बच्चे अपनी किसी मांग को पूरा कराने के लिए अक्सर अपने माता-पिता को ब्लैकमेल करते हैं, ये तो सभी ने सुना है। लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि कुछ माता-पिता भी अपने बच्चों को इमोशनली ब्लैकमेल करते हैं, अपने छोटे-छोटे कामों के लिए। अगर आप भी ऐसा ही कुछ करते हैं तो एक बार आप भी जानें इसके नुकसान।
सभी माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे काफी जगह उनकी मदद करें या फिर उनके कुछ काम करें। इसके लिए वे अपने बच्चों को कभी आत्मग्लानि, तो कभी डर और तो और धमकी और अपने प्यार का वास्ता देकर भी काम करने के लिए बाधित करते हैं। वैसे तो बच्चों को माता-पिता का काम करने में मदद करनी चाहिए। पर बच्चों से काम कराने के लिए इस तरह के तरीकों का इस्तेमाल करने के कारण बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास पर नकारात्मक असर हो सकते हैं।
बच्चों को भावनात्मक तौर पर ब्लैकमेल करने के नकारात्मक प्रभाव
1. बच्चे आपसे ही सीखते हैं ब्लैकमेल करना
जब भी माता-पिता बच्चों को भावुक कर अपना काम कराने के लिए जबरदस्ती करते हैं तो बच्चों के पास उस समय तो कोई चारा नहीं बचता, लेकिन लंबे समय में बच्चे आपसे ही सीखते हुए इसका इस्तेमाल आपके साथ करेगा। क्योंकि आप अपने बच्चे को खुद ही ऐसा करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उसे बता रहे हैं कि इमोशनल करने से आप सामने वाले से कुछ भी करा सकते हैं। लेकिन एक बात यहां समझने की है कि इस तरह की रणनीतियां लंबे समय में कोई भी सकारात्मक परिणाम देने में कारगर साबित नहीं होती हैं।
2. बच्चों की नाराजगी बढ़ जाती है
आप सोच भी नहीं सकते, लेकिन बच्चे बेहद कम उम्र में ही यह समझना शुरू देते हैं कि कि कोई उनकी भावनाओं का फायदा उठा रहा है। कोई भी यह नहीं चाहता कि उनकी भावनाओं के साथ कोई खेल सके। हो सकता है कि शुरू में बच्चे आपको अपनी नाराजगी दिखाए नहीं, लेकिन आगे चलकर बच्चों की नाराजगी आपको साफ देखने को मिल सकती है, जब आप उन्हें कोई काम कहेंगे।
3. बच्चे ब्लैकमेलिंग को अपने लिए चुनौती समझते हैं
जब बच्चे यह समझ जाते हैं कि कोई उनकी भावनाओं का गलत इस्तेमाल करते हैं तो वे उन लोगों को अपने लिए इसे चुनौती समझने लगते हैं। बच्चों की दूरी उनके साथ बढ़ जाती है। बच्चे उनके साथ रहना ही नहीं चाहते, क्योंकि वो मान लेते हैं कि अभी उन्हें किसी न किसी बात पर इमोशनल ब्लैकमेल कर अपना कोई काम निकलवाया जाएगा।
4. माता या पिता के प्रति प्यार में कमी आ जाती है
अगर आप बच्चे को प्यार का वास्ता दे कर कोई काम करवाते हैं तो आपको रूक जाना चाहिए। कभी-कभी के लिए तो सही है, लेकिन अक्सर ऐसा करने से बच्चे के दिल में आपके प्यार के बदले कड़वाहट भरने लगेगी। क्योंकि वह समझ जाएगा कि आप अपने प्यार का इस्तेमाल कर उससे हमेशा काम करवाते हैं। जैसे कि हम बच्चे से उम्मीद करते हैं कि वे हमारे प्यार का गलत फायदा न उठाएं तो वैसे ही आपको बच्चों के साथ भी करना चाहिए।
5. बच्चे भावनाओं को लेकर भ्रमित रहेंगे
आप कब बच्चे से प्यार कर रहे हैं और कब उसका इस्तेमाल कर रहे हैं, यह बच्चे के लिए समझना काफी मुश्किल काम हो जाता है, जब आप अक्सर उन्हें इमोशनल ब्लैकमेल करते हैं। बच्चे वैसे ही भावनाओं को समझने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं होते। ऐसे में कम उम्र में ही उनकी भावनाओं का अपनी मर्जी से इस्तेमाल करना, उनके भावनात्मक संतुलन को बिगाड़ने की एक बड़ी वजह हो सकती है। भावनात्मक असंतुलन की वजह से अक्सर बच्चे भ्रमित अवस्था का शिकार हो जाते हैं।
6. बच्चे कभी काम करने की सही वजह को समझ ही नहीं पाते
अगर आप बच्चों को इमोशनल ब्लैकमेल करवा के अपने काम करवाते हैं तो वे कभी यह नहीं समझ सकते कि आखिर उन्हें वह काम क्यों करना चाहिए। जैसे कि मान लीजिए कि बच्चे का कमरा गंदा है और चाहते हैं कि वह खुद से अपना कमरा साफ करे, पर बच्चा इस काम के लिए अभी तैयार नहीं है। ऐसे में आप बच्चे को कहते हैं कि आप वह काम खत्म करना चाहते थे, पर आपकी अभी तबियत ठीक नहीं है इसीलिए आप चाहते हैं कि बच्चा अभी यह काम कर ले। ऐसे में बच्चा आपकी तबियत का ख्याल कर, हो सकता है कि अभी अपना कमरा साफ कर ले। लेकिन उसे काम करने की असल वजह नहीं पता चलेगी। इसीलिए जरूरी है कि आप बच्चे को ब्लैकमेल करने की जगह उसे काम करने के लिए समझाएं और अगर वह काम करने के लिए तैयार न हो तो कोई और तरीका इस्तेमाल कर उसे समझाएं।
ब्लैकमेल के माध्यम से आप अपने बच्चों को कुछ नहीं सिखा सकते हैं। न तो वे अपनी समस्याओं को सुलझाना सीख पाते हैं और न ही वे किसी काम को करने की अहमियत को समझ सकते हैं। आप कुछ समय के लिए तो उनसे काम करवा सकते हैं, लेकिन लंबे समय में इससे आपको कोई फायदा नहीं मिलने वाला। हो सकता है कि बच्चे से आपके संबंधों में भी फर्क आ जाए। इसीलिए बच्चों को इमोशनल कर कोई भी काम करने के लिए ब्लैकमेलिंग न करें।