भाई-बहनों की आपसी लड़ाई या तकरार हमेशा से ही माता-पिता के लिए सिर दर्द का विषय रही। लेकिन अगर यही तकरार उनके बीच प्रतिस्पर्धा का रूप ले ले तो उनकी चिंता और भी बढ़ जाती है। कैसे अपने दो या बच्चों के बीच सेहतमंद रिश्ते को बनाए रखा जाए, आइए जानते हैं।
‘मम्मी! इसने मेरी पेंसिल कैसे ले ली, मैं अब इसका सामान ले लूंगा।’
‘मम्मी! दीदी मेरी जगह बैठ गई है, इसे हटा लो, नहीं तो मैं इनका बैग नहीं दूंगा।’
‘पापा! आप भईया को तो कुछ नहीं कहते, जब वह रोता है, मुझे डांटते रहते हो।’
कुछ ऐसे ही वाक्य हमें लगभग हर उस घर में सुनाई देते हैं, जहां परिवार में दो या उससे अधिक बच्चे होते हैं। भाई-बहनों में लड़ाई-झगड़े दशकों से होते आ रहे हैं, लेकिन अब क्योंकि माता-पिता ज्यादातर दो ही बच्चे करना पसंद करते हैं तो उनके लिए दोनों बच्चों के बीच रिश्तों में मधुरता बनाए रखना भी बेहद जरूरी हो गया है। आइए जानते हैं कुछ ऐसे टिप्स जिनसे भाई-बहनों में प्रतिस्पर्धा को कैसे कम किया जा सके।
टिप्स भाई-बहन प्रतिस्पर्धा को कैसे करें कम
बच्चे से सहानुभूति रखें
दो बच्चों की लड़ाई में अक्सर एक बच्चा जीतता और दूसरा हारता है। ऐसे में हारने वाले बच्चे के साथ माता-पिता की सहानुभूति होना बहुत जरूरी है। अगर किसी एक चीज के पीछे दोनों बच्चों में लड़ाई थी और आपके फैसले से वे किसी एक को मिल गई या एक बच्चे ने उसे छीन कर ले लिया हो तो आपको दूसरे बच्चे के साथ सहानुभूति रखनी चाहिए।
अगर बच्चा आपसे कहता है, ‘दीदी ने मेरे रंग ले लिए’, तो उसे अपना वही पुराना जवाब न दें, ‘मैं उससे कहती हूं’ या ‘अब शिकायत करना बंद करो’। आप उसे बता सकते हैं, ‘दीदी ने तुम्हारे रंग ले लिए, इस बात से तुम दुखी हो।’ अपने इन वाक्यों के साथ आप बच्चे को बता रहे हैं कि वे आपके लिए कितने अहम हैं। आप देखेंगे कि आपकी इसी बात का बच्चे पर बेहद सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
बच्चों को बराबर समझें
आमतौर पर जब हम किसी लड़ाई के वक्त मौजूद नहीं होते तो बाद में बच्चे अपने मुद्दों को अपने अभिभावाकों के पास जरूर लेकर आते हैं। ऐसे में दोनों में से किसी एक को सही और दूसरे को गलत कहना बेहद मुश्किल होता है। ऐसे में जरूरी है कि अगर आपको पूरे तथ्य न पता चलें तो किसी एक की गलती न निकालें, बल्कि दोनों बच्चों को लड़ाई के लिए चेतावनी दें।
जिस चीज पर लड़ाई हो उसे वापस ले लें
आजकल बच्चे अक्सर टेलीविजन रिमोट, प्रोग्राम के चैनल्स, मोबाइल फोन या फिर लैपटॉप आदि पर ज्यादातर लड़ते हैं। ऐसे में आप पहले ही अपने बच्चों को बता सकते हैं कि अगर उनकी किसी खास चीज को लेकर लड़ाई होती है तो आप उनसे वह चीज या वह सुविधा वापस ले लेंगे। जैसे कि अगर दोनों बच्चे इस मुद्दे पर लड़ रहे हों कि उन्हें टेलीविजन पर कौन-सा कार्यक्रम देखना है तो ऐसे में आप टेलीविजन को ही बंद कर सकते हैं, ताकि उनकी लड़ाई का मुख्य कारण ही खत्म हो जाए।
नीचा न दिखाने दें
आमतौर पर जब दो बच्चों के बीच लड़ाई शुरू होती है तो उसमें एक-दूसरे को नीचा दिखाने तक वह खींचती चली जाती है। ऐसे में माता-पिता को चाहिए कि वे अपने परिवार में एक नियम बना लें कि कोई किसी को बुरे या नीचा दिखाने वाले शब्द नहीं बोलेगा और जो फिर भी ऐसा करेगा, उसे इसकी सजा के रूप में दूसरे को तीन अच्छे शब्द कहने होंगे। जैसे कि अगर लड़ाई में आपका एक बच्चा दूसरे बच्चे को यह कहता है, ‘तुम बहुत बद्तमीज हो।’ इसके लिए आप पहले बच्चे को ही सजा के रूप में उसे दूसरे बच्चे की तीन अच्छाइयां बताने को कहें। जैसे कि ‘तुम समय पर सभी काम करते हो’, ‘तुम सबकी मदद करते हो,’ ‘तुम्हारे स्कूल में अच्छे अंक आते हैं’।
यह एक तरह का खेल है, जिसमें आपको 1:3 का अनुपात रखना है। इससे किसी भी बच्चे का मनोबल नहीं टूटेगा और साथ में बच्चे लड़ाई के वक्त भी खराब शब्दों का चयन करने से बचेंगे। साथ ही साथ बाद में जब वे दूसरे बच्चे की अच्छाइयों को देखेंगे तो उन्हें महसूस होगा कि उनका भाई या बहन हमेशा ही गलत नहीं होता।
अपनी लड़ाई खुद लड़ो
बच्चों की लड़ाई में अगर माता-पिता किसी एक का पक्ष लेते हैं तो दूसरे बच्चों को यह कभी भी अच्छा नहीं लगता। ऐसे में माता-पिता अपने बच्चे को आराम से कह सकते हैं कि वे अपनी लड़ाई को खुद हल करें, बशर्ते दोनों में से किसी भी बच्चे को चोट नहीं लगनी चाहिए। और उन्हें यह भी स्पष्ट शब्दों में बताएं कि अगर किसी को नुकसान हुआ या उनकी लड़ाई और बढ़ी तो इसके लिए आप दोनों को कड़ी सजा भी दे सकते हैं।
एक-दूसरे के साथ समय जरूर बिताएं
जहां हम सभी अपनी-अपनी दिनचर्या में व्यस्त होने लगे हैं और अपनी-अपनी निजता को लेकर काफी गंभीर हो रहे हैं, वहां ऐसे में छोटी-मोटी लड़ाई भी भयंकर रूप ले लेती है। इसके लिए जरूरी है कि माता-पिता के अलावा भी बच्चे एक-दूसरे के साथ समय जरूर बिताएं। इससे न सिर्फ बच्चे एक-दूसरे के बारे में अधिक जानेंगे, बल्कि एक-दूसरे का सम्मान भी अधिक करेंगे। और उनके बीच की लड़ाइयां बहुत अधिक समय के लिए भी अटकेंगी।
उन्हें अकेले भी समय दें
कई बार दो बच्चों में लड़ाई इस मुद्दे पर भी होती है कि वो मेरे कमरे में आ गया या वो मेरे मोबाइल फोन में झांक रहा था। इसका मतलब यह है कि बढ़ते बच्चों को अपना अकेले का भी समय चाहिए होता है। इसके लिए आप बच्चों को कुछ समय के लिए जरूर अलग रहने दें। इससे बच्चों के मन में एक-दूसरे के प्रति सम्मान और प्यर भी बढ़ेगा, जब वे एक-दूसरे की कमी को महसूस करेंगे। इसे आप लड़ाई से बचने के एक तरीके के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। जैसे अगर आपके दोनों बच्चे लड़ाई कर रहे हों और आपको लगे कि लड़ाई बढ़ सकती है तो दोनों बच्चों को अलग-अलग जगह बैठ कर उन्हें अपने-अपने काम करने को कहें।
बच्चों में एक-दूसरे के प्रति सम्मान जगाएं
अक्सर लड़ने वाले भाई-बहनों को एक-दूसरे में सिर्फ और सिर्फ कमी ही दिखाई देती है। ऐसे में आप अलग-अलग ही सही, लेकिन बच्चों को यह जरूर बताएं कि वह कितने खुशकिस्मत है कि उन्हें भाई-बहन मिले हैं, जो उनके सबसे अच्छे दोस्त हो सकते हैं या जो जरूरत आने पर हमेशा एक-दूसरे के लिए खड़े होंगे। साथ ही आप भी भगवान से शुक्रिया अदा करें कि आपको ये बच्चे मिले हैं और वे एक-दूसरे के लिए हमेशा मौजूद रहेंगे।
क्या फायदा है इस लड़ाई का
- बच्चे आपस में एक-दूसरे को बेहतर समझ पाते हैं।
- वे समय के साथ समझौते करना सीख जाते हैं।
- अपनी समस्याओं के लिए माता-पिता पर हर समय निर्भर नहीं रहते।
- बच्चे सामाजिक कौशल सीखते हैं।
- बच्चों को कैसे एक-दूसरे के साथ काम किया जाता है, इसका अभ्यास भी हो जाता है।
- बच्चे अपने मनोभावों जैसे कि गुस्सा, जलन और ईर्ष्या को संभालना भी सीख जाते हैं।
भाई-बहन की लड़ाई होने पर अक्सर वे हमसे काफी उम्मीदें लगा लेते हैं कि हम उनका साथ देंगे, लेकिन आप यहां अपने बच्चे से बातचीत कर उसे समझाएं कि बात यहां किसी एक का साथ देने की नहीं है, बल्कि बच्चों को साथ बनाए रखने की है। उसे समझाएं कि भाई-बहन के होने से हमेशा उसके साथ एक सच्चा दोस्त रहेगा। बाकि छोटी-मोटी लड़ाइयां तो उनका अधिकार है ही।