बच्चों के भी तनाव या बेचैन होने के अपने-अपने कारण होते हैं। कुछ बच्चे बदलते परिवेश में परेशान हो जाते हैं तो कुछ अपनी भावनाओं या हॉर्मोनल असंतुलन को संभाल नहीं पाते, इसी कारणवश उनमें बेचैनी और तनाव झलकता है। हर समस्या के अपने कुछ लक्षण या संकेत होते हैं। तनाव या बेचैनी से परेशान हुए कुछ बच्चे ऐसी विशेष आदतों को अपना लेते हैं, जिन्हें देख आप नहीं समझ पाएंगे उनकी समस्याएं। आइए एक नजर डालते हैं ऐसी ही विभिन्न आदतों पर।
ब्रिटेन की एक 17 वर्षीय लड़की को एक अजीब-सी समस्या है, उस समस्या का नाम है, रेपंजेल सिंड्रोम (Rapunzel Syndrome)। जी वही, बड़े बालों वाली राजकुमारी, जो अपने परिवार से जुदा हो जाती है। लेकिन यह सिंड्रोम का अर्थ बालों को बड़ा करने से नहीं, बल्कि शरीर में बालों के जमा होने से है। बिल्कुल, ब्रिटेन की यह टीनएज लड़की, दरअसल पिछले तीन साल से जाने-अंजाने में अपने बालों को चबाती थी, जिसकी वजह से उसकी आंतों में धीरे-धीरे ये बाल इकट्ठा होने लगे और फिर एक दिन उसे इतना दर्द हुआ कि उसे अस्पताल ले जाना पड़ा और वहां उसका ऑपरेशन कर बालों की गेंद को बाहर निकाला गया।
हालांकि यह सिंड्रोम इतना सामान्य नहीं है, पर फिर भी छोटे बच्चों को भी इसकी समस्या हो जाती है, जब वे अपनी खिलौनों या अपने बाल मुंह में डालते हैं। कुछ ऐसा ही मामला नवंबर 2020 में बिहार में भी देखने को मिला था, जहां 18 वर्षीय लड़की अपने ही बालों को लंबे वक्त से चबा रही थी। दरअसल इन बच्चों की जांच में एक बात समान्य निकली की वजह मानसिक परेशानी या तनाव के चलते ऐसा करती थीं।
तनाव या बेचैनी में बच्चे और क्या-क्या अजीब आदतों के बन जाते हैं शिकार
1. कपड़ों को चबाना
जी हां, जहां 2 साल तक के बच्चे हर चीज को जांचने के लिए अपने मुंह में डाल लेते हैं, वहीं कई बार बड़े बच्चे भी अपनी बेचैनी या तनाव के चलते अपनी शर्ट के कॉलर या कमीज के किनारों को भी मुंह से चबाने लगते हैं। कई बार तो आप व्यस्कों में भी इस आदत को देख सकते हैं, जिसमें लड़के अपने रूमाल के कोने को तो लड़कियां अपने दुपट्टे के कोने को मुंह में डाले रखते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा करने से उनके दांतों को सुकून मिलता है। जिसकी वजह से उनका दिमाग भी शांत होने लगता है।
2. नाखून चबाना
अक्सर बच्चे बेचैनी या तनाव की स्थिति में अपने मुंह में कुछ न कुछ डालते रहते हैं। जैसे कि आप फिल्म देखते समय पॉप कॉर्न खाते हैं, ठीक वैसे ही कुछ बच्चे या बड़े अपने नाखूनों को चबाना शुरू कर देते हैं। हम इस आदत को बुरा तो मान लेते हैं, लेकिन इसके पीछे के कारण पर हमारा ध्यान नहीं जाता। नाखून क्योंकि बच्चे के अपने हैं, तो इसीलिए उस पर उनका पूरा नियंत्रण होता है और अपनी इस आदत से वह खुद को नियंत्रित करने या फिर सहज करने में भी कामयाब हो जाते हैं।
3. होंठों का चबाना
अक्सर जब बच्चों से कोई सवाल किया जाए और उन्हें उसका जवाब नहीं आता, तो वे अपनी होंठो को अपने दांतों के नीचे चबाना शुरू कर देते हैं। ये इतना सहज होता है कि बच्चे या आपको देखकर भी यह नहीं लगेगा कि बच्चा तनाव में है। बल्कि हम मानना शुरू कर देते हैं कि बच्चे को होंठ चबाने की आदत हो गई। है।
4. बालों को घुमाना
फिल्मों या धारावाहिकों में हमने कई ऐसे किरदार देखे होंगे, जहां लड़कियां अपने लंबे बालों को अपने हाथ की उंगलियों से गोल-गोल घुमाती हैं। आपको शायद यकीन न हो, लेकिन बच्चे अक्सर असमंजस या फिर तनाव की स्थिति में अपना ध्यान भटकाने के लिए ऐसा करते हैं पर वे खुद नहीं जानते कि वे अपने बालों से खेल रहे हैं।
5. हकलाना
हर बच्चा एक ही समस्या पर अलग-अलग प्रतिक्रिया दे सकता है। कई बार बच्चे तनाव की स्थिति में हकलाना भी शुरू कर देते हैं। खासतौर पर यह तब होता है, जब वे दो या दो से ज्यादा सदस्यों के साथ बातचीत में होते हैं। अगर आप बच्चे को इस बारे में नहीं बताएंगे तो धीरे-धीरे यह उनकी आदत में शुमार हो जाएगा और वे जब भी बेचैन होंगे या तनाव ग्रसित होंगे तो वे बात करते समय हकलाना शुरू कर देंगे।
6. बात को दोहराना
कुछ बच्चे अपने तनाव को बातों के जरिये बाहर निकालने की कोशिश करते हैं। जैसे कि जब वे बेचैन होते हैं या उन पर किसी प्रकार का कोई दबाव होता है तो वह अपनी ही बात को बार-बार दोहराते हैं। लेकिन यह आदत अक्सर बच्चों में 5 साल तक कि उम्र तक ही देखी जाती है। अगर इसके बाद भी बच्चे में यह आदत बनी रहे तो आपको तुरंत बच्चे को मनोविशेषज्ञ या फिर स्पीच थेरेपिस्ट को दिखाना चाहिए।
7. अकारण रोना
हो सकता है कि कभी-कभी आपके साथ भी ऐसा हुआ हो या आप किसी ऐसे बच्चे को जानते हों जो अक्सर अकारण रोता हो। आपको शायद यकीन नहीं होगा, लेकिन नवजात शिशुओं से लेकर व्यस्कों तक में अकारण रोना देखा जाता है। आप बच्चे से रोने का कारण पूछेंगे तो वे नहीं जानते होंगे कि वे क्यों रो रहे हैं, लेकिन इतना जरूर वे कहते हैं कि मुझे नहीं पता कि मुझे क्यों रोना आ रहा है या रोने का मन हो रहा है। दरअसल वे अपने तनाव या बेचैनी को नियंत्रित नहीं कर पाते और रोने के जरिये वे अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का प्रयास करते हैं।
8. कपड़ों में हाथ डालकर सोना
आपने कुछ बच्चों को देखा होगा जो सोते समय अपने पायजामे में हाथ डालकर सोते हैं। कई बार आप इसे गलत भी समझते होंगे। लेकिन सच्चाई यह है कि छोटे बच्चे अपने निजी अंगों को इतनी अहमियत नहीं देते। बल्कि वे पायजामे या निकर में सिर्फ हाथ रख कर सो जाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है ऐसा करने से बच्चों को खुद पर नियंत्रण महसूस होता है, जबकि पहले वे तनाव को झेलने में असमर्थ महसूस कर रहे होते हैं और ऐसा करने से वे धीरे-धीरे शांत हो जाते हैं।
9. हिलते रहना
यह एक बहुत सामान्य आदत है, लेकिन आमतौर पर लोग इसे बच्चों में बढ़ते तनाव या बेचैनी के साथ जोड़ कर नहीं देख पाते। बल्कि उनका मानना है कि बच्चे तो होते ही चंचल हैं। दरअसल आप देख पाएंगे कि जब कोई बच्चा किसी बात को लेकर परेशान होता है तो वह अपने अंदर की एनर्जी को चलकर या इधर-उधर होकर निकालने का प्रयास करता है। जैसे कि आप बच्चे से परीक्षा के दौरान उसके पाठ्यक्रम से कोई सवाल पूछें तो वह एक जगह पर बैठा हुआ भी हिलने लेगा। ऐसा करने से बच्चे अपने तनाव को अपने शरीर से बाहर धकेल देते हैं।
10. अपने शरीर पर काटने का निशान बनाना
अक्सर यह काम हम सभी ने अपने बचपन में किया है, लेकिन जब यह आदत बन जाती है तो इस तरफ माता-पिता को जरूर ध्यान देना चाहिए कि आखिर क्या बात है कि बच्चा खुद को नुकसान पहुंचाना चाहता है। ज्यादातर देखा गया है कि जो बच्चे अपनी बात को कह नहीं पाते, वे इस तरह की आदतों का शिकार हो जाते हैं।