किशोरावस्था में बच्चों को क्या खाना चाहिए – Healthy Eating for Teenagers in Hindi

By Harita Patil|4 - 5 mins read| January 22, 2025

आमतौर पर देखा जा सकता है कि लड़कियों में 10 से 12 साल के बीच और लड़कों में 12 से 13 साल के बीच की उम्र में भूख काफी बढ़ जाती है। ऐसा उनकी शरीर में होने वाले हॉर्मोनल बदलावों के कारण भी होता है। लेकिन ऐसे में बहुत जरूरी है यह जानना कि किसी किशोरावस्था वाले बच्चे को कितना खाना चाहिए और क्या।

बढ़ते बच्चों के साथ माता-पिता अपने घर में खाने-पीने की चीजों का जितना भी ढेर लगा लें, लेकिन बच्चों को खाना वहीं है, पिज्जा, बर्गर, पास्ता जैसे जंक फूड। यह जंक फूड आपका पेट तो जरूर भर देते हैं, लेकिन साथ में भर देते हैं हमारे शरीर में सैचुरेटेड फैट और अतिरिक्त कैलोरीज। जिन्हें खर्च करने में हमें काफी अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इसीलिए किशोरावस्था में बच्चों के खाने का ध्यान कैलोरीज के माध्यम से भी रखा जाता है। किशोरावस्था कि शुरुआत में बच्चों को अधिक भूख लगती है, क्योंकि उनकी कैलोरीज की मांग भी बढ़ जाती है।

  • लड़कों को औसतन 2,800 कैलोरीज एक दिन में आवश्यक होती हैं।
  • लड़कियों को औसतन 2,200 कैलोरीज एक दिन में आवश्यक होती हैं।

आमतौर पर जब बच्चों का शारीरिक विकास होना बंद हो जाता है, तब उनकी भूख भी कम होने लगती है। लेकिन बड़े और लंबे बच्चे जो किसी न किसी शारीरिक गतिविधि में शामिल होते रहते हैं, उनकी खुराक में कमी नहीं आती। अगर बात किशोरावस्था के मध्य या उसके अंत होने की कि जाए तो लड़कियां, लड़कों की तुलना में लगभग 25 प्रतिशत कम खाती हैं, जो कि उनमें विटामिन और खनिज लवणों की एक कमी का कारण भी बन सकता है।

किन पोषक तत्वों की होती है जरूरत

अब बात करते हैं पोषक तत्वों की जिनसे हमें ऊर्जा मिलती है। हमें ऊर्जा देने वाले मुख्य तीन स्रोत हैं, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स और वसा।

  • प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट्स के एक ग्राम से हमें 4 कैलोरीज मिलती हैं।
  • वसा से मिलने वाली ऊर्जा इसके दोगुने से भी अधिक, 9 कैलोरीज प्रति ग्राम है।

प्रोटीन

हमें ऊर्जा के लिए जरूरी तीनों पोषक तत्वों में से सबसे कम प्रोटीन के बारे में चिंता होती है। इसकी वजह यह है कि हमारे शरीर का 50 प्रतिशत तक वजन प्रोटीन से ही बना होता है। इसके अलावा हम सभी किसी न किसी रूप में प्रोटीन का सेवन कर लेते हैं। जैसे कि मांस-मछली, अंडे और चीज आदि।

कार्बोहाइड्रेट्स

शर्करा और स्टार्च से हमारे शरीर को कार्बोहाइड्रेट्स मिल जाते हैं, जिन्हें हमारा शरीर बदलकर ग्लूकोस में परिवर्तित कर लेता है। लेकिन हमारे लिए यह भी जानना जरूरी है कि हमारा शरीर सभी कार्बोहाइड्रेट्स को नहीं बदल पाता। इसीलिए अपने किशोरावस्था बच्चों के लिए भोजन तैयार करते समय, हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें कॉम्पलेक्स कार्बोहाइड्रेट्स वाले भोजन पदार्थ यानी चावल, गेहूं, अनाज से बने भोजन और स्टार्च युक्त फल और सब्जियां भी खिलानी चाहिए। इनसे बच्चे को लंबे समय तक के लिए ऊर्जा मिलती है। इसके अलावा कॉम्पलेक्स कार्बोहाइड्रेट्स खाने से बच्चों को फाइबर और अन्य पोषक तत्व भी मिलते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि आप अपने बच्चे के भोजन में 50 से 60 प्रतिशत तक कॉम्पलेक्स कार्बोहाइड्रेट्स को शामिल करें। इसके अलावा सामान्य कार्बोहाइड्रेट्स से आपके बच्चे को सिर्फ मीठा स्वाद और तुरंत एनर्जी तो मिलेगी, लेकिन उसके अलावा और कुछ भी नहीं।

वसा

किशोरवस्था में बच्चों को उनकी कैलोरीज का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा वसा से मिलना चाहिए। वसा या फैट से बच्चों को ऊर्जा तो मिलती है, साथ ही हमारी शरीर में कई विटामिन ऐसे भी होते हैं, जिन्हें घोलने के लिए वसा की जरूरत होती है, जैसे कि विटामिन ए, डी, ई और के। लेकिन बच्चों को अधिक वसा युक्त भोजन कराने से भी बचना चाहिए, क्योंकि इनसे बच्चों की सेहत पर बुरा असर भी पड़ता है। उनका वजन बढ़ता है। फैस से मिलने वाली कैलोरीज को खर्च करने के लिए किसी को भी एक ओलंपिक एथलीट जितना शारीरिक श्रम करना पड़ता है।

वसायुक्त भोजन में कोलेस्ट्रॉल होता है, जो हमारी हृदय की धमनियों में जम जाता है, जिसकी वजह से हार्ट अटैक या ब्रेन स्ट्रोक की समस्या भी हो सकती है। वैसे तो यह समस्याएं युवावस्था में न के बराबर देखने को मिलती हैं, लेकिन आगे चलकर ये काफी गंभीर रूप भी ले लेती हैं।

भोजन में तीन प्रकार का फैट होता है

  1. मोनोअनसेचुरेटेड (Monounsaturated fat) : यह सबसे अधिक सेहतकारी फैट होता है, जो जैतून, जैतून के तेल, मूंगफली, मूंगफली के तेल, काजू, अखरोट और कनोला ऑयल से मिलता है।
  2. पॉलीअनसेचुरेटेड (Polyunsaturated fat) : यह फैट हमें कॉर्न ऑयल, सनफ्लॉवर ऑयल, सोयाबीन ऑयल और तिल के तेल से मिलता है।
  3. सैचुरेटेड (Saturated fat) : तीनों प्रकार की वसा में से इसमें सबसे अधिक कोलेस्ट्रॉल होता है, जैसे कि मांस, चीज, क्रीम, अंडे के पीले भाग में, नारियल के तेल और पाम ऑयल में।

अपने बच्चों को सेहतमंद भोजन कराने के लिए आप किसी भी हाल में 10 प्रतिषत से अधिक कैलोरीज के लिए सैचुरेटेड फैट पर निर्भर नहीं कर सकते। फैट या वसा से मिलने वाली अतिरिक्त 20 प्रतिशत कैलोरीज आपको फैट के अन्य दोनों अनसैचुरेटेड किस्मों से लेनी चाहिए, जो कि ज्यादातर पौधों से मिलने वाले तेलों में मौजूद होती है।

अगर आपके बच्चे भी प्रोसेस्ड फूड या पैकेज्ड फूड पर ज्यादा निर्भर हैं तो उन्हें इनका लेबल देखने को कहें। अधिक फैट, शर्करा या नमक आपके बच्चे के लिए लाभदायक नहीं है। आमतौर पर पैकेज्ड फूड को अधिक समय तक ताजा रखने के लिए उसमें हाइडोजेनेटेड फैट को मिलाया जाता है।

विटामिन और मिनरल

किशोरावस्था की ओर बढ़ रहे बच्चों के भोजन में कैल्शियम, जिंक, आयरन और विटामिन डी भी प्रचूर मात्रा में होना चाहिए। अगर बच्चों की जांच न की जाए तो यह बता पाना काफी मुश्किल है कि बच्चे में किस प्रकार के विटामिन या मिनरल की कमी है। इसीलिए अपने बच्चों को सप्लीमेंट खिलाने की जगह उन्हें विभिन्न पोषक तत्वों से युक्त भोजन कराना चाहिए ताकि उनमें किसी प्रकार की कोई कमी न हो।


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