क्या आपका बच्चा भी आक्रामक है?

By Ruchi Gupta|7 - 8 mins read| March 03, 2025

आजकल बच्चे खासतौर पर 1.5 साल से 3 साल तक के शिशु काफी एक्टिव होते हैं। उन्हें हर चीज हाथ में ले कर देखना है। हर छोटी से छोटी बात पर वे जिद्द करते हैं और अगर उसे पूरा न किया जाए तो वे आक्रामक भी हो जाते हैं। क्या वाकई बच्चों को इतना अधिक गुस्सा आता है? क्या उनके गुस्से को काबू करना गलत है? क्या उनका आक्रामक होना गलत है? आपके इन सभी सवालों के जवाब हम यहां देने की पूरी कोशिश करेंगे?

कल अपने दोस्तों के साथ हम बाहर डिनर के लिए गए थे। वहां मैंने देखा कि मेरी एक दोस्त का 2 साल का बेटा काफी शरारतें कर रहा था। कभी किसी सामान को छेड़ना तो कभी किसी को। कभी-कभी तो वह दूसरे बच्चों को गुस्से में एक-दो थप्पड़ भी लगा रहा था। जब उसे मना किया जाता तो वे चिल्लाते हुए अपने हाथों को नोंचने की मुद्रा में बना लेता। उसे देख कर तो एक वक्त के लिए मैं डर ही गई कि अभी इतना गुस्सा है तो बाद में यह क्या हाल करेंगा।

मैंने अपनी दोस्त से बात की तो उसने बताया, इसका घर पर भी यही हाल है। यह किसी की उम्र को नहीं देखता। अपने दादा-दादी तक को नहीं छोड़ता। मैंने इसे प्यार और मार दोनों से समझाने की कोशिश की है, पर यह है कि मानता ही नहीं है। अपनी दोस्त की हालत पर मुझे काफी दुख हुआ। उसका बेटा बेहद एक्टिव है, लेकिन क्या एक्टिव होने के साथ बच्चों में गुस्सा भी आक्रामकता की हद तक बढ़ गया है या कारण कुछ और है। आइए एक नजर डालते हैं बच्चे के आक्रामक होने से जुड़े सभी पहलुओं पर।

बच्चा आक्रामक है या नहीं, कैसे जानें:

बच्चे के खिलौने को किसी ने ले लिया तो उसे गुस्सा आना लाजमी है, लेकिन अगर उसे इतना गुस्सा आए कि वह दूसरे बच्चे या खुद को नुकसान पहुंचाए तो यह आक्रामकता की श्रेणी में आएगा। अगर आपका बच्चा यहां बताए गए कार्यों में से कुछ भी करता है तो यह चिंता का विषय है:

  • उसे जल्दी-जल्दी गुस्सा आता है और वह बहुत अधिक गुस्सा हो जाता है।
  • वह जरूरत से ज्यादा चिड़चिड़ा और आवेशपूर्ण हो जाता है।
  • बहुत जल्दी निराश हो जाता है और उसका ध्यान कम से कम लगता है।
  • दूसरे बच्चों और बड़ों से लड़ाई करता है और उन्हें शारीरिक कष्ट पहुंचाता है।
  • जल्दी-जल्दी बहस करता है और जिद्दी हो गया है।
  • स्कूल में उसका प्रदर्शन बुरा होता जा रहा है और किसी भी ग्रुप एक्टिविटी में भाग नहीं लेता।
  • उसे दोस्त बनाने या सामाजिक परिस्थितियों के साथ सामंजस्य बनाने में मुश्किल हो रही है।
  • परिवार के अन्य सदस्यों के साथ हमेशा बहस या लड़ाई करना।

छोटे बच्चों को बहुत गुस्सा क्यों आता है?

छोटे बच्चे अक्सर खुशी या परेशानी में चिल्लाते हैं, चीजों को उठाकर फेंकते हैं या पैर पटकते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे हमेशा गुस्से में हैं। लेकिन अगर बच्चा लगातार इस तरह से प्रतिक्रियाएं दे तो यह गंभीर विषय है।

डॉ. मोक्षा नागदेव गोडवाणी का कहना है, ‘18 माह से 3 साल तक के बच्चों की स्थिति बेहद गंभीर होती है। वे कठिन सामाजिक परिस्थितियों को समझने की कोशिश कर रहे होते हैं, जैसे अपने खिलौनों को किसी दूसरे से बांटना, खेल में अपनी बारी या टर्न आने का इंतजार करना। वे सामाजिक कौशल सीखने के दौर में होते हैं, जहां उन्हें सही तरीके से अपनी जरूरतों को अपने माता-पिता को समझाना पड़ता है। हम बड़े होने के नाते उनसे उम्मीद करते हैं कि वे जल्दी से ‘सही’ तरीके से यह सभी कलाएं और कौशल सीख जाएं पर जब वे हमारे चाहे अनुसार ऐसा नहीं कर पाते तो हमें उनके कामों पर शर्म आने लगती है।’

कुछ ऐसा ही छोटे बच्चों में भी होता है, जब हम उनकी भावनाओं को सही से समझ नहीं पाते तो उन्हें गुस्सा आता है, जिस कारण वे चीजों को फेंकने या मारने की कोशिश करते हैं। डॉ. मोक्षा कहती है, ‘हमें यह समझना चाहिए कि किसी भी प्रकार का व्यवहार भावनाओं की ही अभिव्यक्ति है, फिर चाहे वे बड़ों में हो या बच्चों में। अगर आप गुस्सा हो तो आपको गुस्सा करना चाहिए और अगर आप खुश हैं तो अपने चेहरे पर खुशी को दिखाएं।’

इसके अलावा भी कई और कारण हैं, जिनकी वजह से बच्चे में गुस्से की भावना अधिक घर कर जात है। जैसे कि परिवार में होने वाले लड़ाई-झगड़े, बच्चों को सीखने में होने वाली असमर्थता, न्यूरोलॉजिकल समस्या या उनका आक्रामकता से भरपूर कार्यक्रम और कार्टून्स देखना।

माता-पिता की क्या है भूमिका?

बच्चे को गुस्सा आए तो माता-पिता को क्या करना चाहिए? इस बारे में डॉ. मोक्षा कहती हैं, ‘आपका बच्चा भावनात्मक तौर पर किस परिस्थिति से गुजर रहा है, गुस्सा सिर्फ उसकी अभिव्यक्ति है और अगर आप अपने बच्चे की इस भावना को समझ सकें तो आप अपने बच्चे की मदद कर सकते हैं। ऐसे में आप माता-पिता होने नाते उसे सामाजिक परिस्थितियों में सही ढंग से अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के दूसरे तरीकों के बारे में भी सीखा पाएंगे।’

कभी-कभी बच्चे भाई-बहन से होने वाली ईर्ष्या को भी समझ नहीं पाते और काफी आक्रामक रवैया अपना लेते हैं। ऐसे में माता-पिता को उनकी ‘ईर्ष्या’ की भावना को समझते हुए उन्हें अपने भाई-बहन से प्यार से बात करने के बारे में बताना चाहिए। माता-पिता की यहां भूमिका बहुत अहम है, क्योंकि छोटे बच्चे विभिन्न भावों को समझने और उन पर सही ढंग से प्रतिक्रिया देने में समर्थ नहीं होते।

क्या हमें प्रोफेशनल सलाह की जरूरत है?

आपका बच्चा गुस्सा करता है या किसी बात पर आक्रामक रूप ले लेता है और आप उसके गुस्से पर काबू नहीं कर पा रहे। बजाए इसके आप भी गुस्सा करने लगते हैं, तो निश्चित तौर पर आपको बाल मनोवैज्ञानिक या चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट से मिलना चाहिए। डॉ. मोक्षा बताती हैं, ‘चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट आपकी इसमें काफी मदद कर सकते हैं। वे एक सुरक्षित और मनोरंजक माहौल में बच्चे को उसके सभी भावों को दिखाने में मददगार होते हैं। साथ ही वे बच्चे को उसके भावों पर बेहतर तरीके से समझने और उन पर प्रतिक्रियाएं देने में मदद कर सकते हैं। वे सिर्फ बच्चे को ही नहीं, बल्कि आपको भी बच्चे के प्रति आपके रवैये को समझने में आपकी मदद करेंगे।’

बच्चे के गुस्से को काबू करने के टिप्स:

  1. उसे अधिक गुस्सा या चिल्लाने से रोकें और उससे बातचीत करें। पहले उसकी बात समझें और फिर उसे समझाने की कोशिश करें।
  2. रोल प्ले करें। आप बच्चे के साथ अपनी जगह बदल लें। आप बच्चा और बच्चा मम्मी या पापा बनें और उसे दिखाएं कि उसने क्या किया। बाल मनोवैज्ञानिक का मानना है कि रोल प्ले के माध्यम से बच्चे जल्दी से सीखते हैं, क्योंकि वहां वे अपनी प्रतिक्रियाओं को देख सकते हैं।
  3. ईर्ष्या की वजह से अक्सर बच्चे ज्यादा आक्रामक होते हैं। अगर आपने भी अपने बच्चे में ईर्ष्या की भावना देखी है, तो उसके गुस्से को काबू करने से बेहतर है कि आप उसे पहले सुरक्षित होने की भावना दें। आप उसे बताएं कि वह आपकी पहली पसंद है या आप दोनों बच्चों को बराबर प्यार करते हैं।
  4. बच्चे घर में जो होते हुए देखते हैं उसे ही प्रदर्शित भी करती हैं। अगर आपके घर या आस-पास लड़ाई-झगड़े का माहौल है तो कोशिश करें कि वह छोटे बच्चे के दिमाग पर प्रतिकूल प्रभाव न डालें।
  5. आपका बच्चा टीवी या मोबाइल फोन में क्या देख रहा है, इसकी जानकारी भी होना बहुत जरूरी है। हम मान कर चलते हैं कि वह सिर्फ कार्टून देख रहा है, लेकिन कई कार्टून्स भी ऐसे होते हैं, जिनमें हिंसा बहुत अधिक दिखाई जाती है।
  6. आपका बच्चा जब भी गुस्सा करे आप उस पर अपनी प्रतिक्रिया एक जैसी रखें। जैसे कि अगर वह किसी बच्चे को मार रहा हो तो आप उससे कुछ देर के लिए बात करना बंद कर दें। छोटे बच्चे हमेशा अपने माता-पिता के साथ बातचीत करते रहना चाहते हैं आपका शांत रहना उन्हें पसंद नहीं आएगा और जब आप बार-बार उनके साथ एक जैसा व्यवहार करेंगे तो उन्हें याद रहेगा कि अगर अब मैंने किसी को मारा तो आप बात नहीं करेंगे। ऐसा करने से उनकी मारने की आदत कम हो जाएगी।
  7. बच्चे को खुद पर काबू करना सीखाएं। जरूरी नहीं है कि जब आपका बच्चा कुछ गलत करे आप तभी उसे समझाएं। जब आपका बच्चा कुछ अच्छा करता है तब भी आप उसे बताएं कि उसके सही व्यवहार के कारण आप उसे वह चीज करने दे रहे हैं। जैसा कि अगर आपका बच्चा आपसे कंप्यूटर पर खेलने या टीवी देखने की अनुमति मांगे तो आप उसे वह करने दें और बताएं कि उसने रिमोट को छीनने की कोशिश नहीं की और न ही गुस्सा किया है, इसीलिए आप उसे कंप्यूटर या टीवी देखने की इजाजत दे रहे हैं।

डॉ. मोक्षा नागदेव गोडवाणी, बाल मनोवैज्ञानिक एवं प्रिंसिपल, (एसआईएस प्रेप स्कूल, गुरुग्राम) से बातचीत पर आधारित।


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