सिर्फ स्कूल में अच्छे अंक पा लेने से या फिर किसी एक चीज को सीख लेने से आपका बच्चा बाकी बच्चों से बेहतर नहीं हो सकता। आज की तारीख में ज्यादातर बच्चे 90 प्रतिशत से अधिक अंक हासिल करते हैं। ज्यादातर बच्चे किसी न किसी खेल में बेहतर हैं तो फिर आपका बच्चा दूसरों से कैसे आगे निकल सकता है? इस सवाल का एक ही जवाब है अपनी रचनात्मकता के दम पर आपका बच्चा भीड़ में भी अलग से दिखाई दे सकता है।
ज्यादातर मोटिवेशनल स्पीच में सभी ने एक पंक्ति जरूर सुनी होगी, ‘विजेता कोई अलग चीज नहीं करते, बल्कि वे चीजों को अलग तरीके से करते हैं।’ अपनी कक्षा में सभी बच्चों ने एक ही टीचर से सीखा है, फिर भी कुछ बच्चे बेहतर प्रदर्शन कैसे कर पाते हैं। क्योंकि वे बच्चे न सिर्फ टीचर की बताई बात को ध्यान में रखते हैं, बल्कि उसे अपने खास अंदाज में प्रस्तुत भी करते हैं। यही एक बड़ी वजह भी है कि आजकल स्कूल भी छात्रों की काबिलियत को जानने के लिए उन्हें ज्यादा से ज्यादा प्रोजेक्ट वर्क भी देते हैं, ताकि किसी भी विषय के बारे में बच्चे की सोच क्या है, वे इसे समझ पाएं।
कैसे बढ़ाएं बच्चों में रचनात्मकता (Ways to Encourage Creativity)
1. बच्चे को खाली समय में घर में बेकार पड़ी चीजों का इस्तेमाल करने दें
अक्सर माता-पिता घर गंदा हो जाएगा, यही सोच-सोच कर बच्चे को बेकार या खाली पड़ी वस्तुओं का इस्तेमाल नहीं करने देते। लेकिन आपकी यह सोच आपके बच्चे से उसकी रचनात्मकता को छीन सकती है। सिर्फ रचनात्मकता ही नहीं, बल्कि बच्चों में कुछ बनाने के बाद जो संतुष्टि होती है, उसे आप खरीद कर लाई हुई चीज से भी नहीं पा सकते। इसीलिए जरूरी है कि आप बच्चे को खाली समय में कुछ न कुछ रचनात्मक करने दें।
2. बच्चों को सोचने दें
आप बच्चे से बातचीत के दौरान किसी भी विषय पर उनकी राय देने को कहें। जैसे कि ‘वे बड़े होकर क्या बनना चाहते हैं?’, ‘वे क्या करना चाहेंगे, अगर उन्हें 5000 रुपये दिये जाएं तो?’, ‘वे अगर एक दिन घर पर अकेले हों तो क्या करेंगे?’, ‘अगर उन्हें आज प्रधानमंत्री या उनके स्कूल का प्रधानाचर्य बना दिया जाए तो वे क्या-क्या करना चाहेंगे?’ इस प्रकार के कई सवाल और भी हो सकते हैं, जो आपके बच्चे को और भी कल्पनाशील और रचनात्मक बना सकते हैं।
3. बच्चों को डायरी लिखने को कहें
डायरी एक ऐसी चीज है, जिसमें बच्चे न सिर्फ अपनी दिनचर्या, बल्कि अपने भाव भी लिखते हैं। इसके साथ ही आपके बच्चे में लेखन संबंधी कौशल भी सुधरने लगेगा। साथ ही बच्चों में लिखने के प्रति लगाव भी बढ़ेगा। ज्यादातर लेखकों, कवियों की शुरुआत छोटी-छोटी घटनाओं के उल्लेख से ही होती है। लिखने के कारण आपके बच्चे में दूसरों के व्यवहार और उनके हाव-भाव को जानने की भी जिज्ञासा बढ़ेगी, क्योंकि उसे अपनी अगली कहानी के नए किरदार के लिए इन सब चीजों की जरूरत होगी। लिखना-पढ़ना दरअसल बच्चों को और भी रचनात्मक बना देता है। आप चाहतें तो उन्हें अच्छी-अच्छी किताबें भी ला कर दे सकते हैं।
4. परिणाम से ज्यादा प्रगति पर दिलाएं ध्यान
अक्सर बच्चे माता-पिता की बात मान कर कोई भी काम करना शुरू कर देते हैं और अंत में परिणाम की अपेक्षा अपने मन-मुताबिक करते हैं। लेकिन अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा भी अधिक रचनात्मक बने तो आप उसे बताएं कि किसी भी काम में उसके परिणाम से कहीं अधिक महत्व होते है उसमें होने वाली प्रगति का है।
जैसे अगर आपका बच्चा सिर्फ पियानो बजाना ही सीख रहा है तो पियानो के आते ही वह सभी सुर सही नहीं बजा सकता। बल्कि उसे रोज निरंतर अभ्यास की जरूरत है, पियानो को खूबसूरती से बजाने के लिए। आप अपने बच्चे को बताएं कि जिस दिन पियानो आया था, उस दिन तो वह सिर्फ आवाजें निकाल रहा था, लेकिन धीरे-धीरे उसने पियानो पर कई धुनें बजाना सीख लिया।
5. बच्चे को रोकें-टोकें नहीं
अगर आपका बच्चा रचनात्मक है तो आप उसे बार-बार रोक-टोक करेंगे तो उसकी रचनात्मकता धीरे-धीरे दबने लगेगी। अपने बच्चों को उनकी पसंद का काम करने देना भी उनकी रचनात्मकता को बढ़ाने का ही एक प्रयास है। बार-बार बच्चे को किसी काम को मना करने से बच्चे में उस काम के प्रति लगाव कम हो जाता था। साथ ही इससे बच्चों में कोई भी नई चीज सीखने का साहस नहीं बचता।
आप बताएं बाद में जब आप चाहेंगे कि आपका बच्चा अच्छे से साइकिल चलाए और वह वैसा करने से मना कर दे तो आपको कैसा महसूस होगा। आप सोचेंगे कि ये तो बाकी बच्चों से पीछे है, इसकी उम्र के तो सभी बच्चे अच्छे से इस काम को कर लेते हैं और यह तो गिरने से ही डर रहा है। शायद आप भूल रहे हैं कि जब बच्चे ने कम उम्र में साइकिल को चलाने का प्रयास करना चाहा था, तब आपने उसे गिर जाने के डर के कारण ही तो ऐसा करने से मना किया था।
6. बच्चों को बड़ा बनने दें
बड़ा बनने से मतलब यहां जिम्मेदारी उठाने से है। दरअसल बड़ा होने का मतलब है कि बच्चे अपने काम के लिए पूरी जिम्मेदारी उठाएं। जैसे आप चाहें तो अपने 8-9 साल के बच्चे को आराम से घर में केक बेक करने दे सकते हैं। आज के समय में बच्चों के पास इतनी जानकारी है कि वे आसानी से अपनी देखभाल कर सकते हैं और वह भी रचनात्मक होते हुए। अगर आपको लगे कि किसी भी काम में बच्चे को नुकसान हो सकता है तो आप उसके साथ रहें, लेकिन तब भी उसे काम खुद से करने दें।
इसके अलावा आप बच्चे को किसी काम को मना न करें, बल्कि उससे पूछें कि आप कहां उसकी मदद कर सकते हैं। जैसे कि अगर मेरी बेटी को कैंची या कटर जैसी चीजों का इस्तेमाल करना होता है तो मैं उसे कह देती हूं कि इस काम में मैं उसकी मदद कर दूंगी, तब तक वह कोई दूसरा काम कर ले।
7. हर बार आप योजना न बनाएं
माता-पिता होने के नाते अक्सर बड़े ही घर में कब, क्या और कैसे होगा, इसकी योजना बनाते हैं। बेहतर होगा कि एक बार आप अपने बच्चे को भी इस योजना में शामिल करें और उसके विचारों का भी स्वागत करें। आमतौर पर हम अपने घर में अपनी 8 साल की बेटी से भी चर्चा करते हैं, अगर हम कहीं घूमने का कार्यक्रम बनाते है या फिर छुट्टियों में हम घर पर ऐसे मस्ती कर सकते हैं।
8. किताबों के अलावा भी करने दें पेंटिंग
अगर आपके पास पेंटिंग या ड्रॉइंग के लिए कागज या बुक न हो तो उन्हें खाली गत्ते के डिब्बों, बेकार की कॉपियों यहां तक कि घर की दीवारों पर भी पेंटिंग करने की इजाजत दे देनी चाहिए। छोटे बच्चों को हम सिर्फ खाली कागज या फिर डिब्बे दे सकते हैं, लेकिन 12-13 साल के बच्चों को आप उनके कमरे की दीवरों या पुराने फर्नीचर को पेंट करने के लिए कह सकते हैं। यहां आपको बच्चों की रचनात्मकता का खूबसूरत परिणाम देखने को जरूर मिल सकता है।
बच्चों को उड़ान को पंख माता-पिता से ही मिलते हैं। आपका बच्चा रचनात्मक कम है या ज्यादा, बच्चे की काबिलियत को जानकर आप अपने बच्चे की मदद कर सकते हैं। जरूरी नहीं है कि हर जगह आप बच्चे के लिए सामान या अन्य चीजों को उपलब्ध कराने में सफल हों, लेकिन अपने घर पर और बातचीत के माध्यम से भी आप बच्चे में उसकी रचनात्मकता के लिए उसे विश्वास दिला सकते हैं कि वह बेहतर काम कर सकता है। जब आपको लगे कि आपका बच्चे की रचनात्मकता के चलते वह और भी बेहतर प्रदर्शन कर सकता है तो उसे जरूर प्रशिक्षण दिलाया जाना चाहिए ताकि वह अपनी इस कला को और भी निखार सके।