पीसीओडी और पीसीओएस – बचाव के उपाय, घरेलू उपचार, योगासन, डाइट प्लान (PCOS PCOD Diet, Yoga and Home Remedies in Hindi)

By Kusum Lata|7 - 8 mins read| April 10, 2024

आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में महिलाओं को घर और बाहर दोनों जगह कम करना पड़ता है। ऐसे में उसके पास काम ज़्यादा और समय बहुत कम है और अपने लिए फुर्सत के दो पल भी उसके पास नहीं हैं। व्यस्तता भरी ज़िंदगी और अपने प्रति लापरवाही का ही नतीजा है पीसीओडी (PCOD) और पीसीओएस (PCOS) नाम की बीमारी से महिलाओं का पीड़ित होना। इसका मुख्य कारण हार्मोंस का असंतुलन होना है। इसके लक्षण सामान्य होते हैं इसलिए इसे जल्द पहचानना मुश्किल होता है। इसमें पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं, पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है, मोटापा बढ़ता है, शरीर पर अनचाहे बाल आने लगते हैं और सबसे बड़ी समस्या गर्भधारण करने यानी माँ बनने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।आप अवश्य पढ़ें – PCOD/PCOS कारण, लक्षण और महिलाओं पर प्रभाव (PCOD PCOS Causes, Symptoms and its effect)

इसलिए अपने और अपनी सेहत के प्रति लापरवाही मत बरतिए। और अगर यह बीमारी आपको हो गई है तो भी घबराने की कोई ज़रूरत नहीं है, बस ज़रूरत है तो इन सुझावों पर अमल करने की –

पीसीओडी से ग्रस्त होने पर करें ऐसा

अगर आपको भी ऐसे ही कुछ लक्षण खुद में भी नज़र आ रहे हैं सबसे पहले तो आप घबराएं नहीं बल्कि समझदारी से काम लें और अपनी गायनेकोलॉजिस्ट के पास जाएं। डॉक्टर ही जांच करके सही बात का पता लगा पाएगी कि आपको यह बीमारी है भी या नहीं। उसी अनुसार वह आपका इलाज करेंगी। अगर यह निश्चित हो जाता है कि आपको यह समस्या है तो थायरायड और डायबिटीज़ की जांच भी करा लें। इस समय इनकी होने या बढ़ने की आशंका होती है।

पीसीओडी और पीसीओएस से बचाव के उपाय

अपनी सेहत को लेकर लापरवाही न बरतें। इसके लक्षणों में से अगर आपमें भी ऐसे किसी लक्षण आपको दिखाई दें तो तुरंत सावधान हो जाएं। उसी समय डॉक्टर से सलाह लें। अपने खाने पीने का ध्यान रखें। पीरियड्स के सही समय आदि का भी ख्याल रखें। इनके अलावा इन बातों का ध्यान रखें-

प्रकृति से जुड़ें

हरा भरा स्वच्छ वातावरण में जितना ज़्यादा हो सके उतना वक़्त बिताएं। इससे आपके तनाव कम होगा आस और आप तनाव से बचेंगी। हरियाली वाली जगह पर टहलने से आपका वज़न भी कम होगा। वैसे भी पेड़ पौधों के बीच शुद्ध हवा मन को शांति का अनुभव कराती है।

नियमित रूप से व्यायाम करें

रोज़ाना एक निश्चित समय पर व्यायाम करें। जितना हो सके पैदल चलें। योग, एरोबिक्स, स्विमिंग आदि जो पसंद हो, पर्याप्त समय करें। मेडिटेशन भी कर सकती हैं।

पौष्टिक आहार लें

फल और हरी सब्जियों का सेवन सबसे ज़्यादा करें। पानी खूब पीएं। मीठा, तला हुआ, फास्ट फूड खाने से परहेज़ करें। दही, दूध, मछली, नट्स, ओमेगा 3 व विटामिन बी से भरपूर चीजें खाएं।

स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं

स्वस्थ जीवनशैली आपकी सेहत का खजाना है। यही वह तरीका है जिससे आप सभी बीमारियों से बच सकती हैं। ऑफिस और घर के साथ-साथ खुद के लिए भी समय निकालिए। सुबह से लेकर सोने तक की ऐसी दिनचर्या बनाइए जिससे आप सभी काम तसल्ली से कर पाएं। खूब काम करें और भरपूर आराम भी करें। तभी स्वास्थ्य को कायम रखा जा सकता है। पीसीओडी जैसी बीमारी को गंभीरता से लें क्योंकि इसके कारण महिलाओं को माँ बनने के दौरान काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

पीसीओएस और पीसीओडी घरेलू उपचार

पीसीओडी के इलाज के तौर पर कुछ घरेलू नुस्खे भी अपनाए जा सकते हैं। रसोई में मौजूद कई कई चीजें ऐसी हैं जो किसी जड़ी बूटी से कम असरदार नहीं हैं। तो आइए जानते हैं इनके बारे में –

मेथी – मेथी महिलाओं के लिए बेहद फायदेमंद है। इससे इंसुलिन का स्तर बढ़ना रुक जाता है। साथ ही इसके सेवन से हार्मोंस संतुलन रहता है और मेटाबॉलिज्म बेहतर होता है। इसके लिए लगभग तीन चम्मच मेथी को आठ से दस घंटे भिगोने के बाद पीसकर बराबर भाग में बांट लें। इसे दिन में तीन बार शहद के साथ खाएं। जल्द असर देखने को मिलेगा।

दालचीनी – रोज़ाना एक चम्मच दालचीनी को एक गिलास गर्म पानी के साथ खाने से इंसुलिन का स्तर सामान्य रहता है।

अलसी – एंड्रोजन हार्मोन को कम करने के लिए अलसी के बीज बहुत फ़ायदा करते हैं। इसके अलसी के बीजों का एक चम्मच चूर्ण एक गिलास पानी में घोलकर पीएं।

मुलेठी – मुलेठी भी एंड्रोजन हार्मोन के स्तर को सामान्य रखने का काम करती है। इसके अलावा मेटाबॉलिज्म की प्रक्रिया को बेहतर बनाने और कोलेस्ट्रॉल को सामान्य रखने का काम यह बखूबी करती है। इसके लिए रोजाना सूखी मुलेठी को लगभग एक कप पानी में उबालकर पीने से जल्द असर होता है।

पुदीने की चाय – पुदीने को भी एंड्रोजन हार्मोन का विरोधी माना गया है। पुदीने की सूखी पत्तियों को पानी में उबाल लें फिर इस पानी को छानकर पी लें।

योगासन से होगा फ़ायदा

कई रोगों का इलाज़ करने में योगासन बहुत फायदेमंद साबित होते हैं। योग हमारे स्वास्थ्य को बरक़रार रखने के साथ मन को शांत करता है। साथ ही यह तन और मन दोनों को एक सकारात्मक स्फूर्ति से भर देता है। पीसीओडी से योग के ज़रिए निजात पाई जा सकती है और आसानी से माँ बना जा सकता है। तो आइए जानते हैं कि कौन से योगासन इस बीमारी से छुटकारा दिलाने में मददगार होंगे-

  • सूर्य नमस्कार – यह सबसे ज़्यादा फायदेमंद आसन है। इसके अभ्यास से शरीर पूरी तरह चुस्त दुरुस्त हो जाता है। इसके अलावा यह हमारे शरीर के अंदरूनी हिस्सों बेहतर ढंग से काम करने लगते हैं।
  • अनुलोम – विलोम प्राणायाम – नियमित रूप से इसका अभ्यास करने पर सभी मानसिक बीमारी से छुटकारा मिल जाता है और मन को सुख व शांति का अनुभव होता है।
  • भुजंगासन- इस आसन को करने पर पेट पर दवाब पड़ता है जिससे पाचन तंत्र दुरुस्त होता है और पीरियड्स से जुड़ी परेशानियों से छुटकारा मिलता है।
  • तितली आसन – इस आसन को करने से तनाव से मुक्ति मिलती है और पीरियड्स सही समय पर आने लगते हैं।
  • चक्रासन – पीरियड्स से जुड़ी हर  छोटी और बड़ी समस्या का समाधान है ये आसन। इसके द्वारा आप स्वस्थ रहते हुए आसानी से माँ बन सकती हैं।
  • पद्मासन – यह आसन हार्मोंस को संतुलित करता है और इसे करने से पेल्विस एरिया (श्रोणी क्षेत्र) फैलता है।
  • भ्रामरी प्राणायाम – इससे तनाव और मानसिक बीमारी से छुटकारा मिलता है और मन एकाग्रचित्त हो जाता है।

लेकिन योगासन करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखें। इनका प्रभाव शरीर पर जल्द ही पड़ने लगता है इसलिए अगर पहली बार इनको कर रही हैं तो किसी योगगुरु के बताए अनुसार करेंl

बेहतर पीसीओएस और पीसीओडी डाइट प्लान

अगर समय पर इसका इलाज नहीं किया जाए, तो समय के साथ यह डायबिटीज और हृदय संबंधी अन्‍य  समस्याओं का कारण भी बन सकता है। इसके चलते अपनी डाइट पर ध्‍यान देना बहुत जरूरी हो जाता है। अगर आप भी पीसीओडी या पीसीओएस की प्रॉब्‍लम्‍स से जूझ रही हैं और यह जानना चाहती हैं कि इसमें कौन-सी डाइट प्‍लान आपके लिए अच्छा है तो इस समस्‍या को दूर करने के लिए यह रहा डायट प्‍लान –

1.सुबह खाली पेट

रात का भिगोए गए एक चम्‍मच मेथी दाना लें और 5 भीगे बादाम के साथ पानी पीएं। मेथी दाना शरीर में ग्‍लूकोज मेटाबॉल्जिम में सुधार करता है। ये आपकी इंसुलिन संवेदनशीलता को बढ़ाने के लिए ब्‍लड शुगर के स्तर और हार्मोन को स्थिर करता है।

2. नाश्ता

 सुबह के समय नाश्ते के लिए अंडे का सफेद भाग, टोस्ट / अंकुरित चने या साबुत मूंग  दाल आदि / दाल या बेसन का चीला अच्छे विकल्प हैं। इन चीजों में मौजूद प्रोटीन इंसुलिन, एस्ट्रोजेन और टेस्टेरोनोन जैसे हार्मोन के उत्पादन में मदद करता है। इसलिए नाश्ते में इन्‍हें शामिल करना बहुत फ़ायदेमंद है।

3. नाश्ते और दोपहर के खाने के बीच

 इस समय नारियल का पानी / फल / ग्रीन टी आदि लेना बेहतर है। नारियल पानी नेचुरल डी-यूरेटीक होता है और इसमें फैट बहुत ही कम होता है। जबकि फल फाइबर से भरपूर होते हैं और ग्रीन टी आपके मेटाबॉल्जिम को बढ़ाने में मदद करती है।

4.दोपहर का खाना

दोपहर के खाने में सलाद, मल्‍टीग्रेन चपाती (1-2) + सब्‍जी + सलाद /कोई भी सलाद जो प्रोटीन बेस जैसे चना या चिकन होना चाहिए / ब्राउन राइस + सब्‍जी / दलिया + सब्‍जी। डाइट में डेयरी प्रोडक्‍ट कम या बिल्‍कुल नहीं होने चाहिए क्‍योंकि ये हार्मोनल स्तर में बाधा उत्‍पन्‍न कर सकते है। पीसीओडी वाली महिलाओं में पहले से ही हार्मोन्‍स से संबंधित परेशानियां रहती हैं।

5. शाम का हल्का नाश्ता

शाम के वक्त आप चाय / ग्रीन टी / ग्रीन कॉफी + 2 मैरी बिस्‍कुट / 1 कटोरी मखाना / 1 कटोरी भुना चना आदि ले सकती हैं।

6.रात का खाना

रात के खाने में ग्रिल्ड चिकन / फिश + सब्‍जी / वेजिटेबल मूंग दाल चीला / सूप + दाल+ सब्‍जी / 2-3 अंडे के सफेद भाग + 1 चपाती के साथ। प्रोटीन टिश्‍यु की मरम्मत करने और मांसपेशियों के पुनर्निर्माण का काम करता है। यह ब्‍लड शुगर लेवल को नियंत्रण में रखने में मदद करता है।

7. रात के खाने के बाद

 आप एक कप ग्रीन टी पी सकती हैं। हो सके तो इसमें चीनी डालने से बचें, इसकी बजाय आप इसमें आर्गेनिक शहद मिला सकती हैं। यह आपके इंसुलिन को कम करता है।

यह लेख डॉ. प्रीति पुष्पम, एंजेल मदर एंड चाइल्ड केयर सेंटर, गायनेकोलॉजिस्ट – एमबीबीएस, डीजीओ, डीएनबी से बातचीत पर आधारित है


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