माता-पिता बनना कोई बच्चों का खेल नहीं है और न ही इसके लिए कोई पढ़ाई की जा सकती है। है तो सिर्फ अपनों से बड़ों का अनुभव और कुछ विशेषज्ञों की ओर से बताए गए, टिप्स और ट्रिक्स, जिनके बारे में माना जाता है कि वे ज्यादातर बच्चों पर काम करते हैं। इनके भी 100 प्रतिशत सही होने की कोई गारंटी नहीं दी जा सकती।
माता-पिता तो कोई भी बन सकता है, लेकिन सबसे बेहतर बनना हम सबकी इच्छा होगी। इसके लिए यहां हम आपको कुछ ऐसी ही बातें, टिप्स-ट्रिक्स आपके साथ साझा करेंगे, जिनसे आपके और आपके बच्चों के बीच संबंध तो बढ़िया होंगे ही, साथ ही बच्चे भी भविष्य में आत्म-निर्भर, आत्म-विश्वास और सम्मान जैसी खूबियों से लैस होंगे।
टिप्स जो बनाएंगी आपको सबसे बेहतर माता-पिता
1. सीमाएं करें निर्धारित
बच्चों को सीमाएं बेहद पसंद होती हैं। इससे उन्हें सही समय पर सही काम कैसे करें, इसके बारे में सीखने और समझने में आसानी होती है। बच्चों को उनके लिए नई सीमाएं निर्धारित करते समय प्यार से समझाएं ताकि वे पूरी सुरक्षा के साथ अपने लिए नए आयाम तलाश पाएं।
2. बच्चों को बांधें नहीं
आपके छोटे बच्चे जब चलना सीखते हैं तो उनका मिशन सिर्फ चलना नहीं, बल्कि दौड़ना होता है। वे सभी चीजों को खुद से कर के देखना चाहते हैं। ऐसे में उन्हें रोकना-टोकना उनके विकास को बाधित कर सकता है। अगर आपका बच्चा इतना बड़ा हो चुका है कि वह अपने खिलौने, अपने बर्तन खुद से रखने लगे या अपने कपड़े खुद से बदलने लगे तो उसे ऐसा करने दें। जब भी आप बच्चे को कोई जिम्मेदारी देते हैं तो इससे उसका आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास दोनों बढ़ते हैं।
3. हर चीज का हल न निकालें
माता-पिता होते ही बच्चों की परेशानी का हल देने के लिए हैं, लेकिन अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा आत्म-निर्भर बनें तो उसे पूरा मौका मिलना चाहिए कि वे अपनी परेशानियों को समझे और उनका समाधान करें। बच्चे के हर बात पर रोने या चीखने-चिल्लाने पर उसकी मदद के लिए न पहुंचे, उन्हें खुद से चीजों को सुलझाने के बारे में बताएं।
4. अनुशासन का मतलब सजा नहीं है
बच्चों को सही आदतें और व्यवहार कुशलता के बारे में सिखाना माता-पिता की जिम्मेदारी होता है, लेकिन उन्हें यह सब चीजें प्यार से, सिखानी चाहिए, न कि जबरदस्ती।
5. छोटी-छोटी चीजों की जगह बड़ी बात को दें महत्व
आमतौर पर माता-पिता अपने बच्चे में सबकुछ बिल्कुल सही चाहते हैं। क्या आज तक कोई 100 प्रतिशत सही हो पाया है? ऐसे में माता-पिता अपने बच्चों से छोटी-छोटी बातों जैसे कि कपड़ों या मजाक में बोली जाने वाली बातों पर न उलझें, बजाए इसके वे बच्चों को कुछ ठोस और जिंदगी भर साथ देने वाली बातें सीखाएं जैसे कि बुरा न बोलें, झूठ न बोलें और किसी को मारें नहीं।
6. बच्चों के साथ खेलें
बच्चों और उनकी क्षमताओं को जानने का सबसे बेहतर तरीका है उनके साथ खेलें। इसके लिए आप बच्चे को उसकी पसंद की गतिविधि करनें को कहें और आप उसके साथ बच्चे ही बन जाएं।
7. रोज बच्चे के साथ किताबें पढ़ें
जब आपका बच्चा बहुत छोटा हो, तभी से आप उसके साथ किताबें पढ़ सकते हैं। यह सच है कि नवजात शिशु भी अपने माता-पिता की आवाज को पहचानते हैं। ऐसे में जब आप उन्हें अपने साथ लेटा या बैठाकर किताबें पढ़ेंगे, तो इससे बच्चे और आपके बीच का संबंध भी गहरा होगा, खासकर पिता का क्योंकि मां की तुलना में पिता को बच्चे के साथ बहुत कम समय मिल पाता है।
8. हर रोज कुछ खास करें
पूरे दिन की थकान और काम की चिंता में शायद हमारे पास बच्चों के लिए सही समय भी नहीं बच पाता। ऐसे में आप सिर्फ 10 से 15 मिनट का समय अपने बच्चे को दें और ध्यान रहे कि यह वक्त सिर्फ आपका और आपके बच्चे का है, जिसमें कोई दूसरा व्यक्ति, फोन कॉल या कोई अन्य काम न आए।
9. पापा-बच्चा टाइम है जरूरी
अपने बच्चों की जिंदगी में सुधार लाने का सबसे बेहतर तरीका होता है बच्चों के साथ पापा या पिता का वक्त बिताना। विशेषज्ञ भी इस बात को मानते हैं कि ऐसे बच्चे जो अपने पिता के ज्यादा करीब होते हैं, वे स्कूल-समस्याओं के समाधान और कामयाबी में भी दूसरों से बेहतर होते हैं।
10. बच्चों के साथ बिताए जाने वाले पलों को खास बनाएं
बच्चों को हो सकता है, बड़े होकर ऐसी कोई भी बात याद न रहे जो हमने उनसे कही थी, जबकि उन्हें कुछ खास बातें जैसे कि पापा का रात में कहानियों की किताब पढ़ना या सारे परिवार का एक साथ ताश खेलना आदि जरूर याद रह जाएगा। इसीलिए आप भी अपने इन पलों को खास बनाने की कोशिश करें।
11. अपने बच्चे के लिए उदाहरण बनें
आप जैसा चाहते हैं कि आपका बच्चा क्या करे और क्या न करे, इसके लिए पहले आप अपने बच्चे के लिए अच्छा उदाहरण प्रस्तुतन करें। उनके साथ सम्मान के साथ और अच्छे से बात करें। उनके सामने घर और बाहर के सभी सदस्यों के साथ सुंदर भाषा का प्रयोग करें बच्चे हमें देखकर ही तो सीखते हैं।
12. अपनी गलतियों पर माफी मांगें
ऐसा नहीं है कि बड़ों से कभी कोई गलती नहीं होती, हां यह जरूर है कि वे जानते हुए किसी का दिल नहीं दुखाते। अगर अनजाने में भी आपसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए तुरंत माफी मांगे। आपकी इस क्रिया से आपके बच्चे को भी माफी मांगा आ जाएगा।
13. प्रकृति से प्रेम जताएं
हम सभी प्रकृति के प्रति आभारी होते हैं और हमें होना भी चाहिए। बस यही भावना आपको अपने बच्चों में भी लानी होगी। आप उन्हें चीजों का इस्तेमाल, उन्हें रिसाइकिल करना और प्राकृतिक स्रोतों का संरक्षण करना सीखाना है। इसके लिए आप उन्हें पौधों की देखभाल करना और कूड़े को बाहर न फेंकना भी जरूर सीखाएं।
14. हमेशा सच बोलें
उम्मीद है कि आप अपने बच्चे से हमेशा सच सुनना पसंद करेंगे, तो फिर आपको पहले सच बोलने की आदत डालनी होगी।
15. माता-पिता एक-दूसरे का करें सम्मान
माता-पिता दो अलग-अलग लोग, दो अलग-अलग व्यक्तित्व हैं, ऐसे में हो सकता है कि उनका परवरिश का तरीका एक-दूसरे से भिन्न हो। ऐसे में भी आप दोनों एक-दूसरे की बात का सम्मान करें। आमतौर पर बच्चे अपने भविष्य को अपने अतीत से जोड़कर देखते हैं। उनका मानना होता है कि अगर हमारे माता-पिता कभी एक-दूसरे का साथ नहीं दे पाए या वे कभी अपनी शादी में सफल नहीं रहे तो हम कैसे हो पाएंगे। आप दोनों के बीच के आज के झगड़े आपके बच्चे पर बहुत गहरा प्रभाव डालते हैं।
16. सही शब्दों से करें प्रोत्साहित
आजकल माता-पिता मोबाइल फोन या लैपटॉप में नजरें गाढ़े अपने बच्चे को उसकी जीत पर सिर्फ यही कह देते हैं ‘बहुत अच्छा किया।’ इसकी जगह आप सही शब्दों का इस्तेमाल करते हुए अपने बच्चे को प्रोत्साहि करें, जैसे कि ‘अरे वाह! तुम तो बहुत संयम रखते हो। इसी की वजह से तुम इस काम में कामयाब हुए हो।’
17. अच्छी बातों पर बच्चे का हौंसला बढ़ाएं
छोटी-छोटी शाबाशी से ही बच्चों को बड़े काम करने का आत्म-विश्वास मिलता है। आप अपने बच्चे के हर अच्छे काम के लिए उसे शाबाशी दें। उसे बताएं कि आप उसके बारे में कितना अच्छा सोचते हैं। इससे न सिर्फ बच्चा आत्म-निर्भर बनेगा, बल्कि उसे अच्छे काम करते रहने का भी प्रोत्साहन मिलेगा।
18. खुद के लिए निकालें समय
अगर कभी आप बहुत थके हुए हैं या फिर आप किसी और काम में व्यस्त हैं तो अपने पूरे परिवार के लिए बाहर से खाना मंगवाने में कोई बुराई नहीं है। सभी को खुद के लिए भी समय मिलना चाहिए। कभी-कभार बाहर से खाना खा लेने पर आप बुरे माता-पिता नहीं बन जाएंगे।
19. दूसरों का ‘न’ कहना सीखें
आप एक अच्छी मां या पिता हैं तो जरूरी नहीं है कि आप अपने बच्चे के स्कूल में सभी कामों में पूरी भागीदारी निभाएं। सबसे जरूरी है कि आप अपने बच्चे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं, जिसके लिए आपको कभी बुरा महसूस नहीं होगा कि आपने ऐसा क्यों किया।
20. बच्चे से करें बातचीत
बच्चों से बातचीत करना हमेशा से ही सकारात्मक परवरिश के लिए जरूरी माना गया है। इसमें आप अपने बच्चे की जिंदगी में क्या चल रहा है वह तो जान पाएंगे ही साथ ही वह किसी व्यक्ति, परिस्थिति के बारे में क्या सोच रहा है, यह भी जान सकेंगे। इससे आपको बच्चे के मनोभावों के बारे में भी पता चलता रहेगा। बच्चों की कई परेशानियां सिर्फ बताने मात्र से ही खत्म हो जाती हैं। इसीलिए जरूरी है आप अपने बच्चों से बातचीत करते रहें।
21. बच्चे को सिखाएं अच्छी आदतें
बुरे शब्द, बुरी आदतें बच्चे बहुत जल्दी सीख जाते हैं, उनके लिए आपको कोई अतिरिक्त मेहनत भी नहीं करनी पड़ेगी। लेकिन अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा भी दूसरों का सम्मान करे, अच्छे शब्द बोले तो इसके लिए आप रोजमर्रा उनके साथ कहानियों या किसी घटना को माध्यम बनाएं। बच्चे उदाहरणों के माध्यम से जल्दी सीख पाते हैं।
22. बच्चों को बताएं कि आप उन्हें प्यार करते हैं
आमतौर पर माता-पिता अपने बच्चे को प्यार करने के बावजूद यह कहना नहीं चाहते। आप बच्चे को यह बताकर बिगाड़ नहीं रहे, बल्कि उसे बता रहें कि हर वक्त आप उसके साथ हैं और आप उसके लिए कैसा महसूस करते हैं।
23. एक वक्त खाना खाएं साथ में
माना जाता है कि जो परिवार साथ में भोजन करना है, वह हमेशा साथ रहता है। आमतौर पर परिवार के सदस्य जो साथ में भोजन करते हैं, वे अपनी पूरी दिनचर्या को एक-दूसरे के साथ खाने की मेज पर ही बता देते हैं। ऐसे में आपको एक-दूसरे के साथ और अतिरिक्त वक्त भी मिलता है।
24. घर पर गतिविधियों को दें प्राथमिकता
बच्चे छोटे हों या बड़े उन्हें गतिविधियां बहुत ही पसंद आती हैं। बच्चों को कल्पनाशील और रचनात्मक बनाने के लिए बेहद जरूरी है कि आप उन्हें गतिविधियों से व्यस्त रखें। छोटे बच्चों को आप रंगों, कविताओं, छोटी-छोटी वीडियोज के माध्यम से सीखाया जा सकता है, जबकि बड़े बच्चों के लिए विज्ञान और कला से जुड़ी कई गतिविधियां हो सकती हैं।
25. बच्चों की सुरक्षा और सेहत का रखें ध्यान
जब घर में छोटे बच्चे होते हैं तो उनकी सुरक्षा और सेहत दोनों ही हमारी पहली प्राथमिकता बन जाते हैं। स्वस्थ तन में ही स्वस्थ दिमाग का निवास होता है। अगर घर के गंदे या असुरक्षित माहौल के कारण बच्चों के दिमाग पर भी गंभीर प्रभाव पड़ता है। ज्यादातर बीमार रहने वाले बच्चों का मानसिक विकास बहुत ही धीमा हो जाता है। अपने बच्चों को शारीरिक और मानसिक तंदरुस्ती देना भी माता-पिता की ही जिम्मेदारी है।