छोटे बच्चों में कान में संक्रमण की समस्या- Ear Infections in Kids in Hindi

By Ruchi Gupta|5 - 6 mins read| February 24, 2023

कान का दर्द बहुत परेशान करता है। खासकर तब जब 6 महीने से 5 साल के बच्चों के कान में दर्द हो तो। वैसे तो बच्चों के कान में दर्द बहुत गंभीर नहीं होता। ज्यादातर मामलों में छोटे बच्चों को कान में दर्द या कान में संक्रमण कुछ दिनों पुराने सर्दी-जुकाम की वजह से होता है। आइए जानते हैं, बच्चों में कान में संक्रमण के बारे में।

बच्चे को बुखार हो, उसके कान के आस-पास खुजली और लालगी हो, उसे सुनने में परेशानी हो रही हो। ये सभी चीजें बच्चे के कान में संक्रमण की ओर इशारा करती हैं। ऐसे में अगर इन चीजों की अनदेखी की जाए तो संक्रमण की वजह से बच्चे के कान में दर्द भी हो सकता है। संक्रमण के कारण क्या होते हैं और उसकी रोकथाम कैसे की जाए आइए जानते हैं।

किस वजह से होता है बच्चों के कान में संक्रमण

बच्चों के कान में संक्रमण ज्यादातर विषाणुओं या बैक्टीरिया की वजह से होता है। इसके अलावा हमारे कान की संरचना को देखें तो वहां आपको एक यूस्टेशियन ट्यूब (Eustachian tube) दिखाई देगी, जो कि हमारे गले के पिछले भाग को कान से जोड़ती है। अगर बच्चे को लगातार कई दिनों से जुकाम और सर्दी की समस्या हो रही हो, तो इस बात की काफी आशंका है कि इस ट्यूब के माध्यम से किटाणु बच्चे के गले से होते हुए उसके कान के मध्य भाग तक पहुंच जाएं, जिसकी वजह से बच्चे को कान में संक्रमण हो जाए।

किन बच्चों को है कान में संक्रमण का अधिक जोखिम

  1. 5 साल से कम आयु के बच्चों को कान में संक्रमण का जोखिम अधिक बना रहता है, क्योंकि उनकी यूस्टेशियन ट्यूब छोटी होती है।
  2. प्ले-वे या डेकेयर में रहने वाले बच्चों को भी कान में संक्रमण का जोखिम अधिक होता है, जहां उन्हें आसानी से सर्दी-जुकाम की शिकायत हो सकती है।
  3. बच्चों को एलर्जी होने की स्थिति में भी उन्हें जल्दी से संक्रमण हो सकता है।
  4. कम उम्र के बच्चे जो सिगरेट के धुएं के संपर्क में अधिक आते हैं। क्योंकि इसके धुएं से यूस्टेशियन ट्यूब में खुजली और जलन होने की शिकायत होती है।
  5. ब्रेस्टफीड या मां का दूध न पीने वाले बच्चों में भी इस संक्रमण का खतरा अधिक बनता है। मां के दूध में ऐसी एंटीबॉडीज पाई जाती हैं, जो संक्रमण से लड़ने में मददगार होती है।
  6. ऐसे बच्चे जिन्हें नीचे लेटाकर बोतल से दूध पिलाया जाता है। क्योंकि सही स्थिति में न लेटे होने के कारण कई बार दूध बच्चे के कान में से होते हुए यूस्टेशियन ट्यूब में चला जाता है, जिसके कारण पहले खुजली या जलन और फिर संक्रमण हो जाता है। इसीलिए बच्चे को सही से पकड़ते हुए उसे बोतल से दूध पिलाना चाहिए।

कान में संक्रमण के लक्षण

बड़े बच्चे तो कान में संक्रमण होने पर कान में दर्द की शिकायत करने में समर्थ होते हैं, लेकिन छोटे बच्चे जो अपनी समस्या समझा नहीं पाते, उनके संकेतों से माता-पिता को समझना चाहिए।

  • बच्चे को बिना किसी खास कारण के बुखार का आना
  • बच्चे का चिड़चिड़ा होना
  • बच्चे को ठीक प्रकार से नींद का न आना
  • बच्चे का अपने कान को खींचना या उस पर बार-बार हाथ मारना और
  • बच्चे को सुनने में परेशानी होना या बार-बार कान का बंद होना।
  • कुछ बच्चों के कान से सफेद पस आदि भी निकलती है।

संक्रमण की पुष्टि होने पर क्या करें

अगर आपको बच्चे की समस्या के बारे में पता चल जाए तो बिना देर किए आप बच्चे को किसी भी ईएनटी या कान, नाक और गले के डॉक्टर को दिखाएं। डॉक्टर बच्चे के ईयरड्रम की जांच करेंगे और बच्चे के कान में किसी प्रकार के तरल पदार्थ को देखेंगे। आमतौर पर वारयल की वजह से हुए संक्रमण के कारण हमारा ईयरड्रम लाल हो जाता है। ऐसे में एंटीबायोटिक्स दवाओं की जरूरत नहीं होती।

  • आमतौर पर डॉक्टर एक से दो दिन का इंतजार करते हैं कि बुखार उतरने के साथ ही बच्चे के कान के दर्द या संक्रमण में कुछ सुधार आ जाए। अगर आपके बच्चे की स्थिति तब भी बेहतर न हो तो आप दोबारा डॉक्टर से मिलें। आमतौर पर छोटे बच्चों को जल्दी से एंटीबायोटिक दवाएं नहीं दी जातीं। लेकिन बच्चे को तेज बुखार, कान में तेज दर्द या फिर उसकी स्थिति में दो दिन तक सुधार दिखाई नहीं देने की स्थिति में ही डॉक्टर एंटीबायोटिक्स देते हैं।
  • डॉक्टर की सलाह पर ही आप बच्चे को दवाएं दें और वे जितने समय के लिए या जितनी खुराक बताएं उतनी खुराक उन्हें जरूर दें। ज्यादातर मामलों में डॉक्टर दर्द में राहत के लिए बच्चे को इबूप्रूफेन या ऐसेटामिनोफेन जैसी दवाइयां ही देते हैं, लेकिन बच्चों के मामले में कैमिस्ट से दवा लेनी की जगह आप डॉक्टर से संपर्क करें।
  • बच्चे के कान में संक्रमण की स्थिति को जांचने के लिए हो सकता है कि डॉक्टर आपके बच्चे को दोबारा देखना चाहें। क्योंकि कई मामलों में यूस्टेशियन ट्यूब में कई सप्ताह तक के लिए तरल पदार्थ बिना किसी सूजन, जलन या खुजली के मौजूद रह सकता है। इसीलिए पूरी तरह सुनिश्चित होने के लिए आप दोबारा डॉक्टर से जरूर मिलें।

कान में संक्रमण की रोकथाम किस प्रकार करें

  1. गंदे हाथों के माध्यम से ही आमतौर पर किटाणु हमारे शरीर में पहुंचते हैं, इसीलिए बच्चे के हाथों को अच्छे से धुलाएं ताकि उसे सर्दी या जुकाम की तकलीफ न हो।
  2. छोटे बच्चे को स्तनपान कराएं।
  3. बच्चों को नीचे लेटा कर बोतल से दूध न पिलाएं। अगर बच्चा अपनी बोतल संभालने के लायक हो गया है या उसकी उम्र 1 साल से अधिक है तो उसे अच्छे कप या सिप्पर से दूध पिना सिखाएं।
  4. बच्चे के सामने सिगरेट न पिएं। इसके धुएं से बच्चे के कान में संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है।
  5. बच्चे को सही समय पर न्यूमोकोकल और फ्लू के टीके लगवाएं।
  6. बच्चे के प्ले-वे या डेकेयर में निजी स्वच्छता का ध्यान रखें।
  7. बच्चे को जुकाम या खांसी से संक्रमित व्यक्ति से दूर रखने का प्रयास करें।

बच्चे के कान में दर्द के और भी कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि बच्चे के दांत निकलना या फिर कान के अंदर दाना आदि निकलना। हो सकता है कि बच्चे के कान में मैल भी अधिक हो। लेकिन उसे साफ करने के लिए कॉटन स्वैब्स का इस्तेमाल न करें। बेहतर होगा कि आप डॉक्टर से संपर्क करें और उसका सही इलाज करवाएं।


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