कई बच्चे रात को सोते समय अपने दांतों को पीसते या कटकटाते (ब्रुसिज्म) हैं। यह एक आम समस्या है जो 6 महीने को ही जबड़े में दर्द या खुजली के चलते शुरू होती है। लेकिन कई बार यह समस्या उम्र के साथ खत्म न हो कर बड़े बच्चों और भी व्यस्कों तक भी आदत के रूप में देखी जा सकती है। अगर आपके बच्चे भी लंबे समय से दिन-रात दांतों को पीसते हैं तो इन बातों का जरूर रखें ख्याल।
अध्ययनों की मानें तो नींद में खर्राटे भरने के बाद दांत पीसना दूसरी सबसे बड़ी वजह है, जिसके चलते बच्चों की नींद खराब होती है। अगर बच्चे छोटें हैं तो यह नए दांतों के निकलने के वक्त बच्चे अनजाने में करते हैं, लेकिन बड़े बच्चों या व्यस्कों में यह समस्या 70 प्रतिशत तनाव की वजह से देखने को मिलती है, लेकिन इसकी आदत बन जाने के कारण अक्सर बच्चों के जबड़े में बहुत तीव्र दर्द होने लगता है या फिर दाढ़ों की एक परत, जो भोजन को चबाने में मददगार होती है, वह खराब होने लगती है।
छोटे बच्चे क्यों पीसते हैं अपने दांत
अगर बच्चों में दांत पीसने की आदत की बात करें तो लगभग 10 में से 2 या 3 छोटे बच्चे इस आदत के शिकार होते हैं। लेकिन वे यह काम सिर्फ नए दांतों के निकलने के दौरान होने वाली खुजली या दर्द से राहत पाने के लिए करते हैं और जब उनके दांत पूरी तरह से आ जाते हैं तो उनकी यह आदत खुद-ब-खुद छूट जाती है।
इसके अलावा इन कारणों से भी बच्चों में देखी जाती है दांत पीसने की आदत
- बच्चे के दांतों का आगे-पीछे होना, जिसकी वजह से उन्हें परेशानी होती है।
- कान में दर्द होने की वजह से भी कुछ बच्चे अपने दांतों को कटकटाते हैं।
- कई बार कुछ बीमारियों के इलाज के दौरान भी बच्चों को इस समस्या से जूझना पड़ता है।
बड़े बच्चों में दांत पीसने के कारण
आमतौर पर बड़े बच्चों में दांत पीसने की आदत न के बराबर होती है। लेकिन कई अध्ययनों में पाया गया है कि बच्चों को तनाव और चिंता की वजह से रात को सोते समय दांत पीसने की आदत होने लगती है।
- तनाव या चिंता के कारण
- डर लगने के कारण
- दवाइयों के सेवन के कारण भी रात में नींद के समय दांत पीसने की समस्या हो सकती है।
- दांतों की पंक्तियों का सिधाई में न होना।
- पेट संबंधी समस्याएं होने पर भी बच्चे दांत कटकटाते हैं। आमतौर पर आपने बच्चों के पेट में कीड़े होने पर उन्हें ऐसा करते हुए देखा होगा।
बच्चों में दांत पीसने की आदत के मुख्य लक्षण:
दिन के समय अक्सर बच्चे अपनी इस आदत पर काबू पा सकते हैं, लेकिन रात में सोते समय बच्चों के लिए इस आदत पर नियंत्रण रख पाना नामुमकिन हो जाता है। इसके अलावा भी कुछ ऐसे लक्षण हैं, जिनकी मौजूदगी बताती है कि आपका बच्चा भी दांत कटकटाता है।
- सोते समय बच्चे के दांत कटकटाने की आवाज आना।
- सिर में दर्द होना।
- कान में दर्द होना।
- जबड़े में दर्द होना।
- दांतों में क्रैक या फिर उनका हिलना।
- दाढ़ों के उभार समतल हो जाते हैं आपस में रगड़ खा कर।
- खाने को जबाने में दिक्कत आने लगती है, क्योंकि जबड़ा हिलाने में भी समस्या होती है।
- पूरी तरह से मुंह नहीं खुल पाता।
- दांतों की ऊपर और नीचे की पंक्ति की सिधाई बिगड़ जाती है।
- गाल के अंदर की झिल्ली पर काटने के निशान दिखाई देते हैं।
- अधिक दबाव की वजह से दांत आगे-पीछे हो जाता है।
- अक्सर दांत पीसने की वजह से जीभी की सामान्य स्थिति भी बदल जाती है और वह किसी एक तरफ मुड़ने लगती है।
- बच्चों की नींद में भी खलल होने लगता है।
- दांत ठंडा-गर्म या मीठे आदि के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं।
दांत पीसने की आदत को कैसे करें नियंत्रित
अगर छोटे बच्चों में यह आदत हो तो वह उनके दांतों के पूरी तरह से निकलने के साथ ही स्वतः ही समाप्त हो जाती है। परंतु अगर बड़े बच्चों को तनाव संबंधी किसी कारण से यह समस्या हो तो उसके लिए इन टिप्स का प्रयोग किया जा सकता है।
- सोने से पहले किसी भी प्रकार के गैजेट्स टेलीविजन, मोबाइल फोन, लैपटॉप या टेबलेट आदि का उपयोग न करें। इन्हें देखने के कारण कई बार बच्चे अधिक उत्तेजित या बेचैन होने लगते हैं, जिसकी वजह से वे रात को सोते समय अनजाने में दांत पीसने लगते हैं।
- अच्छी नींद के लिए कमरे में सही माहौल को बनाए रखें। अधिक रोशनी या कम-ज्यादा तापमान की वजह से भी बच्चों की नींद खराब होती है।
- बच्चों को 7 से 9 घंटों की नींद लेने के लिए प्रोत्साहित करें। बड़े बच्चों को भी आप जल्दी सोने के लिए प्रोत्साहित करें, ताकि उनकी नींद पूरी हो सके।
- बड़े बच्चों को शाम को 4-5 बजे के बाद कैफीन युक्त चाय, कॉफी या अन्य पेय पदार्थ का सेवन न करने दें। इससे नींद आने में परेशानी होती है।
- अच्छी नींद के लिए सोने से पहले गर्म पानी से स्नान या फिर तन-मन को सुकून पहुंचाने वाला संगीत सुनना चाहिए।
- मानसिक तनाव, अवसाद या बेचैनी को कम करने के लिए बच्चों को योग, मेडिटेशन जैसी तकनीकों का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित करें।
- स्वस्थ तन में स्वस्थ मन का विकास होता है, इसीलिए बच्चों को व्यायाम और शारीरिक गतिविधियों को करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
- दांतों में समस्या को लेकर आप उसकी अनदेखी न करें और डेंटिस्ट के पास उपचार के लिए जाएं। दांतों की पंक्ति की सिधाई को ठीक करने से लेकर दाढ़ों के उभारों तक को भरवाना बेहद जरूरी होता है, ताकि बच्चा ठीक से भोजन को चबा सके।
- अगर बच्चा किसी बीमारी के लिए दवाइयां खा रहा हो तो ध्यान रखें कि बच्चा सही समय पर दवाइयों का सेवन करे। अगर किसी दवाई की वजह से बच्चा अधिक बेचैन नजर आ रहा हो तो इस संबंध में आप डॉक्टर से संपर्क करें ताकि वे दवाई को बदलें या फिर उसकी खुराक को नियमित करें।
- मानसिक समस्या या तनाव का स्तर अगर बहुत अधिक बढ़ चुका हो तो उसके लिए आपको मनोवैज्ञानिक से संपर्क करना चाहिए ताकि वे बच्चे की मानसिक परेशानी का हल निकालने में आपकी मदद कर सकें।
बच्चों की किसी भी समस्या का कारण जानने पर आधी समस्या खुद-ब-खुद समाप्त हो जाती है। अगर आपका बच्चा भी दांत पीसता है तो यह कोई बड़ी बात नहीं है हो सकता है कि जबड़ें या कान में दर्द की वजह से वह ऐसा कर रहा हो। इसके अलावा दांत निकलने पर होने वाली खुजली की वजह से भी बच्चे ऐसा करते हैं। हां, इसके अलावा अगर बड़े बच्चे सोते समय दांत कटकटाते हों तो माता-पिता को उनकी इस समस्या का कारण तुरंत ढूंढ़ने का प्रयास करना चाहिए, ताकि उनकी समस्या को जल्द से जल्द खत्म किया जा सके।
अगर बच्चों को मानसिक समस्या हो तो उनके तनावरहित और खुशनुमा माहौल दें और साथ ही उनका स्क्रीन टाइम भी कम करें, ताकि वे और अधिक तनाव का शिकार न हो सकें। बच्चों को शांत माहौल देने के साथ ही आप ही आप उन्हें शारीरिक और मानसिक तंदरूस्ती के लिए व्यायाम, योग आदि के लिए भी प्रोत्साहित करें।