जब भी बच्चों के स्कूल में बेहतर प्रदर्शन करने की बात होती है तो आमतौर पर माता-पिता उनके अंकों या ग्रेड्स के बारे में बातचीत करते हैं। इससे अधिक प्रतिस्पर्धात्मक शिक्षा कभी नहीं थी, जिसमें स्कूल के साथ-साथ माता-पिता भी अपने बच्चों को तनाव देने का काम कर रहे हैं। ऐसे में बच्चों का सिर्फ जानना नहीं, बल्कि किसी भी जानकारी को समझना, उसका प्रयोग करना काफी जरूरी हो जाता है। आइए देखते हैं कि आप किस प्रकार से अपने बच्चे की मदद कर सकते हैं, स्कूल से सही चीजों को सीखने में।
कभी-कभी आपने भी देखा होगा कि बढ़िया अंकों के बावजूद बच्चा स्कूल नहीं जाना चाहता या उसका उत्साह कम बना रहता है। आखिर क्या वजह है जो बच्चों के साथ ऐसा होता है? दरअसल मौजूद स्कूली शिक्षा बच्चों के लिए काफी तनावभरी हो गई है, जिसमें उनके अंकों को शिक्षा से अधिक तवज्जो दी जाती है। क्या चाहते हैं, आजकल माता-पिता बच्चा 90-95 प्रतिशत अंक ले आए तो उसे अच्छे विषय मिल जाएं और जब विषय मिल जाए तो अच्छे अंक ले आए तो सही संस्थान में इसे प्रवेश मिल जाए।
वाकई हमेशा अच्छे अंकों पर ध्यान देने की वजह से बच्चे के लिए सीखने का नहीं, बल्कि कैसे भी करके अच्छे अंकों का दबाव बनाया जाता है। यही कारण है कि बच्चा भी स्कूल में सीखने कम और अंकों की तैयारी करने के लिए ज्यादा जाता है, जिसमें वह भी कभी-कभी बोरियत महसूस करता है। लेकिन आप बच्चे की इस बोरियत को कम कर सकते हैं, ताकि बिना किसी दबाव के बच्चा स्कूल से सीख कर आए।5 ways you can help your child succeed at school
आपके ये तरीके मदद करेंगे स्कूल में बेहतर प्रदर्शन करने में
1. बच्चों को बहुत-सी गतिविधियों में न उलझाएं
बच्चा कैसा भी है होशियार है, औसत है या फिर कमतर है। किसी भी हाल में बच्चे पर बहुत सारी अतिरिक्त गतिविधियों का बोझ न डालें। बच्चे अपनी पसंद से कोई भी चीज सीख सकते हैं। लेकिन जब आप कम उम्र में उनसे उनका खाली समय छीन लेंगे तो निश्चित तौर पर वह अपने आप को बंधा हुआ महसूस करेंगे और बंधा हुआ इंसान कभी खुश नहीं रहता। इसका असर आप सीधे-सीधे उनकी स्कूली दिनचर्या और शिक्षा दोनों पर ही देख सकते हैं।
2. अंकों पर नहीं सीखने की प्रक्रिया को दें तवज्जो
हो सकता है कि अंकों को लाने की चाह में बच्चे काफी कुछ सीख सकें, लेकिन सिर्फ अंकों की चाह रखने से वे पूरी तरह चीजों को सीखने नहीं, बल्कि उनके खत्म होने का इंतजार करेंगे। वहीं अगर आप अपने बच्चों को अंकों से ज्यादा सीखने के बारे में बताएंगे तो वे बिना किसी तनाव या दबाव के सकारात्मक परिस्थितियों में सीख पाएंगे। जो हमारे बच्चों के मानसिक और शैक्षिक विकास के लिए बेहद जरूरी है।
जहां किंडरगार्टन में छोटी बच्चों को काम करने के लिए प्रेरित करने की दिशा में टीचर्स उन्हें कोई स्टिकर आदि देती हैं, वहां तक तो सही है, लेकिन सिर्फ अंकों को हासिल करने के लिए अगर आप अपने बच्चे पर दबाव बना रहे हैं तो यह गलत है। उन्हें बताएं कि अंकों से आपको इतना फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि आप चाहते हैं कि जो कुछ स्कूल में सिखाया जाता है, बच्चा उसे अपने जीवन में भी लागू कर सके। सिर्फ रटने से बेहतर है कि चीजों को समझा जाए।
3. बच्चों को उनके लक्ष्य का पीछा करना सिखाएं
हम सभी अपने बच्चों से क्या कहते हैं कि अच्छे नंबर ले आओगे तो अच्छे संस्थान में प्रवेश मिल जाएगा या अच्छे नंबर ले आओगे तो तुम्हारी पसंद के विषय मिल जाएंगे। यहां आपने नंबर्स का जिक्र पहले और अहम बात का जिक्र बाद में किया है। इसीलिए यहां लक्ष्य सिर्फ नंबर लाना है। लेकिन बच्चों को प्रोत्साहित या प्रेरित करने के लिए आप उनके सामने सीधे लक्ष्य को रखें न कि नंबर्स को। आप बच्चे को कह सकते हैं कि किसी खास संस्थान में प्रवेश पाने के लिए काफी मेहनत करनी होगी।
अगर आपके बच्चे छोटे हैं तो उन्हें छोटे-छोटे और व्यवहारिक लक्ष्य रखने को कहें। जैसे कि बच्चा इस बारे में सोच सकता है, ‘मैं परीक्षाओं से पहले 3 बार कम से कम अपने कोर्स का पुनराभ्यास करूंगा।’ या ‘मैं इस सप्ताह अपने हिंदी विषय पर अधिक ध्यान दूंगा।’ और इस काम में आप बच्चे की मदद करने की पूरी कोशिश करें।
4. हर टेस्ट पर न करें बच्चों की क्षमताओं का आंकलन
आजकल हर महीने बच्चों के टेस्ट होते हैं। ऐसे में बच्चों का भी पूरा ध्यान सीखने से हट कर रटने पर लग जाता है। बेहतर होगा कि आप अपने बच्चे का हर टेस्ट पर आंकलन करना शुरू न कर दें। इसकी बजाए आप 6 माह या 1 साल की मेहनत का आंकलन करें। इस तरह भी बच्चे पर हमेशा तैयारी करने का दबाव कम हो जाएगा। आप उसे कहें कि वह जो कुछ भी स्कूल में सीखता है, उसकी पुनरावर्ति घर पर जरूर करे, ताकि उसे सीखी हुई चीजें याद रहें।
5. बच्चों को तैयारी के चलते नींद में कमी न करने दें
कभी बच्चों का होमवर्क पूरा नहीं होता, इसीलिए वे ठीक समय पर सो नहीं पाते तो कभी परीक्षाओं की तैयारी के चलते वे जल्दी उठ जाते हैं। लेकिन इन सभी चीजों का असर बच्चे के मानसिक और शारीरिक स्तर पर देखने को मिलता है। चाहे कितना भी जरूरी काम क्यों न हो, बच्चे को उस काम को सही समय पर खत्म करने को कहें। स्कूल प्रशासन की तरफ से भी इस तरह के कामों में समय दिया जाता है। जिस तरह से रोज भोजन करना एक जरूरत है, उसी तरह से रोज अच्छी नींद लेना भी बेहद जरूरी है।
बच्चों का बेहतर प्रदर्शन तब देखने को मिलता है, जब उन्हें बिना किसी दबाव के खुद से खुलकर काम करने और सीखने का मौका मिलता है। साथ ही बच्चों को आपके सहयोग और मार्गदर्शन की भी जरूर होती है। इसीलिए आप उन्हें पढ़ने नहीं, बल्कि सीखने के महत्व के बारे में बताएं। अंकों पर कम से कम ध्यान दें और बच्चे को जितना हो सके बच्चे को सुरक्षित महसूस कराएं।