छोटे बच्चों का मूड बहुत तेजी से बदलता है। कभी किसी खिलौने के पीछे तो कभी आपके जोर से डांट देने की वजह से। छोटे बच्चे अपने मनोभावों को नियंत्रित करना ढंग से नहीं जानते, इसीलिए जरूरी होता है आप उनके मनोभावों को समझें और अगर किसी बात पर बच्चा आपसे नाराज या गुस्सा हो गया है तो कैसे बिना उसकी भावनाओं को ठेस पहुंचाएं उसके मूड को बदलें।
छोटे बच्चों की नींद पूरी न होना या फिर जरूरत से ज्यादा जंक फूड का सेवन, ये सभी बच्चों के मूड को बदलने के लिए काफी हैं। उसके बाद आप चाहें कितनी भी मेहनत कर लें, बच्चे का मूड आसानी से नहीं बदलता और कभी-कभी तो और भी ज्यादा बिगड़ जाता है। ऐसे में कैसे बच्चों का मूड अच्छा किया जा सकता है, आइए जानते हैं।
बच्चों का मूड कैसे बदलें:
1. मुस्कराएं
मुस्कान एक ऐसा जरिया है, जिससे आप किसी का भी दिल जीत सकते हैं। जब बच्चे का पसंदीदा खिलौना या भोजन का भी जादू न चले तो ऐसे में आप बच्चे को मुस्कराते हुए मिलें। आपकी मुस्कान से बच्चे को भी बेवजह नाराज या गुस्सा होने का मकसद समझ नहीं आएगा और उसका मूड जल्दी से ठीक होने लगेगा। कई अध्ययनों में भी पाया गया है कि किसी दूसरे के मुस्कराने का प्रभाव खराब मूड पर बेहद सकारात्मक तरीके से पड़ता है।
2. संगीत का आनंद लें
संगीत में बहुत ताकत होती है। दरअसल संगीत हमारे मनोभावों की अभिव्यक्ति ही होती है। ऐसे में अगर कभी आपके बच्चे का मूड खराब हो तो आप थोड़ा तेज संगीत या बच्चे के पसंद के गाने लगा सकते हैं, जिस पर आप दोनों खूब नाच सकें। इससे खराब से खराब मूड भी खुशी में बदल सकता है।
3. उन चीजों से बचें, जिनसे बच्चे का मूड खराब हो
विशेषज्ञों का मानना है कि हर किसी के मूड का खराब होने का कोई न कोई कारण होता है। जैसे कि कुछ बच्चों को उनके लिए मजाक में कहे जाने वाले शब्द पसंद नहीं होते, तो कुछ बच्चे भूख लगने पर तेज-तेज चिल्लाने लगते हैं। ऐसे में आपको ज्यादा से ज्यादा कोशिश करनी चाहिए कि आपके बच्चे इस परिस्थिति में बिना जानकारी के न पहुंचें। बच्चे को भूख लगने से पहले ही आप उसे खाने के लिए दें।
4. खराब मूड से सिखाएं बच्चे को निपटना
हर जगह आप अपने बच्चे के लिए नहीं हो सकते। ऐसे में कभी-कभी बच्चे को खुद भी अपने बदलते मूड से निपटना पड़ेगा। इसीलिए आप इसे एक मौके के रूप में देखें और बच्चे को बताएं कि गलत महसूस करना और गलत व्यवहार करने में क्या फर्क है। माता-पिता को भी यह स्वीकार करना होगा कि बच्चा भी कभी-कभी गलत महसूस कर सकता है और उसे इसका पूरा अधिकार है।
5. बच्चे से बातचीत करें
आजकल हम सभी के घरों में पारिवारिक समय का मतलब टेलीविजन देखना या कोई ऑनलाइन गेम खेलने तक सीमित हो चुका है। इसकी जगह आप अपने बच्चे के साथ बैठकर उसे अपना समय दें। आप बच्चे के साथ बातचीत करें और उसके जीवन में चल रही चीजों को समझने की कोशिश करें।
6. कुछ फुर्सत के पल भी निकालें
मेरा बच्चा ये भी करेगा और वो भी करेगा। शायद हम दुनिया के साथ चलने की कोशिश करते हुए यह भी भूल जाते हैं कि आखिर है तो वह छोटा सा बच्चा, जिसे विभिन्न गतिविधियों के अलावा कुछ समय खाली बैठने के लिए भी चाहिए। बच्चों और बड़ों सभी को पूरे दिन में कुछ ऐसा भी समय चाहिए होता है, जिसमें वे कल्पना कर सकें या फिर अपने पूरे दिन की समीक्षा कर सकें। ऐसे समय में वे अपने मनोभावों को भी देख और समझ पाते हैं। यह समय न सिर्फ बच्चों को चीजें कैसे काम करती हैं, इस संदर्भ में कल्पनाशील बनाता है, बल्कि इसी समय में उनका अपनी रचनात्मक विकास के लिए जरूरी समस्याओं का समाधान करने में सहायता मिलती है।
7. पढ़ाई के तनाव को करें कम
बच्चों पर आज के समय में शैक्षिक स्तर पर भी बहुत बेहतर करने का दबाव हमेशा बना रहता है। जब कभी स्कूल का काम करते हुए बच्चे का मूड तनावग्रस्त लगे तो आप तुरंत इस पर ध्यान दें। बच्चे के मूड से आपको संकेत मिलेंगे कि इसे करना उसे बिल्कुल भी पसंद नहीं आ रहा। इसके लिए आप बच्चे की पूरी दिनचर्या पर ध्यान दें। कहीं वह बहुत अधिक व्यस्त तो नहीं है या उसे सही नींद मिल रही है कि नहीं। साथ ही आप पढ़ने से पहले बच्चे को प्रोटीनयुक्त स्नैक्स दें। अपने बच्चों से शैक्षिक स्तर पर अधिक उम्मीद लगाना भी सही नहीं है।
8. किशोर बच्चों के साथ संयम बरतें
किशोरावस्था में पहुंचने वाले या पहुंच चुके बच्चों के अंदर मनोभावों के स्तर पर भी बहुत बदलाव हो रहे होते हैं ऐसे में माता पिता के लिए इन बदलावों को समझना और बच्चों की प्रतिक्रिया पर शांत बने रहना भी बहुत जरूरी होता है। आप चाहें तो शांति और संयम से अपने बच्चे से बातचीत करते हुए उसे समझा सकते हैं कि उसके मूड में होने वाले बदलावों का कारण उसके शरीर में हॉर्मोन्स में होने वाले परिवर्तन भी हैं।
9. हर मांग नहीं करें पूरी
अक्सर बच्चे अपने बदलते मूड के जरिये माता-पिता को ब्लैकमेल भी करते हैं, अपनी किसी गैर-जरूरी मांग को पूरा कराने के लिए। ऐसे में आपको बच्चे का साफ शब्दों में बताना चाहिए कि आप क्यों उसकी मांग को पूरा नहीं करना चाहते। इससे बच्चा जल्दी से जल्दी आपकी स्थिति को समझेगा और सही लगने पर उसका मूड भी खुद-ब-खुद ठीक हो जाएगा।
10. गंभीर स्थिति में आप विशेषज्ञों से लें सहायता
अगर आपका बच्चा अधिक समय के लिए खुद को कमरे में बंद कर लेता है या वह अपने गुस्से पर बिल्कुल भी काबू नहीं कर पाता, चिल्लाता है, उदास रहता है, उसकी भूख और नींद कम हो गए हैं, तो यह इस बात की और भी संकेत करते हैं कि आपका बच्चा मनोभावों को लेकर गंभीर समस्या से जूझ रहा है। ऐसे में आपके बच्चे को विशेषज्ञों की जरूरत है। आप समय का इंतजार न करें और जल्दी से मनोवैज्ञानिक या बाल परामर्शदाता से बात करें।
माता-पिता अपने बच्चे के लिए सब कुछ करते हैं। लेकिन जरूरी नहीं होता कि बच्चे को चीजों का लालच देकर उन्हें खुश रखा जाए या उनके खराब मूड को ठीक किया जाए। इसके अलावा कई बार माता-पिता के लिए यह जानना भी बेहद जरूरी है कि कौन सी बात आपके बच्चे को परेशान कर रही है या उसका मूड किस बात से खराब हो रहा है।