मौसम में बदलाव के साथ ही घर में कई प्रकार के वायरस और किटाणु गंदे पैरों, चप्पलों और दूसरों द्वारा संक्रमित होने के कारण घर में प्रवेश कर जाते हैं। खासकर छोटे बच्चे जो संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आते हैं, वे तो बहुत जल्दी ही सामान्य सर्दी-जुकाम और फ्लू की चपेट में भी आ जाते हैं। आइए जानते हैं कैसे फ्लू के समय में आप खास 5 भोजनों के साथ अपने बच्चों का बचाव कर सकते हैं।
बच्चों को छोटी-मोटी बीमारियां तो होती रहती हैं। लेकिन आप अपने बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी की इम्युनिटी को मजबूत बनाकर उन्हें इन छोटे-मोटे संक्रमणों और बीमारियों से बचा सकते हैं। वैसे तो बच्चों को पौष्टिक और स्वास्थ्यवर्धक भोजन सभी माता-पिता कराते हैं, लेकिन कुछ ऐसे खास व्यंजन या रेसिपीज होती हैं, जिनसे बच्चों को संक्रमणों से दूर रखा जा सकता है।
5 खास भोजन जिनसे दूर होगा फ्लू का डर
1. दही
बच्चों के पेट को सेहतमंद बनाए रखने के लिए उन्हें प्रोबायोटिक भोजन कराना काफी फायदेमंद रहता है। ऐसे में दही का विकल्प काफी बढि़या रहता है। खास तौर पर जब सामान्य फ्लू तेजी से फेल रहा हो। दही से मिलने वाले गुड बैक्टीरियाज बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने में सहायक होते हैं। इसके लिए आप बच्चों को दही से स्मूदी, रायता या फिर सादा दही भी खाने को दे सकते हैं।
2. शकरकंद
शकरकंद विटामिन ए का प्रमुख स्रोत है। यह हमारे मुंह, आंतों और श्वसन तंत्र की कोशिकाओं को तंदरुस्त बनाए रखने में मददगार होता है। सिर्फ आधी कटोरी पकी हुई शकरकंद से बच्चों को उनके दिन भर का विटामिन ए की जरूरत पूरी हो जाती है। इसके अलावा विटामिन ए से भरपूर गाजर, बेल पेपर्स, आम और सूखी खुमानी भी सामान्य फ्लू में बच्चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में काफी फायदेमंद होते हैं।
3. चिकन सूप
आमतौर पर जिन घर-परिवारों में मांसाहार किया जाता है, वहां ज्यादातर बड़े-बुजुर्ग बच्चों को सर्दी-जुकाम और सामान्य फ्लू की स्थिति से बचने के लिए चिकन सूप का सेवन करने की सलाह देते हैं। चिकन सूप की एक खासियत है कि जब भी आप बीमार महसूस कर रहे हों तो यह अच्छा महसूस कराने का भी काम करता है। कई अध्ययनों में पाया गया है कि चिकन सूप में कई ऐसे तत्व होते हैं, जिनमें औषधीय गुण होते हैं, जैसे कि यह जलन, सूजन आदि को कम करने में मददगार होता है। इसके इस गुण की वजह से यह श्वसन तंत्र के संक्रमण को दूर करने में भी सहायक माना जाता है।
4. गर्म पेय
बहती नाक, बंद गले और शरीर में थकान के साथ बच्चे काफी सुस्त हो जाते हैं। कई बार उनका गला इतना दर्द होता है कि उनसे कुछ कहा भी नहीं जाता। ऐसे में आप बच्चे को गर्म पेय पदार्थ जैसे कि गर्म पानी, सूप या फिर गर्म दूध पीने को दें। बच्चों की उम्र को ध्यान में रखते हुए उन्हें उनके लिए दूध, सूप या पानी के तापमान को कम या ज्यादा करें।
बच्चे अगर थोड़े बड़े हैं तो आप उन्हें तुलसी, अदरक, काली मिर्च और शहद का काढ़ा भी पीने को दे सकते हैं। तुलसी, अदरक, काली मिर्च और शहद, ये सभी चीजें औषधीय गुणों से युक्त हैं। ऐसे में आम फ्लू या संक्रमणों की स्थिति में बच्चे को तुरंत राहत मिलेगी। इसके अलावा गर्म दूध में अगर एक चुटकी हल्दी को मिला दिया जाए तो इससे बच्चे की इम्युनिटी को भी बढ़ाने में मदद मिलेगी। फ्लू या सर्दी-जुकाम की स्थिति में बच्चों को ठंडा पानी न पीनें दे। इससे स्थिति और बिगड़ सकती है।
5. मीट
इम्युनिटी को बढ़ाने में प्रोटीन का भी बड़ा योगदान होता है। इसीलिए आप चाहें तो अपने बच्चे को मीट-मुर्गा और मछली का सेवन भी करा सकते हैं। प्रोटीन के अलावा बच्चों को फ्लू से बचाए रखने में जिंक भी बेहद कारगर होता है। जोकि मांसाहार के अलावा आपको काजू, सफेद चने और राजमा से भी मिल जाएगा।
सामान्य फ्लू के लक्षण:
सामान्य फ्लू में सर्दी-जुकाम के अलावा आप इन लक्षणों को भी देखा जा सकता है।
- छोटे बच्चों में फ्लू के लक्षणों में से एक है, बच्चे का एकदम से और बहुत अधिक थक जाना।
- फ्लू के होने के साथ ही शरीर में दर्द और ठंड लगना जैसे लक्षण भी देखे जा सकते हैं।
- लगातार अगर बच्चे को सूखी खांसी हो रही हो तो समझ जाना चाहिए कि वह बीमार है। हो सकता है कि बच्चे को फ्लू के कारण खांसी हो रही हो। फ्लू के दौरान हो सकता है कि बच्चे को खांसी के साथ-साथ छाती में कड़कपन भी महसूस हो रहा हो।
- फ्लू में होने वाली खांसी बहुत जल्द ही गले में खराश का कारण भी बन जाती है। इन्फ्लुएंजा के बुखार में ज्यादातर बिना खांसी के ही गले में सूजन हो जाती है, जबकि फ्लू में खांसी के साथ गले में हल्की दर्द होती है। इसके लिए आप बच्चे को दिन में दो से तीन बार गरारे करने को भी कह सकते हैं।
- आमतौर पर फ्लू की वजह से 100 डिग्री के आस पास तक ही बुखार आता है। हो सकता है कि किसी को फ्लू के साथ बुखार न हो, लेकिन उसे काफी ठंड लग रही हो। आमतौर पर बच्चों को बुखार उतारने के लिए इबुप्रोफेन की खुराक दी जाती है, लेकिन इससे संक्रमण को कम नहीं किया जा सकता।
- फ्लू का असर ज्यादातर सिर के नीचे-नीचे देखने को मिलता है। जिसकी वजह से बच्चे को गैस्ट्रोइन्टेंस्टाइनल समस्याएं जैसे कि मचली, दस्त, पेट में दर्द और उल्टी हो सकती है। इससे बच्चे को बचाने के लिए अधिक मात्रा में तरल पदार्थ दें।
बेहद छोटे बच्चे जहां अपनी बात को नहीं समझा पाते, वहां माता-पिता के लिए लक्षणों को जांचना काफी मुश्किल हो जाता है। इसके लिए आप इन संकतों पर भी ध्यान दे सकते हैं।
- बच्चा पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पी रहा हो।
- रोते समय बच्चे के आंसू न निकल रहे हों।
- बच्चा उठ न रहा हो या बातचीत न कर रहा हो।
- बच्चा खा न रहा हो।
- बच्चे को बुखार के साथ रैशेज हो रहे हों।
- बच्चे को पेशाब करने में दिक्कत हो रही हो।
बच्चों को सेहतमंद बनाए रखना माता-पिता की जिम्मेदारी है, जो बदलते मौसम के साथ और भी बढ़ जाती है। खासकर जब मौसम के अनुसार वायरस या किटाणु तेजी से फेल रहे हों। ऐसे में छोटे-छोटे संक्रमण भी बच्चे को काफी बीमार कर सकते हैं। इसीलिए जरूरी है कि बच्चों को भोजन के माध्यम से ही स्वस्थ बनाए रखा जाए ताकि बात दवाइयों तक न पहुंचे। और अगर स्थिति संभल नहीं रही हो तो तुरंत डॉक्टर की परामर्श लें।