चार साल का बच्चा साहिल नीता और ऋषि का होनहार बेटा है। जब कोई भी व्यक्ति साहिल से पहली बार मिलता है तो एक बार को कोई भी उसकी समझदारी भरी बातों व हरकतों को देखकर हैरान रह जाता है। वह बोलता कम है, लेकिन समझता ज्यादा है। अपने मम्मी – पापा की कही बात को वह एक बार में ही समझ जाता है। जिससे पता चलता है कि उसके कम्युनिकेशन स्किल्स काफी डिवेलप हैं। उसी तरीके से वह काफी बातों को खुद ही सही ढंग से कम्युनिकेट कर लेता है। इसके अलावा कोई भी बात उसको आसानी से याद रह जाती है जिससे पता चलता है कि उसकी याददाश्त काफी अच्छी है। इसी तरीके से और काफी सारी स्किल्स हैं जो साहिल में विकसित हो चुकी हैं।
यह तो सीधी सी बात है कि साहिल को अच्छी परवरिश देने में उसके मां-बाप ने काफी मेहनत की है लेकिन इसके साथ ही एक और समझदारी वाला कदम उन्होंने उठाया, जो उनके लिए काफी फायदेमंद साबित हुआ। वह यह कि आपने देखा होगा कि बच्चे जब भी मार्केट जाते हैं या घर से बाहर निकलते हैं तो किसी खिलौने को देखकर उसे लेने के लिए मचलने लगते हैं। बच्चों को खिलौने बहुत पसंद होते हैं ऐसे में साहिल के माता – पिता ने खिलौने तो खरीदे लेकिन सोच – समझकर। उन्होंने सोचा कि क्या यह खिलौना वाकई उसके बच्चे के लिए फायदेमंद है। क्या यह खिलौना वाकई उस बच्चे को कुछ सिखाएगा। इसी तरीके से आप भी अपने बच्चे के लिए खिलौने खरीदने से पहले कुछ बातें सोच समझ लें, जो आपके और आपके बच्चों के लिए दोनों के लिए हितकारी होंगी। तो आइए जानें कौन सी है वह बातें जिनका आपको अपने बच्चे के लिए खिलौने खरीदने से पहले ध्यान रखना चाहिए।
1. स्किल बेस्ड एक्टिविटीज पर आधारित हों
अब जबकि आपका बच्चा बहुत छोटा नहीं है और अब वह थोड़ा समझदार हो चुका है, तो ऐसे में आपकी जिम्मेदारी बनती है कि उसके लिए कुछ ऐसे टॉयज लिए जाएं जो उसकी स्किल्स को डेवलप कर सकें। आपको ऐसे खिलौने बच्चे के लिए खरीदने चाहिए जो नीचे दी जा रही हैं इनमें में से किसी पर आधारित हों –
- स्पोर्ट्स स्किल्स
- म्यूजिकल स्किल्स
- लैंग्वेज स्किल्स
- मेमोरी स्किल्स
- साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग या मैथमेटिक्स स्किल्स
- आर्टिस्टिक स्किल्स
- लॉजिकल थिंकिंग एंड प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल्स।
- कम्युनिकेशन स्किल्स
अब आप कोशिश कीजिए कि अपने बच्चे के लिए ऐसे टॉयज और गेम ही लें जो उनको कुछ अच्छा अनुभव कराएं, कुछ अच्छी बातें सिखाएं और उनकी प्रतिभा को विकसित करने का काम करें। ऊपर दी गई हुई स्किल्स को ध्यान में रखिए और अब आप जब भी बच्चे के लिए टॉयज या कोई गेम लेते हैं तो देखिए कि इनमें से किसी स्किल से आपका टॉय संबंधित है या नहीं।
2. बच्चे की कल्पनात्मक शक्ति और रचनात्मक शक्ति को बढ़ावा दें
खिलौने खरीदते समय ऐसे खिलौने या गेम्स की ओर ध्यान दीजिए जो बच्चे को कुछ सोचने के लिए प्रेरित करें या फिर किसी प्ले यानी नाटक करने की तरह से उसके साथ खेलें। इसके अलावा जो बच्चे की कल्पनात्मक शक्ति का विकास कर सकें यानी कि उस खिलौने को लेकर वह तरह-तरह के इमैजिनेशन कर सकें। इसके लिए आजकल डीआईवाई (DIY) यानी डू इट योरसेल्फ किट्स मार्केट में आपको आसानी से मिल जाएंगे। इस तरह के पपेट सेट, ज्वेलरी सेट आदि बहुत सारे ऐसे एक्टिविटी करने वाले खिलौने आपको मिल जाते हैं। यह बच्चे को ज्यादा देर तक व्यस्त रखने और उन्हें अपनी क्रिएटिविटी का इस्तेमाल करने का काम करते हैं। आजकल बीड्स सेट स्टोन सेट, प्लेइंग क्ले सेट आदि बहुत वैरायटी के एक्टिविटी टॉयज मार्केट में मौजूद हैं, जो आपके बच्चे की रचनात्मक शक्ति और कल्पनात्मक शक्ति को बढ़ावा देने के लिए बहुत मददगार साबित होते हैं। अभी आप पर निर्भर करता है कि आप कितनी समझदारी से काम लेते हैं
3. बच्चे को एक्टिव बनाएं और ज्यादा समय के लिए व्यस्त रखें
आपने गौर किया होगा कि बच्चा किसी भी खिलौने से बहुत जल्दी बोर हो जाता है और थोड़ी देर बाद ही उस खिलौने से खेलना छोड़ देता है। तो इसके लिए आप ध्यान रखें कि जब भी खिलौने खरीदने हैं तो वह एक्टिविटी बेस्ड हों, जिससे बच्चा उस टॉयज पर आधारित एक्टिविटीज में देर तक बिजी रहे और उसकी रुचि भी बनी रहे। इसके लिए आप आजकल कंस्ट्रक्शन टॉयज, प्लेइंग डफ मार्केट में मिल रहे हैं जो बच्चों के लिए अच्छे होते हैं। मिनी मॉडल्स, ट्रांसपोर्ट्स के साधन। कोई फॉरेस्ट या फार्महाउस आदि बनाने के लिए मॉडल सेट इस तरह के एक्टिविटी बेस्ड टॉयज को बच्चों के लिए लेने चाहिए जो उसको आसपास के अपने वातावरण की जानकारी भी दें और उसके एक्टिव रखने में भी मदद करें।
इसके अलावा आप कोई म्यूजिकल टॉय भी उसके लिए ले सकते हैं जैसे कि कोई मिनी प्यानो आदि। यह भी बच्चे के लिए काफी अच्छे रहते हैं। इनसे बच्चा संगीत की और प्रेरित होता है और काफी कुछ सीखता भी है।
4. जो बच्चे की उम्र के अनुसार हों
आप जब भी बच्चे के लिए खिलौने लेते हैं तो उसकी उम्र का खासतौर पर ध्यान रखें क्योंकि अगर आप उसकी उम्र से कम लेवल का या फिर उसकी उम्र से काफी ज्यादा लेवल का कोई खिलौना लेते हैं तो वह उसके किसी काम का नहीं होगा। वह उससे थोड़ी देर खेल कर बोर हो जाएगा। तो आप इसलिए उम्र का ध्यान जरूर रखें। आप जब कोई पजल या ब्लॉक आदि बच्चे के लिए खरीद रहे हैं, तो ध्यान रखें कि अगर आप चार साल के बच्चे के लिए खरीद रहे हैं तो उसके लिए दो साल के बच्चे वाला जिगसॉ पजल काम नहीं आएगा या फिर एक दस साल के बच्चे वाला जिगसॉ पजल भी उसके किसी काम का नहीं होगा।
5. जो बच्चे को उसके मां-बाप या अन्य बच्चों से कम्युनिकेट करना सिखाए
आप बच्चे के लिए टॉयज लेते समय केवल उसकी शिक्षा का ही ध्यान ना रखें। कुछ सोशल वैल्यूज भी टॉयज के ही माध्यम से सिखाने की कोशिश करें। उसको कुछ ऐसे खिलौने भी खरीद कर दें जिनसे वह अकेला नहीं खेल पाएगा बल्कि माता-पिता या अपने किसी दोस्त की साथ ही खेल पाएगा। यह गेम्स हैं जैसे लूडो, स्नेक्स एंड लैडर्स आदि। इसी तरह के अन्य बोर्ड गेम्स हैं जिनको बच्चा अकेला नहीं खेल पाएगा। वह ज्यादा समय के लिए अपने पेरेंट्स या फ्रेंड से जुड़ा रहेगा। इस तरीके से उसके कम्युनिकेशन स्किल्स विकसित होंगे। इसके अलावा शेयरिंग करने की आदत भी उसमें डिवेलप होगी। बच्चे के लिए केवल खेलना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि उसको समाज में रहकर समाजिक बातें भी सिखाना जरूरी है जो कि आपका यानी माता-पिता का ही फर्ज बनता है। खेल खेल में इस तरह की शेयरिंग करने की आदतें आप बच्चे को बड़ी आसानी से और लोगों से जुड़े रहने की सीख दे सकते हैं।
तो आगे से आप भी अपने बच्चे के लिए जब खिलौने खरीदने जा रहे हों, तो इन बातों का ध्यान रखिए।