बच्चों को संभालकर पैसे खर्च कराना कैसे सिखाएं

By Ruchi Gupta|4 - 5 mins read| January 13, 2021

हम सभी अपने बच्चों को पैसों की बचत सिखाते हैं। लेकिन जिंदगी में सिर्फ पैसों का बचाकर ही बड़ी बचत नहीं की जा सकती, बल्कि जरूरतमंद जगहों पर पैसों को सही तरह से खर्चकर भी आप बड़ी बचत कर सकते हैं। और यही बात आपको भी अपने बच्चों को सिखानी चाहिए।

कई बच्चों को वित्तीय समस्याओं का सामना इसीलिए करना पड़ता है कि उन्हें उनकी जरूरत के अनुसार पॉकेट मनी नहीं मिलती, तो वही कई बच्चों को वित्तीय समस्याएं इसलिए होती हैं, क्योंकि उन्हें जो पॉकेट मनी मिलती है, उसे वे सही तरह से खर्च नहीं कर पाते। महीने की शुरुआत में ही पॉकेट मनी मिलते ही एक बड़ी रकम को कहीं खर्च कर देते हैं और उसके बाद पूरा महीना मम्मी-पापा के आगे-पीछे पैसे मांगते हुए बितता है।

कुछ ऐसा ही हाल मेरी बेटी का भी था, जब वह 5-6 साल की थी। घर के बजट में हर चीज अहम होती है, चाहे वह बच्चे की पॉकेट मनी ही क्यों न हो। ऐसे में हर महीने दो बार बेटी का जेब खर्च निकालना घर के बजट को हिला रहा था। फिर मैंने समझने की कोशिश की कि क्यों उसे दो बार पॉकेट मनी चाहिए। वजह बिल्कुल साफ दिखाई दी। पॉकेट मनी का हिसाब लगाए बगैर अपनी पसंद की चीज पर पैसों को खर्च कर देना।

जब समस्या दिख जाए तो उसका हल निकालना काफी आसान हो जाता है। मेरे भी कुछ ऐसे ही नुस्खे थे, जिन्होंने मेरी बेटी को न सिर्फ अपने जेब खर्च को बचाना सिखाया, बल्कि सही तरह से उन्हें खर्च करने के बारे में भी बताया। ताकि उसे कभी उधार मांगने की आदत न लगे और उसके शौक भी पूरे हो जाएं।

टिप्स जो बच्चों को संभलकर खर्च करने में करेंगे मदद

1. पैसों का लगाएं पूरा हिसाब

बच्चों को सही तरह से खर्च करने के बारे में सिखाने का पहला चरण है, उन्हें बताएं कि आखिर उनके पैसे कहां खर्च होते हैं। इसके लिए आप बच्चे को अपना बजट बनाने को कहें और उन्हें कहें कि वे देखें कि उन्हें कितने पैसे कहां से मिलने वाले हैं और कितने पैसों की उन्हें जरूरत है या वे कहां-कहां खर्च करने वाले हैं। जब बच्चे अपनी आय (पॉकेट मनी, उपहार में मिले पैसे) और व्यय (खर्च) का हिसाब लगाने लगेंगे तब वे संभलकर शॉपिंग करना सीख पाएंगे।

2. बच्चों को कोई भी चीज को खरीदने के नफा-नुकसान बताएं

बच्चों का क्या है, वे तो जब भी कोई चीज देखते हैं तो उनका मन हो जाता है कि वे इसे तुरंत खरीद लें। पर क्या हर बार बच्चों की पसंद के लिए आप पैसे भरने को तैयार हैं? अगर नहीं, तो आप अपने बच्चों को उनकी खरीदी चीजों के नुकसान और उनके फायदे बताएं।

अगर आपके बच्चे को कपड़ों का बहुत शौक है और उसके पास पहले से ही कई कपड़े हैं तो आप उसे बता सकते हैं कि तुम्हारे पास पहले से ही इतनी चीजें हैं। तुम अपने काम की चीज के लिए इन पैसों को बचा सकते हो। इसके अलावा आप अपने बच्चे को कह सकते हैं कि हर बार बच्चे के खर्चों को पूरा करना आपके बस में भी नहीं है। अगर वह ऐसा ही करता रहा तो उधार लेना पड़ेगा।

3. बच्चों को बताएं कि वह दूसरों की देखा-देखी न करे

अक्सर बच्चों को कोई भी चीज तब चाहिए होती है, जब वे अपने रिश्तेदार, बहन-भाई या दोस्तों के पास कोई चीज को देखते हैं। लेकिन हर चीज सबके पास होनी चाहिए, यह बिल्कुल भी जरूरी नहीं है। आप अपने बच्चे को बताएं कि वह दूसरों पर अपनी अच्छी छवि डालने के लिए या फिर दोस्तों के साथ बराबरी करने के लिए कोई भी चीज न खरीदे।

4. बच्चों अपनी उन आदतों को देखें, जिनकी वजह से उनके पैसे खत्म होते हैं

बिल्कुल कई, हर इंसान में कोई न कोई आदत होती है, जिसकी वजह से उसके पैसों में सेंध लगती है। जैसे मेरी बेटी को खिलौनों की आदत है। वह जब कोई नया खिलौना किसी के पास देखती तो उसे बस वह खिलौना चाहिए होता। ऐसा ही सभी बच्चों के साथ होता है। हो सकता है, आपके बच्चे को बाहर के खाने-पीने, फिल्म देखने या फिर कपड़ों का शौक हो। आप बच्चे के इस शौक को देखने को कहें और उस पर थोड़ी लगाम लगाने को भी कहें। क्योंकि कई बार ऐसे शौक या आदत ही जेब पर भारी पड़ने लगती है।

5. बच्चे को चीजें खरीदने से ज्यादा पैसे जोड़ने का महत्व समझाएं

बाजार में हर रोज नए-नए मॉडल या वैरायटी किसी न किसी चीज के आते रहते हैं। अगर बच्चा कभी-कभी किसी चीज के लिए पैसे खर्च करने के बारे में सोचता है तो इसमें कोई बुराई नहीं। पर अगर बच्चा आए दिन कुछ नया खरीदना चाहता है तो जरूर यह सोचने की बात है। आप बच्चे को बताएं कि चीजें तो हर बार बदलती हुई आएंगे कि हर बार नई चीज पर पैसे लगाना सही है? आजकल बच्चे काफी समझदार भी होते हैं, बस जरूर है उन्हें दोबारा किसी भी विषय के बारे में सोचने की। आप बच्चे को बताएं कि अगर आज वह कुछ समय के लिए नए मॉडल पर पैसे नहीं लगता और वह अपने पैसे जोड़ता है तो अगली बार वह कुछ वाकई काम की चीज खरीद सकता है।

बच्चों को बताएं कि आमतौर पर आय या पॉकेट मनी के स्रोत निर्धारित होते हैं, पर खर्चे तो कितने भी बढ़ाए जा सकते हैं। आज जब आप अपने खर्चों पर रोक नहीं लगाएंगे तो कल अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पैसों को कैसे बचाएं। 

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