अर्पिता का सात साल का बेटा है विधान। विधान जैसे – जैसे बड़ा होता जा रहा है उसके दिल और दिमाग दोनों की ही स्थिति बिगड़ती चली जा रही है। आजकल के खानपान ने उसके शरीर पर तो असर डाला ही है, उसका मोटापा भी बढ़ता चला जा रहा है, साथ ही स्वभाव से भी वह काफ़ी चिड़चिड़ा और गुस्सैल होता जा रहा है। अर्पिता को कुछ समझ नहीं आ रहा कि ऐसे में क्या किया जाए। तभी उसकी एक मित्र ने उसे विधान को ‘ ध्यान ‘ कराने की सलाह दी। अर्पिता की मित्र खुद ध्यान करती है क्योंकि उसे ध्यान करने से होने वाले फ़ायदों के बारे में बखूबी पता है।
क्या है ध्यान करना (मेडिटेशन) – Meditation kya hai
ध्यान यानी मेडिटेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से अपने चंचल मन और इच्छाओं पर नियंत्रण किया जा सकता है। इसके अलावा यह व्यक्ति के गुणों और प्रतिभा को पहचानने में मदद करता है।
किस उम्र के बच्चे ध्यान कर सकते हैं
आमतौर पर छह साल के बच्चे ध्यान करना शुरू कर सकते हैं। इस उम्र के बच्चों में सोचने-समझने की क्षमता का विकास हो जाता है जिससे वे ध्यान करने योग्य हो जाते हैं।
कैसे किया जाता है ध्यान – Meditation Kaise Kare
ध्यान करने की सबसे आसान और सरल विधि है रीढ़ की हड्डी यानि कमर और गर्दन को सीधे रखकर और किसी भी शांत स्थान पर बैठकर ध्यान करना। शुरुआत में ध्यान करना थोड़ा कठिन होता है लेकिन बार-बार अभ्यास से यह आसान लगने लग जाता है। पहले बच्चे को दो से पाँच मिनट का अभ्यास कराएं। धीरे-धीरे इसका समय बढ़ा सकते हैं। इस प्रक्रिया में अपने विचारों को पूरी तरह से शून्य पर ले जाना और अपनी साँसों को महसूस करते हुए इसकी गहराई तक जाना होता है।
बच्चों के लिए आसन और उन्हें कैसे तैयार करें
बच्चों के लिए सुखासन, वज्रासन और पद्मासन में ध्यान करना उपयुक्त होता है। ध्यान करना छोटे बच्चों की समझ से परे हो सकता है। इसलिए पहले बच्चे को प्यार से इसके फ़ायदों के बारे में बताएं। फिर आप खुद सीखकर या किसी योग केंद्र में ले जाकर योग गुरु की मदद से ध्यान का अभ्यास कराएं।
ध्यान करने से होने वाले फ़ायदे – Meditation Ke 8 Fayade
स्वस्थ होंगे तन और मन
ध्यान तन व मन दोनों को स्वस्थ बनाने का एक आसान तरीका है। यह बच्चे के शरीर की एक कवच की तरह रक्षा करता है। कई बीमारियों से बचाकर यह शरीर को ऊर्जावान और दिमाग को शांत रखता है। वास्तव में बच्चों के संपूर्ण विकास में मेडिटेशन महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। इसके जरिए तन और मन दोनों का बेहतर विकास होता। इससे मन शांति का अनुभव करता है और शरीर तंदुरुस्त बनता है। ध्यान करने से बच्चे की एकाग्रता बेहतर होती है। वहीं वह शारीरिक रूप से भी मज़बूत होता है। इससे बच्चे पढ़ाई से लेकर खेलकूद दोनों क्षेत्रों में सफलता हासिल करते हैं। इतना ही नहीं वे मानसिक तौर पर स्थिर व शांत होने के कारण वह कोई मुश्किल समय में घबराते नहीं हैं और समझदारी से निर्णय लेने में सक्षम होते हैं।
तनाव और चिंता से मिलेगा छुटकारा
ध्यान करने से बच्चे को चिंता और तनाव से निजात मिलती है। यह दिमाग को रि-वायर करता है जिससे बैचेन और डर पैदा करने वाले तंत्रिकाएं कमजोर हो जाती हैं और बच्चा खुद – ब – खुद ही चिंता करना कम कर देता है। असल में ध्यान करने का एक सबसे बड़ा फ़ायदा यह है कि यह तनाव कम करने में बेहद असरदार है। आजकल के बच्चों पर पढ़ाई के साथ ही ऑलराउंडर बनने का इतना दबाव है कि वे तनाव में रहने लगे हैं। ऐसे में ध्यान करने से इस तनाव को काफ़ी हद तक कम किया जा सकता है और मन शांत रहता है। मेडिटेशन बच्चों को ध्यान केंद्रित करना सिखाकर, उन्हें शांत रहने में मदद करता है।
नहीं बढ़ेगा वज़न, मोटापा होगा कम
ध्यान करना मोटे बच्चों की उनका वज़न घटाने में मदद करता है। साथ ही बच्चों के तेजी से बढ़ते वजन पर रोक लगाता है। वास्तव में ध्यान करना एक मनोवैज्ञानिक तकनीक है। इसके जरिए अपने बारे में जागरूक होकर बीमारियों से जुड़े तनाव को दूर किया जाता है। इसमें खानपान और ध्यान का इस्तेमाल करके मोटे बच्चों का वजन कम किया जा सकता है। इस पर आधारित एक रिसर्च के मुताबिक जिन मोटे बच्चों को कम कैलोरी वाले खाने के साथ ध्यान करने की सलाह दी गई, उनकी भूख, तनाव और वजन को कम होते देखा गया। इसके अलावा ध्यान करने से पाचन शक्ति भी बेहतर होती है।
गुस्सा आएगा कम, होगा खुशी का अहसास
आजकल आपाधापी भरी जिंदगी से बच्चे भी अछूते नहीं हैं। उन पर भी वातावरण का प्रभाव पड़ रहा है। वे भी अब चिड़चिड़े हो चले हैं, हर छोटी-छोटी बातों पर जिद करने लगे हैं और बच्चों को गुस्सा भी बहुत आने लगा है। तो इस समस्या का सबसे आसान हल है रोजाना कुछ मिनट ध्यान करना। ध्यान करने से बच्चों में अपनी भावनाओं पर नियंत्रण करने की क्षमता का विकास होता है। उनमें खुशी के भाव आते हैं यानी मन प्रसन्नता का अनुभव करता है।
आसानी से आएगी नींद
जिन बच्चों को नींद आसानी से नहीं आती, उनके लिए ध्यान करना बहुत फ़ायदेमंद है। बच्चों की नींद के पूरा न होने से स्वास्थ्य को काफी नुकसान होता है। ऐसे में ध्यान करने से नर्वस सिस्टम संतुलित अवस्था में रहता है, जिससे नींद आसानी से आ जाती है। वहीं ध्यान करने से दिमाग में आने वाले नकारात्मक विचार दूर हो जाते हैं और यह भी अच्छी नींद का कारण बनता है और बच्चा हमेशा ऊर्जावान महसूस करता है।
त्वचा की बढ़ेगी चमक
आमतौर पर बच्चों की त्वचा पर प्राकृतिक चमक होती है लेकिन रोजाना ध्यान करने से बच्चों के चेहरे की रौनक और भी ज्यादा बढ़ जाता है। ध्यान करने से शरीर की कोशिकाएं एवं इंद्रियां नियंत्रित हो जाती हैं और मांसपेशियों को आराम मिलता है। इससे नई त्वचा – कोशिकाओं का निर्माण होता है और शरीर क्रियाशील बन जाता है।
याद्दाश्त बढ़ेगी और दिमाग होगा तेज
ध्यान करने से बच्चों की याद रखने की क्षमता बढ़ती है। आज के समय में बच्चे के लिए भी अपडेट रहना बहुत ज़रूरी है। डिजिटल होती दुनिया में पढ़ाई के साथ हर एक्टिविटी में ध्यान रखना होता है। इसके लिए मेडिटेशन बहुत मददगार साबित होता है। ध्यान करने से बच्चे की याद्दाश्त बढ़ती है और दिमाग भी तेज होता है।
बढ़ेगी रचनात्मकता
आधुनिक समय में बच्चे का रचनात्मक यानी क्रिएटिव होना बहुत ज़रूरी है। जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए बच्चे की रचनात्मक क्षमता होना बहुत आवश्यक है। क्योंकि ध्यान दिमाग के हिस्सों को जगाने का काम करता है जिससे कि ध्यान करने से बच्चा कोई भी काम कलात्मक ढंग से कर सकता है।
ध्यान करते समय ख्याल रखें इन बातों का-
- सबसे पहले शांत वातावरण वाला स्थान चुनें ताकि बाहरी ध्वनियों से बच्चे का ध्यान न भटके।
- सुबह का समय ध्यान करने के लिए अच्छा माना जाता है। ध्यान करते समय धीरे-धीरे लंबी और गहरी साँस लेने को बच्चे से कहें जिससे माँसपेशियों को आराम मिले।
- ध्यान करते समय चेहरे पर हल्की सी मुस्कान रखें।
- ऐसी सुविधाजनक अवस्था बच्चे को बिठाएं जिससे कुछ समय तक बिना हिले-डुले रहा जा सके
- ध्यान करते समय न तो कुछ भारी खाना बच्चे को खिलाएं और न ही खाली पेट रखें। इसका मतलब यह कि ध्यान करने से कुछ समय पहले हल्का खाने को दें।
योगगुरु नेहा वशिष्ठ कर्की से बातचीत पर आधारित