अगर आपका बच्चा टीनएज में है तो कभी-कभी वह बेहद खुश और उत्साहित नजर आता होगा और कभी-कभी बहुत ढीला-ढाला और निराश। दरअसल यह सब किशोरावस्था के दौरान हॉर्मोन्स में होने वाले बदलावों के कारण होता है और सभी बच्चे खुद इस स्थिति को सहजता से स्वीकार नहीं कर पाते। आइए जानते हैं, कैसे आप अपने किशोरावस्था में बढ़ रहे बच्चे की कैसे मदद कर सकते हैं।
ऐसा नहीं है कि मूड में बदलाव सिर्फ महिलाओं या लड़कियों को ही होता है, खासकर तब जब उनका मासिक धर्म शुरू होता है, बल्कि लड़के भी इससे स्थिति से बचे नहीं रहते। किशोरावस्था में लड़का हो या लड़की दोनों में शारीरिक बदलाव हॉमोन्स के कारण होते हैं और इसी के साथ उनमें भावनात्मक परिवर्तन भी हो रहे होते हैं।
बच्चे अपने शरीर को लेकर काफी सजग हो जाते हैं। कुछ इन बदलावा को हंस कर स्वीकार कर लेते हैं तो कुछ ढंग से इन्हें समझ ही नहीं पाते। ऐसे में माता-पिता होने के नाते यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने किशोर या अपने टीनएज बच्चे की मदद करें, उसे उसके मनोभावों को नियंत्रित करने में और साथ ही उन्हें इनसे निपटने के बेहतर तरीके भी सीखाएं।
कैसे करें टीनएज बच्चों की मदद:
अगर किशोर बच्चा आपको परेशान या उदास दिखे तो आप उसे उदास होने से नहीं रोक सकते, लेकिन आप उसकी मदद जरूर कर सकते हैं।
1. बच्चे को उसका मूड समझने में मदद करें
बच्चा उदास है या कुछ अच्छा महसूस नहीं कर रहा, तो यह स्वाभाविक है, लेकिन शायद बच्चा इस बात को जल्दी से न स्वीकारे, ऐसे में आप उसे बताएं कि हमेशा खुश रहना या हमेशा उत्साहित होना भी जरूरी नहीं है। कभी-कभी गुस्सा भी आता है तो उसे आने दो। आपकी बात से शायद बच्चे को यह समझने में मदद मिले कि गुस्सा, रोना, निराशा, चिड़चिड़ाहट, खुशी, उदासी, यह सब भाव होना सामान्य है। इसके अलावा उसे यह भी बताएं कि जब भी वह परेशान या उदास हो तो आप उसके साथ हमेशा रहेंगे।
2. बच्चे को थोड़ा समय और जगह दें
किशोर बच्चे लगभग हर चीज खुद से करना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि वे अपनी समस्याओं का समाधान भी खुद ही निकालें। ऐसे में जब आपका बच्चा अपनी परेशानी खुद हल करना चाहता हो तो उसे कुछ समय और जगह दोनों दें, ताकि वे अपने नए-नए भावों और परिस्थितियों को अच्छे से समझ पाए। इस बारे में बच्चे से जबरदस्ती बात करने की कोशिश हो सकता है, बच्चे को उसकी निजता पर रोक जैसा दिखाई दे। खुद उसे अपने और अपनी परेशानियों के बारे में बात करने दें।
3. अपनी सलाह दें न कि हल
इस उम्र के बच्चे खुद से जिम्मेदारी लेना चाहते हैं। हां, उनकी स्थिति के मुताबिक कई बार वे अपनी हर समस्या का हल नहीं ढूंढ़ पाते, लेकिन ऐसे में आप बच्चे को हल न दें, बल्कि उसे सुझाव दें आप बच्चे से बातचीत करें और उसे बताएं कि अगर आप उसकी जगह होते जो आप कैसे उस परिस्थिति को संभालते।
वैसे भी समस्याओं के समाधान निकालना एक बहुमूल्य कौशल है और उम्मीद है कि आप भी चाहें कि जल्दी से आपका बच्चा भी इस मामले में आत्म-निर्भर बनें। अपने बच्चे की मदद कर आप उसे भी यह समझा सकते हैं कि कैसे उसकी जिंदगी के अहम फैसलों में उसके सुझाव का आप कितना सम्मान करते हैं। इससे बच्चे का आत्म-विश्वास भी बढ़ेगा।
4. मिलकर सामना करें बदलते मूड का
अपने मनोभावों पर जीत हासिल करना कोई आसान काम नहीं। कभी-कभी तो बड़े भी इस काम में असफल रह जाते हैं। ऐसे में बेहद जरूरी है कि आप अपने किशोर बच्चे का साथ दें, ताकि वह अभी से अपने मूड पर नियंत्रण कैसे पाना है, वह सीख जाएं।
इस काम को थोड़ा आसान बनाने के लिए आप अपने बच्चे के साथ बैठकर एक ऐसी सूची बनाएं जिसमें ऐसे कामों को शामिल किया जाए, जिससे उसका मूड अच्छा हो जाता है। जैसे किः
- बच्चे की पसंद के गाने सुनना
- सैर पर जाना
- एक पालतू जानवर का होना
- कुकिंग करना
- आपके/ परिवार के साथ समय बिताना
अच्छा होगा कि इस सूची में वह खुद से अपने कुछ विकल्पों को लिखे, ताकि वह खुद से अपने मूड को स्वस्थ बनाने का काम भी कर सकें।
5. अपने बच्चे के साथ हमेशा संपर्क बनाए रखें
हम जानते हैं कि हम सभी का काम करना कितना मुश्किल है। ऐसे में बच्चे की पढ़ाई, उसकी क्लासेज के बाद आपके पास बच्चे के साथ अच्छा वक्त बिताना काफी मुश्किल है। पर फिर भी जब बच्चा किशोरावस्था में पहुंच जाए तब उसे किसी भी अन्य चीज से ज्यादा अपने माता-पिता का साथ चाहिए होता है। आप अपने बच्चे के साथ कुछ वक्त बिताएं और उससे बातचीत कर जानने की कोशिश करें कि उसकी जिंदगी में क्या चल रहा है और वह कैसा महसूस कर रहा है। आप चाहें तो बच्चे को स्कूल छोड़ते या स्कूल से लाते वक्त, शॉपिंग पर जाते वक्त या फिर साथ बैठकर टेलीविजन देखते वक्त भी उससे बातचीत कर सकते हैं।
6. मूड पर कैसे पाएं नियंत्रण
जब अपका बच्चा यह जान चुका हो कि उसका मूड जल्दी-जल्दी बदलता है और कभी-कभी वह इतना उत्तेजक हो जाता है कि उससे किसी को नुकसान भी पहुंच सकता है तो ऐसे में आप उसे कुछ टिप्स दें, जिनसे वह अपने मूड खासतौर पर गुस्से पर काबू पा सके।
- आप उसे 10 से 1 तक उल्टी गिनती मन में दोहराने को कह सकते हैं।
- आप उसे गुस्सा आने पर गाना गाने या फिर सैर पर जाने के फायदे भी बता सकते हैं।
7. रोल मॉडल बनें
माता-पिता को अपने बच्चों के लिए खुद से आदर्श बनना चाहिए। अगर आप ही गुस्से में घर का सामान तोड़ेंगे या गलत शब्दों का प्रयोग करेंगे तो बच्चा क्या सीखेगा? बिल्कुल, बच्चे हमें देखते हैं और हमसे ही सीखते हैं। आप एक बार सोचिए कि बच्चा आपको देखता है कि आप कैसे अपनी समस्याओं और अपने भावों को संभालते हैं। खराब मूड में आपका व्यवहार आपके बच्चे के नाजुक दिमाग को भी प्रभावित करेगा, अच्छा या बुरा यह आपके व्यवहार पर निर्भर करता है।
8. घर पर सेहतमंद जीवनशैली अपनाएं
सेहतमंद जीवनशैली का असर हमारे मूड, हमारे भावों पर भी पड़ता है। हम कैसा खाते हैं, कैसे रहते हैं और हमारीनींद कैसी है, यह भी हमारे मूड को बनाने या बिगाड़ने में पूरी भूमिका निभाते हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपका परिवार हमेशा खुश रहे तो इसके लिए जरूरी है कि आप इन बातों को ध्यान में रखें:
- घर पर सभी पर्याप्त आराम करें या नींद लें।
- कोशिश करें कि घर-परिवार के सदस्य अच्छा भोजन करें।
- सभी के लिए आदर्श बनें और सही व्यवहार को प्रस्तुत करें।
बेशक हम बच्चों के दिमाग में नहीं घुस सकते, लेकिन हम उनकी दिमागी परेशानियों को समझने का प्रयास कर सकते हैं और अपने बच्चे को इतना सक्षम बना सकते हैं कि वे मूड में बदलाव जैसी चीजों पर आसानी से नियंत्रण पा लें। आप अपनी राय या सुझाव हमें नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।