बेशक आपका डर बेवजह नहीं है। अगर अभी आपने अपने बच्चे को नहीं रोका तो आगे आने समय में उसे रोक पाना और भी मुश्किल हो जाएगा। इसके लिए आप अपने बच्चे से आराम से बात करने की कोशिश करें। उससे जानने का प्रयास करें कि उसे परेशानी क्या है। हो सकता है कि वो कि किस बात को लेकर परेशान हो। इसके अलावा प्रीटीन उम्र की भी अपनी चुनौतियां होती हैं। कुछ बातों को हम अपने पर ले लेते हैं, जबकि इसका कारण कुछ और ही होता है।
आपसे इतना ही कहना चाहेंगे कि आप अपने बच्चे की परिस्थिति को समझते हुए उसे अपने विश्वास में लें और उसकी समस्या पर भी काम करें। अगर आपको लगे कि फिर भी स्थिति संभल नहीं रही तो किसी मनोवैज्ञानिक से अवश्य मिलें।