छोटे बच्चे बहुत नाज़ुक होते हैं। इनका इम्यून सिस्टम भी बड़ों की अपेक्षा कमज़ोर होता है। ऐसे में किसी भी तरह का वायरल संक्रमण (इंफेक्शन) छोटे बच्चों को जल्दी हो जाता है। बच्चों को इस तरह के किसी भी वायरल संक्रमण से बचाने के लिए इनका खास ख्याल रखना चाहिए।
एक रिसर्च से पता चला है कि लगभग हर बच्चा अपने विकास के प्रारंभिक वर्षों में तकरीबन बारह वायरल संक्रमण के कारण होने वाली बीमारियों से जूझ सकता है। इसके अलावा यह भी देखा गया है कि बच्चा एक वायरस संक्रमण से उबरने के बाद किसी अन्य वायरल संक्रमण का जल्द ही शिकार बन सकता है। वहीं समय के साथ -साथ बढ़ते बच्चे में इस प्रकार के संक्रमण होने की आशंका कम होती चली जाती है।
वायरल संक्रमण क्या है?
मानव शरीर में पाए जाने वाले छोटे कीटाणुओं या वायरस से होने वाला संक्रमण वायरल संक्रमण कहलाता है। ऐसे अनेक वायरस हैं जो आमतौर पर शरीर के किसी भी भाग को संक्रमित कर सकते हैं। ये पहले सामान्य कोशिकाओं पर हमला करते हैं और बढ़ने व प्रजनन के लिए इन्हीं कोशिकाओं का प्रयोग करते हैं। फ्लू, सामान्य जुकाम, गले में खराश, उल्टी जैसे साधारण संक्रमणों का मुख्य कारण ये वायरस ही होते हैं। वायरस संक्रामक की तरह काम करते हैं। यही कारण है कि ये एक पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आने पर आसानी से किसी को भी संक्रमित कर सकते हैं। वायरस से संक्रमित होने पर आराम करना ज़रूरी है। कई बार ये वायरल संक्रमण इतने शक्तिशाली हो सकते हैं कि एंटीबायोटिक्स भी इस संक्रमण का इलाज करने में असफल रहते हैं। चेचक, इबोला और एच.आई.वी. / एड्स जैसे गंभीर संक्रमण का कारण भी वायरस हो सकते हैं।
वायरल संक्रमण होने के कारण
- किसी बीमार व्यक्ति के संपर्क में आने से।
- किसी संक्रमित व्यक्ति के खांसी या छींकते वक्त छीटें पड़ने पर।
- गंदगी जैसे मल, उल्टी के आसपास बच्चे के आने पर।
- दूषित पानी व भोजन खाने से।
- मौसम बदलने से।
वायरस से होने वाली सामान्य बीमारियाँ-
- साधारण जुकाम
- खाँसी व गले में खराश
- इन्फ्लूएंजा या फ्लू
- साँस लेने वाली नलियों में सूजन या जलन (ब्रोंकिओलिटिस)
- टॉन्सिलाइटस
- दस्त
- खसरा
- छोटी माता
- हेपेटाइटिस
- पोलियो
- डेंगू
- चेचक
- सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (एस.ए.आर.एस)
कब ले जाएं डॉक्टर के पास
जब बच्चों में ये गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं तो तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना बेहतर है। बच्चों के मामले में ज्यादा देर करना सही नहीं है।
- कई दिनों तक बुखार का ठीक न होना
- हफ़्तों तक खाँसी आना
- बच्चे की भूख का कम होना
- शरीर के अंगों में सूजन का होना
- मल के साथ खून आना
- बच्चे का सुस्त होना
- साँस लेने में कठिनाई होना
कई बार सामान्य – सी दिखाई देने वाली बीमारियाँ गंभीर रूप धारण कर सकती हैं जैसे न्यूमोनिया आदि।
वायरल संक्रमण से बचाव के उपाय
- बीमार व संक्रमित व्यक्ति से बच्चे को दूर रखें।
- सही समय पर टीके लगवाएं।
- साफ – सफाई का खास ख्याल रखें।
- बदलते मौसम में बच्चों का विशेष ध्यान रखें।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पौष्टिक आहार बच्चों को दें।
- बच्चे की नाक या मुँह आदि साफ करने के लिए रूमाल की जगह टिश्यू पेपर का इस्तेमाल करें।
वायरल संक्रमण होने पर बच्चे की देखभाल
- बच्चे को पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ दें। उसके शरीर में पानी की कमी न होने दें।
- तेज बुखार होने पर बच्चे के माथे पर पानी में भिगोकर कपड़ा रखें।
- हल्का खाना खिलाएं जैसे दलिया, खिचड़ी, सूप आदि पीने को दें। बीमार होने पर बच्चा खाना – पीना छोड़ देता है इसलिए आप उसे मनाकर थोड़ा – थोड़ा खाना ज़रूर पिलाएं।
- उसके कपड़ों और खाने के बर्तनों की साफ सफाई का खास ख्याल रखें।
- उसका कमरा हवादार और साफ – सुथरा होना चाहिए।
- बच्चे के हाथ भी अल्कोहल युक्त सैनिटाइजर से साफ करते रहें।
डॉ. प्रीति पुष्पम, एंजेल मदर एंड चाइल्ड केयर सेंटर, गायनेकोलॉजिस्ट – एमबीबीएस, डीजीओ, डीएनबी से बातचीत पर आधारित