बच्चे के दांत (Bacho ke dant) निकलते समय सब-कुछ जानना है ज़रूरी ।एक शिशु की किलकारियों से पूरा घर चहक उठता है। घर का हर सदस्य उसकी पल भर की मुस्कान से अपने सारे दुःख – दर्द भूलकर खुशी से उसके साथ खेलने लगता है। अगर यही बच्चा जब किसी वजह से परेशान होता है तो मानो पूरा परिवार उदास हो जाता है। ऐसी ही एक स्थिति है जब बच्चों के दांत निकलते हैं। इस समय बच्चों को काफ़ी परेशानी होती है। वैसे बच्चों के दांत निकलना आम बात है। ये दांत ‘दूध के दांत’ के रूप में जाने जाते हैं।
बहुत सारे माता-पिता हमसे पूछते हैं
- छोटे बच्चे के दांत कब निकलते हैं , Bachon ke Dant Kabh Nikalthe
- बच्चों के दांत निकलते समय क्या करना चाहिए
- बच्चे के दांत निकलने के लक्षण (Dant Nikalne ke Lakshan)
आइए जानते हैं हमारे विशेषज्ञ से इन सवालों के जवाब
बच्चों के दांत निकलने की उम्र क्या है – किस समय निकलते हैं Bachon ke Dant
बच्चों के दांत कितने महीने में निकलते हैं छह महीने के होने पर बच्चों के दांत निकलने लगते हैं। वहीं कुछ बच्चों के इससे थोड़ा पहले या थोड़ा बाद में भी निकल सकते हैं। आमतौर पर बच्चों के दांत निकलने की शुरूआत छह से आठ महीनों के बीच हो जाती है और दो साल तक लगभग सारे दांत निकल जाते हैं।
दांत निकलते समय बच्चों में दिखाई देने वाले लक्षण (Dant Nikalne ke Lakshan)
- लार टपकना– इस दौरान बच्चे के मुंह में अधिक मात्रा में लार आती है जिससे बच्चा अपने कपड़े भी गीले कर लेता है।
- मसूड़ों में सूजन -इस समय बच्चे के मसूड़ों पर दबाव पड़ता है। दांतों के मसूड़ों की त्वचा से बाहर आने की वजह से बच्चे के मसूड़ों में सूजन, लालिमा और दर्द भी हो सकता है।
- काटना और चबाना – जिस समय दांत मसूड़ों से बाहर निकलने वाले होते हैं, तब बच्चे को काफी परेशानी होती है। इससे शिशु पास में मौजूद हर चीज को काटने और चबाने की कोशिश करता है, जैसे स्तनपान करते समय माँ का स्तन, खिलौने, उंगली और अंगूठे आदि। मसूड़ों पर पड़ रहे दबाव को कम करने और आराम पाने के लिए बच्चा ऐसा करता है।
- चिड़चिड़ा होना – शिशु मसूड़ों में सूजन और दर्द होने की वजह से इस समय काफ़ी चिड़चिड़ा हो जाता है।
खाना – पीना कम करना – इस समय बच्चे के मसूड़ों में दर्द होता है, जिसकी वजह से बच्चा खाना – पीना कम कर देता है। - अधिक रोना – इस दौरान ज्यादातर बच्चे दर्द और खुद को असहज महसूस करते हैं, इसलिए वह आम दिनों की तुलना में ज्यादा रोते हैं। ऐसा आमतौर पर तब होता है, जब बच्चे के पहले दांत निकलते हैं। दूध के दांत निकलते समय बच्चा बहुत छोटा होता है। अभी वह बोल भी नहीं पाता, ऐसे में बच्चा अधिक रोता है।
- नींद कम होना या सोते समय बेचैन होना – मसूड़ों में दर्द और सूजन के कारण बच्चा आराम से सो भी नहीं पाता है, वह बार – बार जागकर रोने लगता है।
- नाक बहना – यह ज़रूरी नहीं कि बच्चे के दांत निकलने का यह सामान्य लक्षण हो। हो सकता है कि बच्चे को सर्दी हो, ऐसे में आप उसका इलाज कराएं।
- बुखार होना – इस समय अगर बच्चे को बुखार होता है तो वह 38 डिग्री सेलसियस (100 डिग्री फारेनहाइट) से ज्यादा नहीं होता है। लेकिन बच्चे को दांत निकलते समय बुखार हो रहा है, तो आपको डॉक्टर की सलाह ज़रूर लेनी चाहिए।
- दस्त लगना – इस समय बच्चे के मसूड़ों में खुजली होती है, जिससे वह अपने आसपास रखी गंदी चीजों को मुँह में डाल लेते हैं। इससे बच्चे के पाचन तंत्र के निचले भाग में संक्रमण होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। हल्का संक्रमण होने पर शिशु के पेट में दर्द व अन्य परेशानियां होती हैं, जबकि गंभीर संक्रमण में शिशु को दस्त लग जाते हैं।
- उल्टियां लगना– हर अच्छी या बुरी चीजों को मुँह में डालने से शिशु के पाचन तंत्र के ऊपरी हिस्से में संक्रमण हो सकता है। इसकी वजह से बच्चे के पेट में दर्द और उल्टियां लग जाती हैं।
- कान खींचना और गालों को रगड़ना – मसूड़ों, कानों और गालों से गुजरने वाली कई नसें होती हैं। इस कारण मसूड़ों में दर्द के कारण बच्चों के गालों और कानों में भी दर्द होने लगता है।
- दांतों का दिखाई देना – इस समय बच्चे के मसूड़ों पर दांतों का ऊपरी हिस्सा दिखाई देने लगता है।
- रैशज होना – लार की वजह से ही शिशु के ठोड़ी, होंठ और मुंह के आसपास की त्वचा पर दरारें भी हो सकती हैं। इस समय ज्यादा लार आने के कारण बच्चे के मुँह में लालिमा, रैशज और घाव हो सकते हैं।
- खांसी और स्वरयंत्र में ऐंठन– लार अधिक होने के कारण बच्चा खांसी या स्वरयंत्र (गले का विशेष हिस्सा) में ऐंठन महसूस कर सकता है। अगर बच्चे में सर्दी जुकाम या फ्लू के अन्य लक्षण नहीं हैं तो परेशान न हों।
दांत निकलने का दर्द कब से कब तक?
डॉक्टरों के अनुसार दांत निकलने से करीब दो महीने पहले ही शिशु को दर्द शुरू हो जाता है। वहीं दांत के मसूड़ों से बाहर आने पर दर्द कम हो जाता है या फिर पूरी तरह से खत्म हो जाता है। इसलिए जब भी शिशु का नया दांत आने लगता है, उसका दर्द शुरू हो जाता है और दांत निकलते ही कम या खत्म होने लगता है। शिशु को सबसे ज्यादा दर्द दाढ़ निकलते समय होता है, क्योंकि उसका आकार दांत से बड़ा होता है।
बच्चे को ऐसे दिलाएं राहत
दांत निकलते समय हर बच्चे के लक्षण अलग -अलग हो सकते हैं। कोई बच्चा बहुत परेशान होता है तो कोई कम। लेकिन आमतौर पर बच्चों को कई समस्याओं का सामना करना ही पड़ता है। तो ऐसे में अपने आँखों के तारे को राहत पहुँचाने के कुछ उपाय हम आपको बता रहे हैं।
- खुशनुमा वातावरण में रखें- बच्चे के आसपास अच्छा माहौल बनाएं। उस एक ही कमरे में बंद करके न रखें। घर के लिविंग रूम, आँगन, बालकनी आदि में उसे कुछ देर अपनी गोद या पालने आदि में बिठाएं।
- अच्छी क्वालिटी के टीथर्स दें-बच्चे को अच्छी क्वालिटी का टीथर दें। वह मुलायम होना चाहिए जिसे बच्चा आसानी से मसूड़ों के नीचे दबा सके।
- साफ़ और हवादार कमरे में सुलाएं- जहां बच्चा अधिक समय रहता और सोता है वह कमरा साफ़ – हवादार होना चाहिए।
- बच्चे के सोते समय शांति रखें- जिस समय बच्चा सो रहा है, घर में शांति का माहौल बनाएं रखें।
- थोड़ा टहलाने ले जाएं- हो सके तो बच्चे को आसपास थोड़ी देर के लिए पार्क में टहलाने के जाएं।
मसूड़ों पर मालिश करें- हल्के हाथों से शिशु के मसूड़ों पर मसाज करें। - आसपास गंदी चीजें न रहने दें- उसके आसपास कभी भी कोई गंदी चीज न रहने दें। इस समय वह हर चीज मुँह में डालता है।
- बच्चे को खिलौने आदि में व्यस्त रखें-बच्चे का ध्यान खिलौनों में बटाएं। खेल -खेल में बच्चा खुश रहेगा और कुछ समय के लिए अपना दर्द भूल जाएगा।
- हलका ठंडा खाने-पीने को दें- जो भी चीज़ बच्चा खाता या पीता, उसे थोड़ा ठंडा ही दें। ठंडी चीजों से उसे थोड़ी राहत मिलेगी।
- मौसम के अनुसार आरामदायक स्थिति में रखें- बच्चे को मौसम के अनुसार आराम से रखें। गर्मी हो तो सामान्य ठंडक और सर्दी हो तो गरम कमरे में रखें।
- सुन्न करने वाली जैल क्रीम लगाएं – कई बार डॉक्टर इस तरह की कोई क्रीम मसूड़ों पर मसाज करने के लिए देते हैं। यह बच्चे को थोड़ा आराम देती है।
- कैल्शियम की मीठी दवाई देना – डॉक्टर से पूछकर कैल्शियम की मीठी दवाई बच्चे को देना फ़ायदेमंद होता है।
- तबीयत बिगड़ती लगे तो डॉक्टर के पास जाएं- दांत निकलते समय बच्चे को परेशानी होती ही है लेकिन बच्चे की तबियत बिगड़ी लगे तो तुरन्त डॉक्टर को दिखाएं। ज्यादा उल्टियां, दस्त, तेज बुखार आदि होना बच्चे की सेहत के लिए अच्छे नहीं हैं।
इन बातों का भी रखें ख़्याल
- मुलायम कपड़े से बच्चे के मसूड़ों को साफ करें। इससे उसके नाजुक मसूड़ों को नुकसान भी नहीं होगा और सफाई भी हो जाएगी।
- विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर खाना दें। इस खाने से बच्चे के दांत ज्यादा मजबूत बनेंगे। इस समय बच्चे को कैल्शियम, फ्लोराइड, फास्फोरस और विटामिन-डी की जरूरत होती है। इनसे बच्चे के दांत मजबूत बनते हैं और मसूड़े भी मजबूत हो जाते हैं।
- बच्चे के बर्तन यानी प्लेट, चम्मच और कटोरी अलग रखें। बच्चों के बर्तन और कोई उपयोग न करें, क्योंकि इससे उन्हें इंफेक्शन हो सकता है।
- बच्चे के 20 दांत निकलने पर डेंटल चेकअप करवाएं।
- 18 महीने का होने पर बच्चे को ब्रश करवाने में मदद कर सकती हैं। बच्चों का पेस्ट फ्लोराइड युक्त होना चाहिए।
- बैक्टीरिया से बचाव के लिए बच्चे का टूथब्रश हर 3 महीने में बदलें।
- बच्चे को दिन में दो बार ब्रश करने (सुबह और रात) की आदत डालें।
- 3 साल का होने पर बच्चे को ब्रश करवाते समय पेस्ट की मात्रा को थोड़ा ज्यादा कर सकते हैं। बच्चे को फ्लोराइड सप्लीमेंट भी दे सकते हैं।
तो फिर ख्याल रखें अपने नन्हे मुन्ने का। उस प्यार दें, उसकी खूब देखभाल करें।
ऐसा न करें
- मसूड़ों पर अल्कोहल या लौंग आदि का तेल न लगाएं।
- फ्रोज़न टीथर बच्चे को न दें।
- गंदे टीथर बच्चे को न दें।
डॉ.अनुराग प्रसाद – एमबीबीएस, एमडी -पीडियाट्रिशियन, चाइल्ड स्पेशलिस्ट एंड न्यूबॉर्न