बच्चों के तो दूध के दांत हैं, उन्हें कहां दांत में दर्द हो सकता है। अगर दांत में कीड़ा लग भी गया है तो पक्के दांतों के साथ यह परेशानी भी दूर हो जाएगी। क्यूं आप भी कुछ ऐसा ही सोचते हैं, जब आपका बच्चा दांत में दर्द की शिकायत करता है। बिल्कुल आम तौर पर हम सभी का यही मानना होता है, लेकिन दांत में दर्द का सही समय पर अगर इलाज न किया जाए तो यह समस्या काफी गंभीर हो जाती है। आइए जानते हैं इस बारे में और अधिक डेंटिस्ट डॉ. रितु एस. भोला से।
अक्सर देखा जाता है कि छोटे बच्चे दांतों को अच्छे से साफ नहीं कर पाते या फिर वे ज्यादातर मीठी चीजें जैसे कि चॉकलेट्स और टॉफी बहुत अधिक मात्रा में खाते हैं, जिनकी वजह से बच्चों को दांत दर्द होता है। लेकिन बावजूद इतने दर्द के माता-पिता अपने बच्चे को डेंटिस्ट के पास नहीं लेकर जाते और जब जाते हैं, तब तक समस्या बहुत बढ़ चुकी होती है। यहां तक कि 90 प्रतिशत मामलों में बच्चे के दांत की रूट कनाल ट्रीटमेंट या आरसीटी करना जरूरी हो जाता है।
दांतों की समस्या के कारण :
2 से 3 वर्ष आयु
1. ब्रश न करना
इस आयु के बच्चों की सबसे बड़ी समस्या है कि वे ठीक से दांतों को ब्रश नहीं कर पाते। इस उम्र में बच्चे के पूरे दांत भी ठीक से नहीं निकलते, ऐसे में माता-पिता भी कई बार ब्रशिंग को बहुत ही हल्के में ले लेते हैं। माता-पिता को भी लगता है कि दूध के दांत है, इसमें क्या समस्या होगी। अभी वैसे भी बच्चा कौन सा ज्यादा खाता है।
2. अधिक मीठी चीजों का सेवन
बच्चों के दांत में दर्द का एक बहुत बड़ा कारण है मीठी चीजों को बहुत अधिक मात्रा में खाना। चॉकलेट, टॉफिज या केक किसे पसंद नहीं होते। लेकिन बच्चों के दांतों पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। इसकी वजह से उनके दांतों में कैविटीज या कीड़ा लगने की समस्या शुरू हो जाती हैं।
कैसे करें उपाय
- लगातार ब्रश करना है जरूरी: सबसे पहले तो बच्चे को ब्रश निरंतर करना और दिन में दो बार करना बेहतर जरूरी है। अगर बच्चा नहीं भी मान रहा तो भी आप उसे ब्रशिंग के लिए जरूर समझाएं। उन्हें बताएं कि कैसे ब्रश सही समय और सही तरीके से न करने पर उनके दांत सड़ सकते हैं। और फिर वे अपनी पसंद की चीज भी नहीं खा पाएंगे।
- मीठी चीजों पर लगाएं नियंत्रणः बच्चे के दांतों और उसकी सेहत को ध्यान में रखते हुए माता-पिता को चाहिए कि वे मीठी चीजों पर नियत्रंण करें। अगर दिन में एक से दो बार बच्चा मीठा खा चुका है तो उसे और मीठा खाने न दें।
- दूध की बोतल का रखें ध्यान: आम तौर पर हम बच्चे को सुलाने के लिए उसे दूध की बोतल दे देते हैं। हम अपने काम में व्यस्त हो जाते हैं और बच्चे के मुंह पर दूध की बोतल लगी रह जाती है। दूध में मीठा बच्चों को बहुत पसंद है, ऐसे में बोतल के साथ ही सही काफी समय के लिए मीठा बच्चे के मुंह में रहता है और इसकी वजह से दांतों में कैविटीज की आशंका भी बढ़ जाती है। इसीलिए सोते समय दूध की बोतल बच्चे के मुंह से बाहर कर दें। इसे Nursing bottle carries भी कहा जाता है यानी सोते समय दूध की बोतल मुंह में ही होना।
3 से 5 वर्ष आयु
1. अंगूठा चूसना
कई बच्चों को सोते समय या दिन के बाकी समय अंगूठा चूसने की समस्या होती है। इस वजह से बच्चे के दांत अक्सर टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं।
2. सही तरह से ब्रश न करना
छोटी उम्र में बच्चों को ब्रश करना तो सीखा दिया जाता है, लेकिन इसके बावजूद वे इसे सिर्फ काम की तरह समझते हैं और कुछ सेकंड में ही ब्रश करके वापिस आ जाते हैं। यह भी इस उम्र के बच्चों में कैविटीज का एक अहम कारण है।
3. मुंह से दुर्गंध आना
अक्सर इससे छोटी उम्र के बच्चों में मुंह से दुर्गंध आने की समस्या कम होती है या हम नजर अंदाज करते हैं। इसकी एक वजह सिर्फ ब्रश न करना नहीं, बल्कि हमारे मुंह में बैक्टीरिया की मौजूदगी भी है। हमारे दांतों में फंसे हुआ खाना उनका भोजन है और वे हाइड्रोजन सल्फाइड बनाते हैं, जिसे हम दुर्गंध कहते हैं।
इसके अलावा भी कई वजह हैं जिसकी वजह से मुंह से दुर्गंध आ सकती है जैसे कि मसूड़ों की समस्या, दांतों की सफाई में कमी या दांतों में कीड़ा लगना।
कैसे करें उपाय
- अंगूठा चूसने की आदत छुड़ाएं: डेंटिस्ट की मदद से आप बच्चे की अंगूठा चूसने की आदत को छुड़वा सकते हैं। इसके लिए वे बच्चे को हैबिट ब्रेकिंग अप्लायंस (habit breaking appliances) देंगे, जिनके इस्तेमाल से बच्चे की यह आदत खत्म हो जाएगी।
- ब्रश करना है जरूरी: आप कितने भी व्यस्त क्यूं न हों, आपके लिए यह देखना बहुत जरूरी है कि आपका बच्चा कितनी देर और कैसे ब्रश करता है। कई मामलों में स्कूल जाने वाले बच्चे अक्सर ब्रश करते-करते सो जाते हैं। ऐसे में अभिभावकों को लगता है कि उसने बहुत देर ब्रश किया, लेकिन असल में बच्चा ब्रश को मुंह में रख कर सो रहा होता है। इसीलिए आप अपने बच्चे की ब्रशिंग की आदत को सुधारें। उसके पास रूकें और जरूरत पड़ने पर उसकी मदद भी करें।
- मुंह से दुर्गंध के कारणों को ढूंढ़ें: अगर सही समय और तरीके से ब्रश करने पर भी बच्चे के मुंह से पूरा दिन दुर्गंध आती है तो आप उसके सही कारणों को ढूंढ़ने की कोशिश करें। इसके लिए आप डेंटिस्ट से भी सलाह ले सकते हैं।
6 से 8 वर्ष आयु
1. नए दांतों पर चीभ लगाना
अक्सर बच्चों के दूध के दांत 6 वर्ष की आयु से ही टूटना शुरू होते हैं। ऐसे में नए दांतों के आने से पहले ही बच्चा बार-बार अपने मसूड़ों को चीभ लगाने लग जाता है, जिसकी वजह से उनके नए दांत ही आड़े-तिरछे आते हैं।
2. दांतों की सड़न
बच्चे के दांतों में कीड़ा लगा है और आपने उसका कोई इलाज नहीं किया, तो उसका अगला चरण दांतों में सड़न और उनका भूर जाना या टूट जाना ही है। अक्सर देखा जाता है कि माता-पिता अपने बच्चे के दूध के दांतों के प्रति बेहद सजग नहीं होते। उनका कहना होता है कि दूध के दांतों में कीड़ा लगा है, पक्के दांत ठीक आएंगे। इलाज की अभी कोई जरूरत नहीं है।
कैसे करें उपाय
- चीभ लगाने से रोकें: अगर आपका बच्चा अपने दांतों को लगातार चीभी या उंगली लगा रहा है तो आप उसे रोकें। ऐसा न करने पर दांत काफी टेढ़े हो जाते हैं। जिसके लिए बाद में दांतों पर ब्रेसिज लगवाने पड़ते हैं। अक्सर माता-पिता यह भी मान लेते हैं कि पहले सभी दांत आ जाएं तब एक ही बार में ब्रेसिज (Brasis) लगवाए जाएंगे। ऐसा सोचना भी सही नहीं है। डॉक्टर को यह निर्णय लेने दीजिए कि बच्चे को कब और कैसे ब्रेसिज लगाए जाएं।
- कैविटीज का करें इलाज: कैविटीज मतलब दांत में कीड़ा लगाना। अगर दांत में दर्द की शुरुआत में ही कैविटीज को निकाल दिया जाए तो बढि़या रहता है। नहीं तो कभी-कभी मुंह के बैक्टीरिया इस कैविटी को हमारे दांतों की सबसे अंदर की परत पल्प तक भी पहुंचा देते हैं। जिसके लिए डॉक्टर को रूट कनाल ट्रीटमेंट (Root canal treatment or RCT) कर दांत की फीलिंग के बाद उस पर स्टेनलेस स्टील की कैप भी लगानी पड़ती है।
दांतों की समस्या के बच्चे पर प्रभाव:
अगर हमारे दांत सही नहीं हैं या उनमें दर्द होता है तो निश्चित तौर पर हमारे शारीरिक और मानसिक स्तर पर भी इसका प्रभाव होता है।
- कुपोषण की समस्या: ज्यादातर देखा गया है कि जो बच्चे दांत में दर्द ठीक से खाना नहीं खा पाते, उनमें कुपोषण की समस्या भी होती है। बच्चा खाने से बचता है, ताकि उसे और दर्द न झेलना पड़े।
- स्वभाव में बदलाव: एक अच्छी मुस्कान काफी काम हल कर देती है, लेकिन जब यही मुस्कान सड़न भरे या टेढ़े दांतों के पीछे दब जाती है तो बच्चों के स्वभाव में भी परिवर्तन ला देती है। ऐसे में बच्चों की दोस्ती में भी रूकावट आने का खतरा रहता है।
- आत्म-विश्वास में कमी: बच्चे हो या बड़े अपने रंग-रूप को लेकर सभी बहुत अधिक सचेत होते हैं, ऐसे में हमारी छोटी से छोटी कमी भी हमें खुद को बहुत बड़ी नजर आती है। दांतों की वजह से ही सही बच्चों में खुद के प्रति हीन भावना आती है और उनका आत्म-विश्वास डगमगाने लगता है।
Dr. Ritu S. Bhola (B.D.S. and specialization in Implantology and aesthetics)