एक समय था जब इंसान सुकून की ज़िंदगी जीता था। उसके पास अपने और अपने परिवार – दोस्तों के साथ बिताने के लिए पर्याप्त वक़्त होता था। वहीं आज की तेज रफ़्तार से भागती ज़िंदगी में अपने लिए भी दो पल शांति से व्यतीत करना मुश्किल है। हर कोई आपा – धापी भरा जीवन जी रहा है फिर चाहे बात पुरुषों की हो या महिलाओं की। आधुनिक समय में एक औरत भी घर के साथ बाहर की दुनिया में पुरुषों से कंधा से कंधा मिलाकर चल रही हैं। ऐसे में महिलाओं पर दोहरी ज़िम्मेदारी आ गई है और वह अपने व अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह हो गई है। वह जब तक कोई बीमारी असहनीय न हो जाए तब तक वह डॉक्टर के दिखाए बिना खुद ही घरेलू उपचार करती रहती है। आजकल ऐसी कई बीमारियां हैं जिनके लक्षण धीरे -धीरे दिखाई देते हैं और काफ़ी आम बात लगते हैं। ऐसी ही एक बीमारी है पीसीओडी या पीसीओएस (PCOD or PCOS)। इसका शिकार कम उम्र की लड़कियों से लेकर मध्यम उम्र की महिलाएं हों रही हैं। पीसीओडी से पीड़ित महिलाओं में इसके कारण और भी कई बीमारियां होने की आशंका बढ़ जाती है। इस बीमारी के पनपने की वज़ह खुद की सेहत की अनदेखी करना ही है।
पीसीओडी में क्या खाना चाहिए, कौन – से योगासन इस बीमारी में लाभदायक होते हैं पीसीओडी का घरेलू उपचार (PCOS PCOD Diet, Yoga and Home Remedies in Hindi ) – यह सारी जानकारी पाने के लिए पढ़िए हमारा अगला लेख।
क्या है पीसीओडी PCOD – पीसीओडी का मतलब
पीसीओडी, पीसीओएस (PCOD/PCOS) यानी ‘पॉली सिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर/पॉली सिस्टिक ओवरी सिंड्रोम’ नाम की यह बीमारी काफ़ी आम हो चुकी है। इसके होने पर महिलाओं में मेल हार्मोन ‘एंड्रोजन’ का स्तर बढ़ जाता है जिससे ओवरी में सिस्ट्स बनने शुरू हो जाते हैं। इस बीमारी का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि महिलाओं को माँ बनने में बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
सामान्य स्थिति में हर महीने पीरियड्स के बाद ओवरी (अंडाशय) में अंडाणुओं का निर्माण होता है और बाहर निकलते हैं। वहीं, पीसीओएस (PCOS) की स्थिति में ये अंडाणु न तो पूरी तरह से विकसित हो पाते हैं और न ही बाहर निकल पाते हैं जिस वजह से गर्भधारण करने में काफ़ी परेशानी होती है।
वहीं कम उम्र की लड़कियों को इसकी वजह से दर्द से जूझना पड़ता है। वैज्ञानिक इसके विकसित होने के कारणों का पता नहीं लगा सके हैं। डॉक्टरों का कहना है कि पीसीओडी के होने के मुख्य कारण हार्मोनल असंतुलन, ज्यादा वज़न, लगातार तनाव में रहना या अनुवांशिकी है। वर्तमान में प्रसवकाल की उम्र की दस में से एक महिला इसका शिकार है।
PCOD पीसीओडी होने के कारण
- अनियमित दिनचर्या।
- पौष्टिक आहार न लेना।
- लगातार बैठे रहना या शारीरिक मेहनत न करना।
- नियमित रूप से व्यायाम न करना।
- तेजी से वज़न बढ़ना।
- अधिकतर तनाव में रहना।
पीसीओडी PCOD समस्या के लक्षण
- वज़न का बढ़ जाना।
- पीरियड्स का अनियमित होना या ब्लीडिंग बहुत ज्यादा या ब्लीडिंग के साथ ब्लड के बहुत ज्यादा थक्के आना।
- गर्भधारण करने में मुश्किल होना।
- कील मुहांसे और स्किन का ऑयली होना।
- चेहरे आदि पर ज़्यादा बाल उगना।
- पेल्विक पेन यानी पेट के निचले हिस्से में दर्द होना।
- बालों का झड़ना।
- ओवरी में कई सिस्ट होना।
- डायबिटीज़ या हाई ब्लडप्रेशर अचानक होना।
पीसीओडी का महिलाओं पर प्रभाव
यह बीमारी महिलाओं या लड़कियों पर काफ़ी बुरा असर डालती है। मानसिक और शारीरिक दोनों ही तरह से यह नुकसानदायक है।
- इसकी वजह से पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं जिससे मानसिक रूप से तनाव होना जायज़ है।
- वहीं इस बीमारी के कारण पेट के निचले हिस्से में दर्द बना रहता है जो पीरियड्स के दौरान बढ़ भी सकता है।
- पीसीओडी होने पर वज़न तेजी से बढ़ता है।
- चेहरे, हाथ, पैरों आदि शरीर के हिस्सों पर अधिक बाल उगने लगते हैं।
- चेहरे पर कील – मुंहासे, दाग आदि निशान पड़ सकते हैं।
- भावनात्मक स्तर पर काफ़ी उथल – पुथल हो सकती है। मन में खीझ, गुस्सा, रोने के भाव अनायास अा जाते हैं।
- मांँ बनने योग्य महिलाओं को गर्भधारण करने में बहुत दिक्कतें होती हैं। ऐसे में अगर गर्भधारण हो भी गया है तो अतिरिक्त देखभाल की ज़रूरत पड़ती है। साथ ही गर्भपात का खतरा बना रहता है। मोटापा बढ़ता चला जाता है।
कुछ ज़रूरी सवालों के जवाब –
- इस बीमारी से जूझ रही महिलाएं गर्भवती हो सकती हैं? kya pcod me pregnant ho sakte hain
जी हाँ, गर्भवती हो सकती हैं लेकिन इन्हें ज़्यादा देखभाल की ज़रूरत पड़ती है। गर्भधारण से पहले सारी जांच और गर्भवती होने पर डॉक्टर के परामर्श के अनुसार काम करें
- पीसीओडी से पीड़ित महिला आईवीएफ की मदद से गर्भ धारण कर सकती है?
जी हाँ, बिल्कुल कर सकती है।
- यह कितना सही है कि गर्भावस्था इस बीमारी का इलाज कर सकती है?
ऐसा नहीं होता कि गर्भावस्था इस बीमारी का इलाज कर सकती है। यह ज़रूर हो सकता है कि इस दौरान डॉक्टर इसका असर कम कर सकते हैं जिससे बच्चे का स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव न पड़े।
पीसीओडी से निजात पाने के लिए क्या करना चाहिए, कब डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए, कौन – से योगासन इस बीमारी में लाभदायक होते हैं, कैसा आहार इस समय लेना चाहिए, जीवनशैली कैसी होनी चाहिए, इसके लिए कौन – से घरेलू उपचार फ़ायदेमंद हैं, यह सारी जानकारी पाने के लिए पढ़िए हमारा अगला लेख।
यह लेख डॉ. प्रीति पुष्पम, एंजेल मदर एंड चाइल्ड केयर सेंटर, गायनेकोलॉजिस्ट – एमबीबीएस, डीजीओ, डीएनबी से बातचीत पर आधारित है