अगर दूसरे बच्चे या अन्य लोग आपके बच्चे से बातचीत करने से बचते हैं तो यह इस बात का सीधा संकेत है कि आपके बच्चे के बातचीत और उसके स्वभाव में कुछ परिर्वतन लाने जरूरी हैं। हर बात को कहने का एक तरीका होता है, खासकर जब बच्चे बड़े होते हैं तो उनसे उम्मीद की जाती है कि उनके स्वभाव में विनम्रता आनी चाहिए।
‘कृपा करके’, ‘धन्यवाद’ और ‘माफ कीजिए’, कुछ ऐसे ही चमत्कारी शब्द हैं, जिनसे हम किसी को भी अपना बना सकते हैं। बच्चों को अच्छी बातें सिखाना माता-पिता की ही जिम्मेदारी है। आइए जानते हैं, ऐसी कुछ अच्छी बातें और आदतें जो 9 साल की उम्र के हर बच्चे में होनी ही चाहिए।
मेरी एक दोस्त है, उसकी बेटी कहने को तो 10 साल की है, लेकिन उसमें तमीज 5 साल के बच्चे के जितनी भी नहीं है। कहीं भी अपना सामान फैला देगी, साफ करने को कहो तो रोने लगेगी। कभी-कभी तो इतना गुस्से से बात करेगी, जैसे कि अभी कुछ सामान ही उठा कर मार देगी। फोन पर अगर मैं अपनी दोस्त से बात करना चाहूं तो वो फोन काट देगी या अपनी मम्मी को तंग करने लगेगी। उसे देखकर तो मन होता है कि वो कभी मेरे सामने या मेरे घर पर ही न आए। बच्चा है, लेकिन सौम्यता तो बिल्कुल भी नहीं है। ऐसे में अगर अपनी दोस्त को कहूं कि इसे कुछ सीखाओ, तो कहती है कि मैं तो इसे कह-कह कर थक गई, लेकिन ये सुने तो न।
इतने बड़े बच्चे से सब लोग कम से कम बातचीत ढंग से करने की उम्मीद तो करते ही हैं, लेकिन उसे न तो कुछ समझ में आता है और न ही उसे कुछ सीखना है। यहां तक कि कोई भी बच्चा उसका दोस्त नहीं बनना चाहता और बड़ों से उसकी तारीफ कभी सुनी नहीं। कहीं आपका बच्चा भी ऐसा ही तो नहीं? क्या आपके बच्चे में हैं ये अच्छी आदतें ?
ये अच्छी बातें और आदतें अपने बच्चे को जरूर सीखाएं
1. प्लीज (Please) या कृपा जैसे शब्दों का करें प्रयोग
आमतौर पर यह स्कूल की शुरुआती कक्षाओं से ही बच्चों को सिखाया जाता है कि अगर आपको किसी से कुछ सामान चाहिए तो आप प्लीज या कृपा करके जैसे शब्दों का प्रयोग हमेशा करें। इससे बच्चे के सद्भाव का पता चलता है। वहीं अगर आप बिना किसी की अनुमति के उनका सामान ले लेंगे, तो सबकी नजरों में आप बद्तमीज ही मानें जाएंगे। यही बात हमें अपने बढ़ते बच्चे को भी सीखानी है, ताकि वे बहुत प्यार से प्लीज जैसे शब्द का प्रयोग करे।
2. थैंक्यू (Thank you) या धन्यवाद जरूर कहें
अगर कोई हमारी मदद करता है या फिर हमें कुछ देता है तो हमें जरूर थैंक्यू या आपका धन्यवाद कह कर उन्हें आभार व्यक्त करना चाहिए। यह एक अच्छी आदत है, जिसकी वजह से बच्चे को शिष्ट माना जाता है। आप चाहें तो बोलने के अलावा आप उन्हें अपने हाथ से लिखा धन्यवाद का संदेश भी भेज सकते हैं।
3. बड़ों के बीच न बोलें
जो बच्चे हर समय अपने माता-पिता या अन्य बड़ों के बीच बोलते हैं, उन्हें अच्छा नहीं माना जाता है। अगर बच्चे को बहुत आवश्यक कुछ बात करनी है तभी वह बड़ों के बीच जल्दी से अपनी बात कह कर उसे खत्म करे। अगर आपकी बात जरूरी नहीं है तो पहले बड़ों को अपनी बात खत्म कर लेने दें और फिर आप अपनी बात आसानी से कह सकते हैं, क्योंकि इसके बाद आपके उनका पूरा ध्यान आपकी बात पर ही होगा।
4. एक्सक्यूजमी (Excuse me) का करें इस्तेमाल
अंग्रेजी का यह शब्द काफी ताकतवर है। अगर आप किसी का ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं तो एक्सक्यूजमी कहना बेहद जरूरी माना जाता है। जैसे कि अगर आप किसी तंग जगह पर खड़ें हैं या आपकी मम्मी कोई काम कर रही हैं और आप चाहते हैं कि सामने वाला आपकी बात को सुने तो उसके लिए बच्चे एक्सक्यूजमी कह कर उनका ध्यान अपनी तरफ करें और फिर अपनी बात कहें। किसी को धक्का देना या अपनी बात कहने के लिए खिंचना सही नहीं है।
5. नकारात्मक बातों को रखें दूर
अगर आप किसी के बारे में अच्छा महसूस नहीं कर रहे तो दुनिया को उससे कोई मतलब नहीं है। हां, आप अपने दोस्तों के बीच में इस बात का जिक्र कर सकते हैं, लेकिन बड़ों के सामने तो कतई नहीं।
6. रंग-रूप पर न करें टिप्पणी
आमतौर पर कोई भी अपने बारे में बुरा नहीं सुनना चाहता, खासकर अगर बात रंग-रूप की हो। आप अगर उनके बारे में अच्छा नहीं बोल सकते, तो बुरा तो बिल्कुल भी नहीं कहना चाहिए।
7. सवाल का जवाब जरूर दें
अगर कोई आपसे काफी दिनों बाद मिलता है या फोन पर पूछता है कि आप कैसे हैं, तो आपको उनकी बात का जवाब देना चाहिए और फिर उनसे जरूर पूछना चाहिए कि वे कैसे हैं।
8. बंद दरवाजा पर दस्तक दें
किसी भी बंद दरवाजे को खोलने से पहले आप उस पर दस्तक जरूर दें। यह एक बेहद अच्छी आदत है, क्योंकि इससे दूसरे इंसान को पता चल जाता है कि आप वहां आने वाले हैं और जब वह आपको अंदर आने की अनुमति दें, तभी दरवाजा खोल कर अंदर जाएं।
9. फोन पर पहले अपना परिचय दें
अगर आप किसी को फोन करते हैं तो आप अपना परिचय दें और फिर उन्हें बताएं कि आपको किससे बात करनी है। ऐसा ही आपको आने वाले फोन के लिए भी आप अपनी आदत को बदलें। किसी परिचित के फोन आने पर आप पहले उनका अभिवादन करें और फिर जिसके लिए फोन है, उन्हें बुलाएं, पर ध्यान रखें कि आप फोन पर उनका नाम चिल्लाएं।
10. गलत शब्दों का इस्तेमाल न करें
बच्चे जैसे-जैसे बड़े होने लगते हैं, उनकी शब्दावली भी बढ़ने लगती है, ऐसे में जरूरी है कि आप अपने बच्चों के शब्दों पर कड़ी निगरानी रखें और उन्हें गलत शब्दों का इस्तेमाल करने से रोकें।
11. उबाऊ बैठकों में भी बैठे रहें
कई बार स्कूल या परिवार के कुछ कार्यक्रम बच्चों के लिए काफी उबाऊ हो सकते हैं, बावजूद उसके बच्चों का वहां संयम से बैठे रहना भी बेहद जरूरी होता है। वहां बैठकर आप प्रवक्ता और कार्यक्रम पेश करने वाले लोगों का होंसला बढ़ाते हैं।
12. मुंह पर रखें हाथ
छींक और खांसी किसी को भी कभी भी आ सकती है। इसी लिए आपको जब भी छींकना या खांसना हो तो आप अपने नाक या मुंह पर हाथ जरूर रखें। इसके अलावा इस बात का भी खास ख्याल रखना चाहिए कि लोगों के बीच बैठकर आपको अपने कान-नाक आदि को साफ नहीं करना चाहिए। यह बहुत बुरी आदत होती है।
13. दरवाजे को दूसरों के लिए खुला रखें
अगर आप कुछ दोस्तों के साथ कहीं आ-जा रहे हों तो आपको इस बात का पूरा ख्याल रखना चाहिए कि अगर आप सबसे आगे हैं तो बाकी के लोगों के लिए आप दरवाजे को खोल कर रख सकें। इससे आपके बेहद विनम्र और सभ्य होने का पता चलता है।
14. बड़ों के काम में करें उनकी मदद
आमतौर पर बड़े अपना काम खुद कर लेते हैं, लेकिन अगर आप उनसे उनके काम में मदद करने के बारे में पूछेंगे तो उन्हें आपकी यह आदत और भी पसंद आएगी। यहां सिर्फ दिखाने के लिए आपको पूछना नहीं है, अगर उन्हें सच में मदद चाहिए हो तो आप हर संभव मदद भी जरूर करें।
15. खाने के लिए सही बर्तन का करें इस्तेमाल
बच्चों को टेबल मैनर्स के जरिये कई बार स्कूल या घर पर काफी कुछ सिखाया जाता है। यह सिर्फ दूसरों को दिखाने के लिए नहीं है, बल्कि बच्चों को यह आदत होनी चाहिए। इसलिए आप भी खाने की टेबल पर सही बर्तन का इस्तेमाल करें, जैसे कि नूडल्स के लिए कांटे के इस्तेमाल और सूप के लिए चम्मच का, जबकि जूस या कोल्ड ड्रिंक्स के लिए कांच के गिलास का इस्तेमाल सही रहता है। अगर आपको इसमें कोई संदेह हो तो अपने माता-पिता से मदद मांगे।
16. मुंह साफ करने के लिए नैपकिन का इस्तेमाल करें
अगर आप कहीं बाहर रेस्टोरेंट में भोजन कर रहे हैं तो इस बात का खास ख्याल रखें कि आपको अपने मुंह को साफ करने के लिए नैपकिन का इस्तेमाल करना है, न कि अपनी कमीज या बांह का।
17. खाना देख कूदें नहीं
आमतौर पर बच्चे स्वादष्टि खाना देख कर खुद को रोक नहीं पाते। लेकिन जरूरी तो यह है कि आप आराम से अपनी जगह पर बैठें और किसी बड़े से खाने को परोसने के लिए कहें।