‘अभी, इसी वक्त’ ये सिर्फ शब्द नहीं हैं, बल्कि ये आपको आपके मौजूदा समय में वापस लाने के लिए एक मंत्र भी है। आज की भागती जिंदगी में करते तो हम सब कुछ हैं, लेकिन उसे देख नहीं पाते या उसे एन्जॉय नहीं कर पाते। अपने बच्चों को माइंडफुलनेस सिखाने के लिए आप भी इन गतिविधियों का इस्तेमाल कर सकत हैं।
माइंडफुलनेस (Mindfulness) या सचेतन एक तरीका है, जिसके माध्यम से आप अपने दिमाग को वर्तमान में किए जाने वाले कार्यों पर एकाग्र करते हैं। सचेतन की बात करें तो इसमें आप खुद को रोकते या धकेलते नहीं हैं, बल्कि आप जो कुछ कर रहे हैं, उस समय आपका शरीर कैसी प्रतिक्रियाएं देता है, यह देखते हैं। खुद को देखना बहुत महत्वपूर्ण काम है, लेकिन आज हम इतने व्यस्त हो गए हैं कि खुद को देखना ही भूल गए हैं।
बड़ों के साथ-साथ माइंडफुलनेस हमारे बच्चों के लिए भी बहुत जरूरी है। माइंडफुलनेस के जरिये आपके बच्चे न सिर्फ अपने खेलों या दैनिक गतिविधियों बल्कि पढ़ाई पर भी बेहतर ध्यान दे सकते हैं।
क्या है माइंडफुलनेस के फायदे (Benefits of Mindfulness)
माइंडफुलनेस या सचेतन रहने के कई फायदे हैं। इनमें से मुख्य इस प्रकार हैंः
- माइंडफुलनेस के चलते बच्चे अपनी पढ़ाई पर अधिक ध्यान दे पाते हैं।
- वे जो भी चीज करते हैं उसे विजुअलाइज कर उन्हें याद रखने में मदद मिलती है।
- बच्चों को ध्यान एकाग्र करने से संबंधित परेशानी नहीं होती।
- मानसिक समस्याओं से ग्रसित बच्चों को ध्यान एकाग्र करने में मदद मिलती है।
- बच्चे असामाजिक गतिविधियों में लिप्त होने से बचे रहते हैं।
- बच्चों की मानसिक सेहत बेहतर बनी रहती है।
- बच्चों में सोशल स्किल्स बेहतर होते हैं।
कैसे सिखाएं बच्चों को माइंडफुलनेस
अगर हम अपने छोटे-छोटे बच्चों को लगातार 5 से 10 मिनट के लिए आंखें बंद कर ध्यान एकाग्र करने के लिए कहेंगे तो शायद उन्हें यह गतिविधि बहुत ही उबाऊ लगेगी। क्योंकि छोटे बच्चों के लिए कुछ मिनट के लिए बिना कुछ किए हुए बैठना बहुत मुश्किल हो जाता है। ऐसे में आप अपने छोटे बच्चों को इन दिलचस्प गतिविधियों के साथ आराम से माइंडफुलनेस या खुद को देखना सिखा सकते हैं।
1. बच्चों को कोई मुद्रा बनाने को कहें
मुद्रा या पोज बनाना बच्चों को बहुत पसंद आता है। आप अपने छोटे बच्चों को कहें कि वे कोई भी अपने पसंदीदा सुपर हीरो की कोई मुद्रा बनाएं। इसमें वे सुपरमैन, वंडरवुमैन आदि के पोज बना सकते हैं। उन्हें कहें कि वे अपने पैरों को खोलें और फिर अपने एक हाथ की मुट्ठी बनाते हुए उसे आसमान की ओर उठाएं और फिर अपने शरीर को स्ट्रेच (Stretch) करने को कहें। इस मुद्रा में बच्चे को कुछ देर रूकने को कहें और उसे पूछें कि क्या वह अपने सभी अंगों को महसूस कर पा रहा है। उसके जब वह रिलेक्स पोजिशन (Relax Position) में आ जाए उसे पूछें कि उस मुद्रा में रहने के बाद क्या वह खुद को सुपरहीरो जैसे महसूस कर रहा है?
2. बच्चे को गुब्बारा फुलाने को कहें
गुब्बारे तो हम अक्सर फुलाते हैं, लेकिन इसमें कभी खुद को शामिल नहीं करते। हम मशीन की तरह काम करते हैं। लेकिन इस बार जब आप बच्चे को गुब्बारे फुलाने के लिए दें तो उन्हें कहें कि पहले वह गुब्बारे को हाथ में लें। फिर धीरे-धीरे लंबी सांस अंदर खींचें। इसके बाद धीरे-धीरे पर लगातार हवा को गुब्बारे में भरें। उन्हें कहें कि वे गुब्बारे के बदलते आकार पर लगातार ध्यान दें ताकि वह देख सकें कि कैसे उनके मुंह से निकाली गई हवा गुब्बारे के आकार को बदलने में मदद करती है।
3. बच्चे को अलग-अलग आवाजों पर ध्यान देने को कहें
इसे आप खेल की तरह भी खेल सकते हैं। आप एक मिनट का समय तय करें और बच्चे को कहें कि इस बीच उसे जितनी भी आवाजें सुनाई देती हैं, इसे वह याद रखें। इस खेल में वह व्यक्ति जीत जाएगा, जो ज्यादा से ज्यादा आवाजों को याद रखने में सफल हो जाएगा। आप चाहें तो तीन से चार राउंड में यह खेल खेल सकते हैं।
4. सरप्राइज (Surprise) बैग की चीजें बताएं
इस गतिविधि के लिए आप एक बैग या किसी गत्ते की डिब्बे का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें आप अलग-अलग तरह की आपके आस-पास मौजूद चीजों को बैग में भरें। उसके बाद अपने बच्चे को एक-एक कर इन चीजों को छू कर उनके नाम के बारे में बताने को कहें। ध्यान रहे कि बच्चा चीजों को बैग या डिब्बे से बाहर निकालने से पहले देख नहीं सकता। अगर आप चाहें तो इस खेल को बच्चे की आंख पर पट्टी बांध कर भी खेल सकते हैं।
इस तरह से बच्चा चीजों को छू कर उनके आकार और टैक्सचर के माध्यम से उन चीजों को पहचानने की कोशिश करता है। इससे बच्चा अपनी आंखों पर कम बल्कि अपने स्पर्श या अपनी इन्द्रियों पर अधिक विश्वास करना सीखता है।
5. गंध से पहचानें खाने की चीजों को
अक्सर हमारे बच्चे थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ न कुछ खाने को मांगते हैं। लेकिन इस बार आप उन्हें कोई भी स्नैक्स (Snacks) यूं ही न दें। बल्कि इसे भी गतिविधि में तब्दील कर दें। आप अपने बच्चे के सामने दो से तीन स्नैक्स रखें, लेकिन उन्हें अच्छे से ढक दें और बच्चे को कहें कि वह गंध से पहचाने यह कौन-स्नैक्स है। आप चाहें तो बच्चे की आंख पर पट्टी भी बांध सकते हैं, लेकिन स्नैक्स को पहचानने के लिए वह इसे छू नहीं सकता और न ही उसका स्वाद चख सकता है। उसे सिर्फ गंध से ही इसे पहचानना है। आप बच्चे के हर सही जवाब पर उसे प्रोत्साहित करने के लिए वह स्नैक खाने को दे सकते हैं।
इस तरह के खेलों से बच्चों में उनके होने का विश्वास बढ़ता है। वे समझ पाते हैं कि जो काम वे अंजाने में कर रहे हैं, उन्हें समझते-पहचानते हुए करने से कितनी खुशी मिलती है। सभी बच्चों में ताकत होती है, लेकिन उस ताकत को देखने और समझने के लिए जो उन्हें वक्त चाहिए वे उनके पास कम होता जा रहा है। ऐसे में ये दिलचस्प गतिविधियां न सिर्फ बच्चों को मनोरंजन मुहैया कराएंगी, बल्कि उन्हें खुद से मिलने का मौका भी देंगीं।