आजकल किशोरावस्था में अपने पांव रख चुकी लड़कियों के दिमाग में पीरियड्स या मासिक धर्म को लेकर काफी भ्रम पल रहे हैं। माता-पिता और अध्यापिका होने के नाते यह जरूरी है कि हम अपनी बच्चियों के इन भ्रमों को तोड़ें। यहां आपको ऐसे 13 पीरियड्स संबंधित भ्रम बताए जा रहे हैं, जिनकी सच्चाई बताना बेहद जरूरी है।
मासिक धर्म या पीरियड्स से जुड़े 13 भ्रम और उनका सच
भ्रम 1: पीरियड्स के दौरान शरीर से निकलने वाला रक्त या खून गंदा होता हैा
सचः मासिक धर्म या पीरियड्स के दौरान शरीर से निकलने वाले खून में कोई गंदगी नहीं होती। बल्कि यह प्रक्रिया कुदरत की देन है जो सिर्फ लड़कियों को मिली है, जिस वजह से वह एक बच्चे को जन्म दे सकती हैं। जब इस प्रक्रिया से एक नवजात शिशु पैदा होता है तो आखिर इसे गंदा कैसे कहा जा सकता है।
भ्रम 2: पीरियड्स में निकलने वाले खून से बदबू आती है।
सच: पीरियड्स के दौरान निरंतर शारीरिक स्वच्छता, जैसे कि रोज नहाना, अपने निजी अंगों को साफ करना और सैनिटरी पैड्स को सही समय पर बदलना, बनाए रखने से कोई बदबू नहीं आती और साथ ही सफाई भी बनी रही है। इसीलिए जरूरी है कि हम छोटी बच्चियों को पीरियड्स के दौरान स्वच्छता संबंधी आदतों को बनाए रखने के बारे में सीखाएं।
भ्रम 3: पीरियड्स में खून की कमी हो जाती है।
सच: कुछ महिलाएं, सही खान-पान न होने या शरीर में आयरन की कमी के कारण पीरियड्स के दौरान थकान का अनुभव करती हैं। जबकि सही अंतराल पर पीरियड्स का होना एक स्वस्थ शरीर की निशानी है।
भ्रम 4: पीरियड्स हर 28 दिन में एक बार होते हैं।
सच: जैसे सभी का शरीर, उनके कार्य एक दूसरे से भिन्न होते हैं । जैसे कोई गोरा तो कोई सांवला होता है, कोई लंबा तो कोई छोटे कद का होता है, ठीक वैसे ही हर महिला का अपना मासिक धर्म चक्र होता है। यह उनके अनुवांशिक कारणों, खान-पान के तौर -तरीकों और उनके तनाव के स्तर पर निर्भर करता है। कुछ लड़कियों को एक महीने में दो दिन पीरियड्स होते हैं, जबकि कुछ को एक महीने में पांच दिन।
भ्रम 5: पीरियड्स किसी प्रकार की बीमारी है।
सच: मासिक धर्म एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और यह किसी भी प्रकार की कोई बीमारी नहीं है।
भ्रम 6: पीरियड्स के दौरान लड़कियों को अपने परिवार के अन्य सदस्यों से अलग बैठकर खाना खाना चाहिए।
सच: इस बात के पीछे कोई वैज्ञानिक या जैविक कारण नहीं हैं, जो इस बात को सही साबित करें कि लड़कियों को पीरियड् के दौरन अलग बैठ कर खाना खाना चाहिए।
भ्रम 7 पीरियड्स के दौरान किसी भी खेल में भाग लेना या अन्य गतिविधि जोखिम भरा हो सकता है।
सच: अगर चिकित्सीय तौर पर देखें तो खेलों या अन्य गतिविधियों से कोई जोखिम नहीं है। हालांकि कुछ लड़कियों में थकान और मरोड़ उठने की समस्या देखी गई है, जिसका कारण पीरियड्स के दौरान उनके भोजन में आयरन की कमी है।
भ्रम 8: सैनिटरी नैपकिन या कपड़े को इस्तेमाल के बाद जब बाहर फेंका जाता है और उसके ऊपर से कोई सांप निकल जाए तो आगे चलकर आपको बांझपन का दुख झेलना पड़ेगा।
सचः यह बिल्कुल सही नहीं है। इसका कोई वैज्ञानिक या तार्किक प्रमाण नहीं है।
भ्रम 9: पीरियड्स के दौरान किसी को नहीं छूना चाहिए।
सच: पीरियड्स बिल्कुल प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो अच्छे स्वास्थ की निशानी है और इसमें कुछ भी अस्वच्छ जैसा नहीं है। कोई लड़कियों को हीन अनुभव करा सके, इसकी इजाजत लड़कियों को किसी को भी नहीं देनी चाहिए।
भ्रम 10: हमें मंदिर जाना, बच्चों को उठाना या बालों में फूल लगाना, पौधों में पानी देना या आचार को हाथ लगाना जैसे
काम नहीं करने चाहिए।
सच: इनमें से कोई भी कथन सही नहीं है और न ही इसके पीछे कोई सही तर्क है।
भ्रम 11: अगर सैनिटरी पैड या कपड़े के ऊपर से कोई पक्षी उड़ जाए तो आपको उसका श्राप लगेगा।
सच: इसमें कोई सच्चाई नहीं है, बल्कि यह हो सकता है कि स्वच्छता और नैपकिन या कपड़े के सही निपटारण के चलते ऐसी बातें बनाई गई हों।
भ्रम 12: मासिक धर्म चक्र और पोषण में कोई संबंध नहीं है।
सच: इस दौरान पोषण से भरपूर भोजन करना बेहद जरूरी है ताकि आपके हॉर्मोन्स इस प्रक्रिया को सुविधाजनक बना सकें और आपको थकान कम महसूस हो।
भ्रम 13: पीरियड्स के दौरान लड़कों को देखने से लड़कियों के चेहरे पर मुंहासे हो जाते हैं।
सच: किशोरावस्था में पहुंचने के साथ ही शरीर में बनने वाले हॉर्मोन्स एंड्रोजन की वजह से लड़के-लड़कियों को मुंहासे और दाने हो जाते हैं।
भ्रम 14: पीरियड्स शर्मनाक होते हैं।
सच: बार-बार ऐसी बातें कह कर लड़कियों को पीछे रखा जाता है। अगर इस प्रक्रिया के चलते महिलाएं शिशु को जन्म देती हैं तो इसके होने में शर्म जैसी बात ही नहीं रहती।
पीरियड्स के बारे में ऐसी भ्रामक बातों की वजह से ही पूरी दुनिया में महिलाओं और लड़कियों के लिए चीजें और भी मुश्किल होती हैं।