टीन एज एक ऐसी आयु है, जिसमें बच्चे खुद को लेकर काफी सजग होते हैं। दोस्तों में उठना-बैठना, नई-नई चीजें सीखना, बाहर घूमने जाना, ये सब उन्हें बेहद पसंद आता है। पर कई बार इस उम्र में आते-आते बच्चों का वजन भी अचानक से बढ़ने लगता है। टीन एज में बच्चों के वजन बढ़ने के कारणों के बारे में चलिए जानते हैं।
यह सच है कि कई बच्चों का टीनएज में आते ही वजन काफी तेजी से बढ़ता है, आप चाहें तो इस बात के लिए फिल्मी कलाकारों को ही ले लीजिए। चाहे बात सोनम कपूर की हो, सारा अली खान की हो, अर्जुन कपूर की हो या फिर आलिया भट्ट की। ये सभी कलाकार भी टीन एज में काफी मोटे थे। ऐसा नहीं है कि बच्चे मोटे नहीं होते, लेकिन आजकल बच्चो का टीनएज तक आते-आते काफी अधिक वजन बढ़ चुका होता है। ऐसा क्यूं? आइए जानते हैं, इसके कुछ खास कारण।Causes for Excess Weight Gain in Teenagers in Hindi
टीन एज में वजन बढ़ने के 5 मुख्य कारण
1. शारीरिक बदलाव और विकास:
सभी बच्चे एक जैसे नहीं होते और न ही सभी का शारीरिक विकास एक जैसा होता है। टीनएज के वक्त जब बच्चों में शारीरिक बदलाव हो रहे होते हैं तो बच्चों के शरीर में ऐसे हॉर्मोन्स भी बनने लगते हैं, जिससे ये बदलाव साफ नजर आते हैं, जैसे लड़कियों में स्तनों में उभार आना, लड़कों में उनके प्रजनन अंगों में बदलाव आना और लंबाई के साथ-साथ वजन का भी बढ़ना। ये शारीरिक बदलाव कई सालों तक लगातार होते रहते हैं। कई बच्चों में यह बदलाव 8 साल से होने शुरू हो जाते हैं, जबकि कुछ बच्चों में इन बदलावों की शुरुआत 14 साल तक होती है। ऐसे में दो समान उम्र के और समान लिंग के बच्चों का वजन और लंबाई अलग-अलग होना स्वभाविक है।
2. शारीरिक गतिविधियों में कमी:
बच्चों के लिए सेहतमंद रहना बेहद जरूरी है और उसके लिए उन्हें शारीरिक गतिविधियों का करते रहना भी उतना ही जरूरी है। लेकिन टीन एज के बच्चे जिनकी शारीरिक गतिविधियां न के बराबर होती हैं, उनमें वजन तेजी से बढ़ता है। ऐसा नहीं है कि शारीरिक गतिविधियों या व्यायाम की जरूरत सिर्फ उन्हीं बच्चों को होती है, जो बाहर का भोजन या जंक फूड खाते हैं, बल्कि व्यायाम करना सभी के सेहतमंद बने रहने के लिए जरूरी है। छोटे बच्चों के मुकाबले टीनएजर वैसे भी कम ही श्रम करते हैं। ऐसे में उनकी भूख के बढ़ने के साथ उनके वजन बढ़ने की आशंका भी उतनी ही अधिक है।
3. जंक फूड पर अधिक जोर:
हर माता-पिता अपने बच्चे के लिए अच्छा ही सोचते हैं। सभी को लगता है कि मेरा बच्चा कहीं भूख न रह जाए। लेकिन पहले के मुकाबले आजकल के बच्चों की प्राथमिकताएं भोजन में भी बदल रही हैं। बच्चों को घर का खाना उबाऊ लगता है, जबकि बाहर का बेहद स्वाद। लेकिन बाहर का भोजन या जंक फूड बच्चों की सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। अक्सर बच्चे छोटी-छोटी भूख या स्नैक्स के लिए बाहर से चिप्स, केक, सैंडविच आदि खाना पसंद करते हैं। इस प्रकार का भोजन भी एक बड़ी वजह है बच्चों के वजन अधिक होने का, क्योंकि इसमें कैलोरीज अधिक और पोषक तत्व न के बराबर होते हैं।
4. पैसों की आजादी:
वैसे खाली इसे कारण मानना गलत होगा, लेकिन बच्चों को घर से मिलने वाली यह आजादी भी एक बहुत बड़ा कारण है, बच्चों में वजन के बढ़ने का। आज बच्चे अपने दोस्तों के साथ कहीं भी मॉल, सिनेमा हॉल या किसी मार्केट में भी जा सकते हैं। वहां भले वे शॉपिंग न करें, लेकिन खाना वह भी बाहर का उन्हें चाहिए ही चाहिए। इसके लिए बच्चे अपने माता-पिता से पैसे मांगते नहीं है, बल्कि हम खुद पहले अपने बढ़ते बच्चों को आत्म-निर्भर बनाने के लिए उन्हें पॉकेट मनी के नाम पर और बाद में दोस्तों के साथ घूमने के नाम पर पैसे उन्हें मुहैया कराते हैं।
5. मनोवैज्ञानिक कारण:
बच्चे हमेशा खुद को अपने दोस्तों से बेहतर देखना और महसूस करना चाहते हैं, खासकर जब वे टीनएज में प्रवेश करते हैं। दोस्तों के अलावा वे खुद का फिल्मी कलाकारों से भी मेल करते हैं। और जब इस काम में उन्हें सफलता नहीं मिलती तो उसका नतीजा होता है अवसाद, जिसकी वजह से बच्चों के खान-पान के तौर-तरीके बदल जाते हैं और उनका वजन बढ़ने लगता है। इसके अलावा विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों को होने वाला तनाव भी इसकी एक अहम वजह बनता है। दरअसल इस उम्र में बच्चों के ऊपर पढ़ाई और दोस्तों के बीच आकर्षण बनने का लगातार तनाव बना रहता है। ऐसे में भी बच्चे गलत खाते हैं या फिर मीठा खाना पसंद करते हैं। बच्चे भले इस बात को न मानें, लेकिन तनाव और अवसाद में हम ज्यादा भी खाते हैं। कई बार यह भी मान लिया जाता है कि खाने से हम अच्छा महसूस करते हैं, इसीलिए और खाओ- और खाओ।
टीन एज बच्चों में वजन बढ़ने के कई और भी कारण हो सकते हैं। उन्हें कोई स्वास्थ से जुड़ी समस्या जैसे कि हाइपोथायरॉइड या फिर वे किसी बीमारी के लिए कोई दवा ले रहे हों। कई बार दवाएं भी हमारे शरीर पर ऐसा असर करती हैं कि हमारा वजन बढ़ने लगता है।
बच्चों में अधिक वजन को भी नियंत्रित किया जा सकता है, अपनी जीवनशैली और भोजन में बदलाव ला कर। लेकिन अगर इनसे भी आपके बच्चे को कोई अनुकूल प्रभाव न हो तो आप डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं। लेकिन अपने बच्चे के बढ़ते वजन के प्रति आपकी अनदेखी बच्चे के लिए मुश्किल साबित हो सकती है। इसीलिए समय-समय पर टीनएज बच्चों को बॉडी-मास इंडेक्स या बीएमआई (BMI) जरूर जांचते रहना चाहिए, जिससे आपको बच्चे के मोटे होने के बारे में जानकारी मिलती रहे और आप समय रहते अपने बच्चे की सेहत में सुधार ला सकें।