मेरी दोस्त की बेटी 7 साल की है, वैसे तो वह हर काम में अच्छी है। जब भी मिलने जाओ, बहुत प्यार से बातें करती है, सभी गानों पर डांस करती है, साथ ही कविताएं और कहानियां भी सुनाती है, लेकिन उसे दिक्कत है तो सिर्फ पढ़ने में। जब भी हम उसे कोई भी चीज जैसे कि कार्ड या किताब पढ़ने को देते तो वो किसी न किसी बहाने से उसे टाल जाती।
ऐसा सिर्फ मेरी दोस्त की बेटी के साथ नहीं, बल्कि स्कूल जाने वाले कई बच्चों के साथ होता है। बच्चों को पढ़ना बहुत उबाऊ लगता है, इसीलिए उनका मन नहीं होता। आइए जानते हैं, कैसे बच्चों में पढ़ने की आदत को विकसित किया जाए।
टिप्स: कैसे बढ़ाएं बच्चों में पढ़ने की आदत
1. आवाज की पहचान कराएं
बच्चों को लगता है कि कोई भी अक्षर या अंग्रेजी का अल्फाबेट किसी भी ध्वनि के लिए एक संकेत है। ऐसे में आप बच्चे को एक ही आवाज वाले शब्दों की पहचान कराएं। जैसे कि आप उसे उसके नाम के पहले अक्षर से शुरू होने वाले बाकी के शब्दों को घर में चीजों में ढूंढ़ने को कहें। अगर बच्चे का नाम कुणाल है तो वह “कु” ध्वनि से शुरू होने वाली चीजों को ढूंढ़ें।
बच्चों को खेल हमेशा ही पसंद आते हैं, जबकि पढ़ना और वह भी जबरदस्ती उन्हें काफी बोरियत भरा लगता है। ऐसे में अगर आप बच्चे को खेल-खेल में अक्षरों या अल्फाबेट्स की पहचान कराएंगे तो उन्हें पढ़ने में अधिक मन लगेगा। इसके लिए आप किशमिश या कोई भी खाने की चीज जो बच्चे को पसंद हो उसे एक कटोरी में रखें दें। फिर आप तीन कटोरियों को टेबल पर उल्टा रख दें, जिनमें अलग-अलग अक्षर या अल्फाबेट्स छुपाएं। अब आप बच्चे को चीज के नाम से शुरू होने वाले अल्फाबेट को ढूंढ़ने को कहें। जैसे ही बच्चा सही अल्फाबेट ढूंढ़ ले, आप उसे इनाम के तौर पर उसे वह चीज खाने को दें।
2. कहानी को आगे बढ़ाएं
छोटे बच्चों को कहानी सुनने में तो काफी मजा आता है, लेकिन कहानी पढ़ने में कम। अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा खुद से कहानियों को पढ़े तो आपको बच्चे के लिए पढ़ने को दिलचस्प बनाना होगा। आप खुद बच्चे के साथ बैठें और एक-एक कर कहानी को आगे बढ़ाएं। इसके साथ ही आप बच्चे को तस्वीरें दिखाते हुए सवाल पूछ सकते हैं कि उसे क्या लगता है कहानी में आगे क्या होने वाला है? इससे बच्चे की दिलचस्पी कहानी में बनी रहेगी और वह खुद भी कहानी पढ़ना चाहेगा।
3. बच्चे की शब्दावली को बढ़ाएं
जब बच्चे को एक के बाद एक पैरा पढ़ना होता है, ऐसे में जितने भी शब्दों से वह परिचित होता है, उतना ही पढ़ने में उसका मन लगता है। इसीलिए जरूरी है कि बच्चे की शब्दावली को धीरे-धीरे पर निरंतर बढ़ाया जाए। जरूरी नहीं कि स्कूल में बच्चे की शब्दावली पर ज्यादा ध्यान दिया जाए। ऐसे में माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चे को निरंतर नए-नए शब्दों से परिचित कराएं। इसके लिए माता-पिता बच्चे के पाठ्यक्रम की किताबों के अलावा दूसरी किताबों जैसे कि कविताएं, कहानियों या फिर समाचार पत्रों की भी सहायता ले सकते हैं, जिसमें कई नए शब्द आपको हर बार देखने को मिलेंगे।
कहानी पढ़ते समय अगर आप किसी नए शब्द को देखते हैं तो उसके बारे में बच्चे को संकेत कर आगे बढ़ जाएं और कहानी को पूरा करें। बाद में आप बातचीत के दौरान उस शब्द को दोबारा बच्चे को बता सकते हैं, जिससे वह शब्द बच्चे के दिमाग में चला जाए। कहानी को बीच में न रोकें, क्योंकि इससे बच्चे का ध्यान कहानी से हट जाएगा और उसकी दिलचस्पी भी पढ़ने में कम होने लगेगी।
4. जोर-जोर से पढ़ने को कहें
छोटे बच्चे खासकर जिन्हें पढ़ने में दिक्कत होती है, वे बहुत ही धीमी आवाज या बिना आवाज के पढ़ते हैं। ऐसे में माता-पिता के लिए यह जानना कि उसके बच्चे ने पढ़ा भी है या नहीं, यह पता लगाना काफी मुश्किल होता है। साथ ही बच्चा किस शब्द पर रूक रहा है या कहां उसे कोई परेशानी आ रही है, यह भी हम नहीं जान पाते। ऐसे में आप बच्चे को जोर-जोर से पढ़ने को कहें। अगर आप किसी समय कोई काम कर रहे हैं और आप जोर की आवाज नहीं सुन सकते। इसके लिए आप बच्चे को अपनी आवाज ऑडियो रिकॉर्ड करने को कह सकते हैं और बाद में उसे सुने जरूर। इससे बच्चे में पढ़ने के प्रति उत्साह भी बना रहेगा।
जोर-जोर से पढ़ने के साथ ही अगर आप बच्चे को ऑडियो बुक्स भी देते हैं या उसे अंग्रेजी कार्टून या समाचार सुनने को कहते हैं तो भी कुछ दिनों के बाद आप देखेंगे कि बच्चा अंग्रेजी के अधिक शब्दों का प्रयोग करता है और पढ़ने में भी सुधार होने लगता है।