रोक भी लगाएं।
5. बच्चे के कमरे में रेडियम स्टीकर्स लगाएं
रात को जब बच्चे छत पर चमकते चांद और सितारे देखते हैं तो उन्हें अंधेरे से डर नहीं लगता। ऐसे में आप भी अपने बच्चे के कमरे में रेडियम स्टीकर्स को छत पर लगा सकते हैं। बेहतर रहेगा कि आप इस काम को बच्चे के सामने ही करें और उन्हें कमरे में अंधेरा कर के इसका नजारा भी दिखाएं, ताकि वे डरे नहीं।
6. बच्चे के कमरे में ज्यादा सामान न रखें
आमतौर पर बच्चे अंधेरे में इसीलिए भी डर जाते हैं कि उन्हें अजीबो-गरीब परछाइयां दिखती हैं। इसीलिए जरूरी है कि आप बच्चे के कमरे में गैर-जरूरी सामान जैसे कि कपड़े, सॉफ्ट टॉय या टोपी आदि खुले में न रखें। दरअसल कई बार इनसे कमरे की दीवारों पर ऐसी परछाइयां बनती हैं, जिनसे बच्चे काफी डर जाते हैं। रोशनी में आप बच्चे के खिलौनों या फर्नीचर के बारे में भी बात करें कि अंधेरे में उन्हें इससे डर लग रहा था, लेकिन यह तो उसका खिलौना या फर्नीचर है। रोशनी में उसे देखने के बाद वे अपने डर पर काबू कर सकते हैं।
7. परछाइयों से खेलना सीखाएं
आप कुछ समय के लिए अपने बच्चे के साथ अंधेरे कमरे में बिताएं और वहां कम रोशनी या मोमबत्ती में हाथों से परछाइयां बना कर जरूर दिखाएं। उसे दिखाएं कि ये परछाइयां उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकती, बल्कि वे इनके साथ खेल सकते हैं।
8. आप बच्चे से देर तक बात करते रहें
अगर आपका बच्चा अंधेरे में जाने से डरता है तो आपके लिए उसका यह डर निकालना भी बेहद जरूरी है। लेकिन अच्छा रहेगा कि बच्चा खुद इस पर काबू पाए, इससे उसमें अकेले आगे बढ़ने या रहने का आत्म-विश्वास भी बढ़ेगा। इसके लिए अगर आपका बच्चा अकेले अंधेरे कमरे की तरफ जा रहा है तो आप उससे जोर-जोर से बात करें। उससे पूछें कि क्या वह कमरे में पहुंच गया? क्या उसने लाइट ऑन कर ली? क्या उसे जरूरी सामान मिल गया? अगर हां, तो अब लाइट ऑफ करते हुए वह वापस आपके पास आ जाए। इससे बच्चे को यह अनुभव होता है कि आप उसके साथ ही हैं और धीरे-धीरे उसे अकेले में अपने कमरे में जाने में डर भी नहीं रहेगा।
अंधेरे को तो हम रोशनी से खत्म कर सकते हैं, लेकिन अगर एक बार बच्चों में इसका डर बैठ जाए तो उसे निकालना काफी मुश्किल होता है। ऐसे में आप अंधेरे को बच्चे के डर का नहीं, बल्कि उसके खेलने की वजह बनाएं। उसके लिए अंधेरे को चुनौती की तरह रखें, जिसे वह आराम से पूरा कर सकता है, क्योंकि बच्चों को चुनौती और मनोरंजन दोनों ही काफी पसंद होते हैं।