छोटे बच्चे को जन्म के साथ ही दूध पिलाना, किसी भी मां के लिए आसान काम नहीं है। लेकिन हम खुशनसीब हैं कि आज हमारे पास नवजात शिशु को मां अपना दूध कैसे पिलाए, इससे संबंधित टिप्स मौजूद हैं। आइए जानते हैं 5 टिप्स बच्चे को स्तनपान कराने के तरीके
अगर फ्रांस के एक संस्थान Institut français des relations internationals आईएफआरआई की एक रिपोर्ट की मानें तो 0 से 6 माह के सिर्फ 38 प्रतिशत नवजान शिशुओं को ही मां का दूध मिल पाता है।
वर्ष 2012 में वर्ल्ड हेल्थ एसेंबली या डब्ल्यूएचए ने 2025 तक स्तनपान या ब्रेस्टफीडिंग को बढ़ावा देने के लिए 6 पोषक कार्यक्रम की शुरुआत की थी। इसका मुख्य उद्देश्य मां के दूध से मिलने वाले पोषक तत्वों के बारे में जागरुकता को बढ़ाना और माताओं और नवजात शिशुओं को सही पोषक तत्व पहुंच सके, है।
नई माताओं के लिए 5 टिप्स: कैसे कराएं स्तनपान (ब्रेस्टफीडिंग)
पहली बार मां बनने का अनुभव एक खट्टा-मीठा अनुभव है, जिसमें मां के दिमाग में कई प्रश्न एक साथ चल रहे होते हैं। उसमें से एक प्रश्न ‘पहली बार अपने बच्चे को कैसे दूध पिलाया जाए’ भी शामिल है। इस संदर्भ मे आपकी मदद करने के लिए ब्रेस्टफीडिंग के 5 टिप्स हम यहां आपको बताने जा रहे हैं।
1. अपने बच्चे की दूध की जरूरतों को समझें:
सबसे पहला टिप यह है कि आप बच्चे के रोने से पहले ही यह जानने की कोशिश करें कि उसे कब दूध पिलाने की जरूरत है। आप बच्चे की ओर से दिए जाने वाले संकेतों जैसे कि अपने सिर को घुमाना, बार-बार मुंह खोलना या फिर आस-पास मौजूद किसी भी चीज को मुंह में डालना आदि को देख कर समझ सकती हैं कि उसे दूध पीना है। इनमें से किसी भी संकेत के मिलते ही बच्चे को तुरंत दूध पिलाएं। इस तरह से आपके बच्चे को दूध के लिए ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ेगा ।
2. कितनी देर दूध पिलाना है, इसे अपने बच्चे पर छोड़ दें:
बच्चे अच्छे से जानते हैं कि उन्हें कितनी भूख लगी है। इसीलिए कितनी देर दूध पिलाना है इसका निर्णय आप अपने बच्चे पर ही छोड़ दें। आप अपनी तरफ से कोई समय या दूध पिलाने के बीच कितना अंतराल होना चाहिए, निर्धारित न करें। बच्चे को आपके दूध से मिलने वाले पोषक तत्वों से दूर न रखें।
आप इस बात के लिए बिल्कुल भी चिंतित न हों कि बच्चा कुछ मिनटों के लिए दूध पीता हो या फिर उसका यह समय बढ़ते हुए 30 मिनट तक रहे। बच्चे अपनी जरूरत और भूख के हिसाब से दूध पीने में समय ले सकते हैं।
3. दूध पिलाते हुए सहज रहें:
बच्चे को अपना दूध पिलाते हुए आप उसके साथ अच्छा समय बिता सकती हैं। अगर आप किसी असुविधाजनक स्थिति में बच्चे को ब्रेस्टफीड करती हैं तो यह आपके और आपके बच्चे दोनों के लिए असहज हो जाएगा। साथ ही असुविधाजनक स्थिति में बैठने की वजह से आपके कंधों, पीठ और गर्दन में भी दर्द हो सकतास है। ऐसी स्थितियां जिनकी आमतौर पर बच्चे को दूध पिलाने के लिए माओं को सलाह दी जाती है, उनमें से पहली है कि मां करवट पर लेट कर बच्चे को अपने सामने रखते हुए उसे दूध पिला सकती है और दूसरी स्थिति में मां बैठते हुए बच्चे को अपनी गोद में रख कर बांहों का सहारा देते हुए भी उसे दूध पिला सकती है।
4. बच्चे को सही स्थिति में पकड़ें:
दूध पिलाते समय बच्चे खुद-ब-खुद अपनी सबसे बेहतर पोजीशन ढ़ूंढ ही लेते हैं, आप बस अपने बच्चे के हिलने-डुलने पर ध्यान दें और उसे उसकी सहज स्थिति तक पहुंचने में मदद करें। बच्चा कैसे खुद से दूध पीए, इसके लिए कुछ आम ब्रेस्टफीडिंग की टिप्स हैं।
सबसे अहम टिप यह है कि आप इस बात का खास ख्याल रखें कि बच्चे को उसकी सहज स्थिति में लाने के लिए आप कोई जोर-जबरदस्ती न करें। हो सकता है कि उसकी स्थिति कुछ अलग हो, जिसमें वह सहज महसूस करे। इस बात का भी ध्यान रहे कि दूध पीते समय आरामदायक स्थिति में होने के साथ-साथ बच्चा अच्छे से सांस ले सके।
5. खूब पानी पीएं:
ब्रेस्टफीडिंग की टिप्स का सफर हम इस आखिरी टिप के साथ कर रहे हैं कि आप दूध पिलाने के लिए अधिक से अधिक पानी पिएं। माना जाता है कि मां जितनी अधिक मात्रा में तरल पदार्थ लेगी उसका दूध उतना ही अधिक बनेगा। इसीलिए जरूरी है कि आप जब बच्चे को दूध पिलाएं उसके बाद खुद भी पानी या कोई अन्य तरल चीज लें। इससे यह भी सुनिश्चित होता है कि आपके शरीर में पर्याप्त मात्रा में दूध बन रहा है, जिससे बच्चे को सही पोषक तत्व मिलते रहेंगे।
समाप्त करने से पहले हम यही कहेंगे कि दूध पिलाना किसी भी मां के लिए अपने बच्चे के पालन-पोषण का सबसे पहला कदम है, क्योंकि नवजात शिशुओं को प्राकृतिक तरीके से भोजन सिर्फ यहीं से प्राप्त होता है। हो सकता है कि आप अपने बच्चे को सही और पर्याप्त पोषक तत्व पहुंचाने के लिए कुछ चिंतित हों। लेकिन हमारी सलाह यही है कि यहां दिए गए टिप्स को अपनाएं और बच्चे के साथ अपने रिश्ते को और गाढ़े करें। क्योंकि ब्रेस्टफीडिंग सिर्फ भोजन देने की क्रिया ही नहीं, बल्कि यह आपका उसके साथ बिताया हुए अनमोल पल भी हैं।